उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद की कार्यशाला में किसानों के लिए उपयोगी नई तकनीक का प्रदर्शन
1 min readलखनऊ, 17 नवम्बर।
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा बुधवार को आयोजित किसानों की आय में अभिवृद्धि हेतु अभिनव प्रौद्योगिकियों के विषय पर कार्यशाला सम्पन्न हुई।
उ.प्र. कृषि अनुसंधान परिषद, लखनऊ द्वारा परिषद सभागार में “किसानों की आय में अभिवृद्धि हेतु अभिनव प्रौद्योगिकियों” विषयक एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न हुई। कार्यशाला के मुख्य अतिथि कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान, उ.प्र. तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में कृषि उत्पादन आयुक्र उप्र द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता अध्यक्ष उ.प्र कृषि अनुसंधान परिषद कैप्टन (नि.) विकास गुप्ता द्वारा की गई।
हाईटेक कृषि के संबंध में देश के विभिन्न प्रदेशों में प्रारम्भ किये गये स्टार्टअप का प्रस्तुतीकरण फर्मों के प्रतिनिधियों द्वारा किया गया। कार्यशाला में प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों, प्रदेश के कृषि एवं संबंधित विभागों के निदेशकों तथा प्रगतिशील कृषकों द्वारा प्रतिभाग किया गया। महानिदेशक उपकार डा. संजय सिंह द्वारा कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रतिभाग करने वाले विभिन्न अतिथियों वक्ताओं, कृषि विश्वविद्यालयों एवं विभिन्न विभागों से पधारे वैज्ञानिकों / अधिकारियों का स्वागत किया गया तथा कार्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डाला गया।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुये परिषद के अध्यक्ष कैप्टेन (से.नि.) विकास गुप्ता ने कार्यशाला की आवश्यकता उपयोगिता तथा वर्तमान परिवेश में कृषि में अभिनव तकनीकों के उपयोग के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि देश में 71,000 पंजीकृत स्टार्टअप्स है जिनको कृषि आधारित तकनीकों के संदर्भ में प्रदेश के कृषकों की आय में वृद्धि हेतु किस प्रकार उपयोग में लाया जाय पर चर्चा करते हुये संस्तुतियां तैयार की जायेगी।
प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त, उ.प्र. श्री मनोज कुमार सिंह ने विशिष्ट अतिथि के रूप में अपनी बात करते हुये उपस्थित समस्त स्टार्टअप्स से अपेक्षा की कि उनके द्वारा तैयार की गई तकनीक को प्रदेश के कृषकों की आय वृद्धि से किस प्रकार उपयोग किया जाय तथा प्रदेश स्तर पर इस हेतु सरकार द्वारा नीतिगत जो भी सहयोग अपेक्षित हो के संबंध में अपना विचार प्रस्तुत करें।
सचिव, कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान उ.प्र. श्री अनुराग यादव ने अभिनव तकनीकों को कृषकों के मध्य प्रचलित परंपरागत ज्ञान के साथ समन्वित करते हुये कृषि लागत को घटाने तथा प्राकृतिक संसाधन को टिकाऊ बनाने की दिशा में तकनीक परिष्कृत किये जाने की बात कही। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रदेश में कृषि जाता का आकार लघु अथवा सीमात स्तर का है अत विकसित तकनीकों को लघु अथवा सीमांत कृषकों के अनुरूप रखा जाय।
उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि मा. मंत्री, कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान, उ.प्र. श्री सूर्य प्रताप शाही ने प्रदेश के कृषि एवं कृषकों की आय वृद्धि में उत्तर प्रदेश सरकार के विभिन्न प्रयासों की विस्तृत चर्चा करते हुये मा. प्रधानमंत्री तथा मा. मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के कृषक उत्थान की चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि कृषि की आय में वृद्धि को ध्यान में रखते हुये सरकार द्वारा एक वेबसाइट तैयार किये जाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है. जिसके माध्यम से कृषि उत्पादों का विभिन्न मण्डियों में दाम, मौसम की जानकारी मौसम आधारित परामर्श इत्यादि की सूचना सुलभ कराई जायेगी। उन्होंने बदलते वातावरणीय परिवेश, वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि बढ़ती हुई जनसंख्या का जिक्र करते हुये आवाह्न किया कि इन सभी बिन्दुओं के दृष्टिगत स्टार्टअप की उपयोगिता तथा तकनीकी विकास पर संस्तुतियां तैयार कर उपलब्ध कराया जाय ताकि प्रदेश सरकार द्वारा नीति निर्धारित कर प्रदेश के कृषकों की आय में वृद्धि की जा सकती है।
कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में फार्मेटोपिया प्राईवेट लिमिटेड, बंगलौर की श्रीमती श्रीकला राममूर्ति ने अपनी कंपनी द्वारा विकसित डिजिटल ऐप के बारे में बताया कि इसके द्वारा फसलवार विभिन्न किसानों से फसल उत्पादन में भाई समस्याओं तथा उनके निराकरण की जानकारी से संबंधित आकड़े किसानों को उपलब्ध कराये जाते हैं। इसी प्रकार हारचेस्ट ग्लोबल प्राईवेट लिमिटेड गुडगांव की श्रीमती प्रीती चौधरी ने रिमोट सेंसिंग के माध्यम से फसल आच्छादन उत्पादन के आंकड़ों को सटीक तरीके से एकत्रित किये जाने की बात कही गई। जिसके द्वारा सरकार को फसलवार आच्छादन लक्ष्य निर्धारित किये जाने के संबंध में नीति तैयार किया जाना सुलभ हो सकेगा।
1 हेक्टेयर, सीकल इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड, मोहाली के श्री नितिन गुप्ता ने प्रस्तुत किया कि उनकी कंपनी द्वारा एक दर्जन से अधिक औद्यानिक फसलों के फल कटाई / तुड़ाई हेतु यंत्र विकसित किये गये है जिनके द्वारा फलों की तुडाई सुलभ होगी साथ ही फलों के भण्डारण काल में अभिवृद्धि होगी। श्री गुप्ता ने वीडियो के द्वारा प्रस्तुतीकरण करते हुये दिखाया कि विभिन्न फल एवं सब्जियों के वेडिंग हेतु कम लागत की मशीन तैयार की गई है। सेश इट आऊट इंटेलीजेंट सोल्यूशन प्राईवेट लिमिटेड, पुणे के संस्थापक एवं सी.ई.ओ. श्री जसवीर सिंह ने पालीहाऊस एवं ड्रिप सिंचाई अन्तर्गत दो किलोमीटर की परिधि से सेशर तकनीक के माध्यम से सिंचाई का समय सिचाई
की मात्रा, सिचाई का प्लाट एवं विद्युत आपूर्ति को संसूचित किये जाने एवं मोबाइल से नियंत्रित किये जाने की तकनीकी का प्रस्तुतीकरण करते हुये अवगत कराया कि इस तकनीकी उपयोग से सिंचाई जल तथा ऊर्जा की 80 प्रतिशत तक बचत होती है तथा विद्युत आपूर्ति बाधित होने से सिंचाई प्रभावित नहीं होती है।
लोयड इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलाजी, ग्रेटर नोएडा के वरिष्ठ निदेशक प्रो. राजीव अग्रवाल तथा प्रो मनीष सारस्वत ने संस्थान द्वारा विकसित कृषि उपयोगी ड्रोन का प्रदर्शन किया तथा अवगत कराया कि संबंधित ड्रोन 10 लीटर कृषि रसायन सोल्यूशन को लेकर छिड़काव करने में सक्षम है तथा एक उड़ान में 12 मिनट तक निर्वाध छिड़काव कर सकता है। उन्होंने बताया कि संबंधित ड्रोन रू. 3.00 लाख में उपलब्ध है जिस सदर्भ में कृषि सचिव श्री अनुराग यादव द्वारा मशीन के प्रमाणीकरण तथा रेगुलेटरी मेकेनिज्म को संदर्भित करने का सुझाव दिया।
एग्रोनेक्सट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, नोएडा के संस्थापक एवं सी.ई.ओ. श्री रजत वर्धन द्वारा आई.आई.टी. कानपुर द्वारा विकसित सॉयल टेस्टिंग किट का प्रदर्शन करते हुये बताया कि भू परीक्षण यंत्र के नाम से इस उपकरण द्वारा 15 रु. प्रति सैम्पल के व्यय पर नाईट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, जीवाश कार्बन, सी.ई.सी. व क्ले की जांच दो मिनट में की जा सकती है। इसके लिये 5 से 10 ग्राम मृदा नमूने की आश्यकता होगी। उन्होंने इस यंत्र की कीमत रु 85 हजार बताई. इस यंत्र से अधिकतम 50,000 मृदा नमूनों की जांच की जा सकती है। इसके उपयोग की विधि अत्यंत सरल है तथा रसायनविहीन है। उन्होंने इसे कृषकों के लिये अत्यंत उपयोगी बताया है।
प्रगतिशील कृषक श्री विवेक चतुर्वेदी द्वारा एग्री-स्टार्टअप विकल्प द्वारा विकसित किये गये बैल चालित स्प्रिंकलर,
सोलर स्प्रिंकलर, विकल्प साइथ (खड़े-खड़े फसल कटाई करने वाला यंत्र), बैटरी चालित ई-ब्रश कटर बैटरी चालित
ई वीडर, सोलर मल्टीक्राप थ्रेशर कम चैफ कटर, विकल्प सीडर व बैल चालित ट्रैक्टर के संबंध में अपना प्रस्तुतीकरण
किया गया जो किसानों के लिये अत्यंत उपयोगी बताया गया।
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