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मुलायम सिंह यादव नही रहे, 82 साल की उम्र में निधन

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर।

भारत की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वह देश के पूर्व रक्षा मंत्री रहे मुलायम सिंह यादव का सोमवार की सुबह गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली वे 22 अगस्त से मेदांता में भर्ती थे और 2 अक्टूबर से आईसीयू में थे। उन्होंने अपने पुत्र अखिलेश यादव को राजनीतिक विरासत सौंपी और उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने में अहम भूमिका निभाई। वे उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे थे। वर्ष 1992 में उन्होंने सपा की स्थापना की। पार्टी ने हाल ही में 30 साल पूरे किए हैं।

मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को इटावा जिले के सैफई गाँव में मूर्ति देवी व सुघर सिंह यादव के घर में हुआ था। मुलायम सिंह यादव अपने पाँच भाई-बहनों में रतनसिंह यादव से छोटे व अभयराम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, राजपाल सिंह और कमला देवी से बड़े हैं। प्रोफेसर रामगोपाल यादव इनके चचेरे भाई हैं।पिता सुघर सिंह उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे किन्तु पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरु चौधरी नत्थूसिंह की परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया।

मुलायम सिंह यादव ने (एम०ए०) और बी० टी० करने के बाद इन्टर कालेज में प्रवक्ता नियुक्त हुए और सक्रिय राजनीति में रहते हुए नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।

हिंदी को राजकाज की भाषा बनाया

उन्हें उत्तर प्रदेश के सरकारी विभागों में हिंदी में कामकाज अनिवार्य रूप से लागू कराने का श्रेय जाता है। उन्होंने राजनीति में कई नए प्रयोग किये। फूलनदेवी को चम्बल से निकालकर लोकसभा तक पहुंचाने का काम किया।

केंद्रीय राजनीति में

मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से चुने गए थे और उस समय जो संयुक्त मोर्चा सरकार बनी थी, उसमें मुलायम सिंह भी शामिल थे और देश के रक्षामंत्री बने थे तब एक समय ऐसा भी आया था जब मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने की भी बात चली थी। प्रधानमंत्री पद की दौड़ में वे सबसे आगे खड़े थे, किंतु उनके सजातियों ने उनका साथ नहीं दिया। इसके बाद चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल से लोकसभा में वापस लौटे। असल में वे कन्नौज भी जीते थे, किंतु वहाँ से उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को सांसद बनाया।

केंद्रीय राजनीति में मुलायम सिंह का प्रवेश 1996 में हुआ, जब काँग्रेस पार्टी को हरा कर संयुक्त मोर्चा ने सरकार बनाई। एच. डी. देवेगौडा के नेतृत्व वाली इस सरकार में वह रक्षामंत्री बनाए गए थे, किंतु यह सरकार भी ज़्यादा दिन चल नहीं पाई और तीन साल में भारत को दो प्रधानमंत्री देने के बाद सत्ता से बाहर हो गई।

मुलायम धरती पुत्र क्यों हुए

मुलायम सिंह यादव की राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्तों में अटूट आस्था रही है। कहा जाता है कि मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश की किसी भी जनसभा में कम से कम पचास लोगों को नाम लेकर मंच पर बुला सकते हैं। उनका भारतीय संस्करण केंद्रीय भारत के कभी निपट गाँव रहे सैंफई के अखाड़े में तैयार हुआ है। वहाँ उन्होंने पहलवानी के साथ ही राजनीति के पैंतरे भी सीखे। लोकसभा से मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य चुने गये थे।

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