एमिटी विश्वविद्यालय में एशियाई पहेली और उभरती सामरिक दुविधाओं पर वर्चुअल वैश्विक सेमिनार आयोजित
1 min readनोएडा, 29 नवम्बर।
छात्रों को एशिया में उभरती सामरिक दुविधाओं सहित रूस और यूक्रेन के युद्धों के कारण बनते प्रभाव की जानकारी प्रदान करने के लिए एमिटी सेंटर फॉर डिफेंस एंड स्ट्रैटजिक एनालिसिस द्वारा ‘‘एशियाई पहेली और उभरती सामरिक दुविधाओं’’ पर वर्चुअल वैश्विक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल महामहिम डा शेखर दत्त, सेंटर फॉर डिफेंस एंड सिक्येारिटी के सह संस्थापक एवं निदेशक लेफ्ट जनरल डी एस हुडा (सेवानिवृत्त), वेस्टर्न कमांड के पूर्व जनरल ऑफिसर कमाडिंग इन चीफ लेफ्ट जनरल आर पी सिंह (सेवानिवृत्त), साउथ वेस्टर्न कमंाड के पूर्व जनरल ऑफिसर कमाडिंग इन चीफ लेफ्ट जनरल आलोक सिंह क्लेर (सेवानिवृत्त), रक्षा मंत्रालय (भारतीय नौसेना) के इंटिग्रेटेड हेडक्वाटर की चीफ ऑफ पर्सनल वाइस एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी और एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर एमिटी सेंटर फॉर डिफेंस एंड स्ट्रैटजिक एनालिसिस के महानिदेशक लेफ्ट जनरल (डा) एस के गिडिऑक ने अतिथियों का स्वागत किया।
इस सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल महामहिम डा शेखर दत्त ने संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय सेना सदैव सफल रही है और कार्यो को समय सीमा के अंदर बेहतरीन तरीके से पूर्ण किया है। हाल मे ही यूक्रेन कई अन्य देशों को पीछे करके एक मजबूत सैन्य शक्ति के रूप में उभरा है, अन्य राष्ट्र भी रूस और यूक्रेन प्रभाव का सामना कर रहे है इसलिए उन्हे अवसरों का उपयोग करने और युद्ध से उभरते खतरो के समझ सुविचारित रणनीति बनाने की आवश्यकता है। एशिया में जापान ने अपनी नौसेना को मजूबत किया है इसके अतिरिक्त चीन और वियतनाम को अनदेखा नही किया जा सकता। परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए भारत को अन्य देशों को अपना समर्थन और सहायता देना चाहिए जो कई चुनौतियों से जुझ रहे है।
सेंटर फॉर डिफेंस एंड सिक्येारिटी के सह संस्थापक एवं निदेशक लेफ्ट जनरल डी एस हुडा (सेवानिवृत्त) ने कहा कि एशिया की क्षेत्रीय सुरक्षा पर यूक्रेन रूस युद्ध के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए हमें युद्ध के प्रभावों के बारे मे अच्छी तरह से जानकारी होनी चाहिए। युद्ध ने सैन्य और आर्थिक दोनो तरह से रूसी शक्ति को कमजोर किया है। जैसे ही पश्चिमी व्यवसाय रूस से बाहर हो जाते है चीन को रूस में अधिक आर्थिक स्थान मिल जायेगा। हांलॉंकि युद्ध के दीर्घकालिक प्रभाव का पता लगाना अभी बाकी है और इस पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी।
वेस्टर्न कमांड के पूर्व जनरल ऑफिसर कमाडिंग इन चीफ लेफ्ट जनरल आर पी सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा कि राष्ट्रीय हित हमेशा अत्यंत महत्वपूर्ण होते है जबकी वे पर्यावरण में बदलाव से तय होते हैं। एशिया के साथ दुनिया की कुल आबादी का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा है। 21वी सदी को एशियाई सदी कहा जा सकता है कयोंकि इस अवधि के दौरान एशिया ने सभी पहलुओं में कई गुना विकास किया है। भारत ने सभी क्षेत्रों मे विकास किया है किंतु अभी भी अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी के मामले में चीन से पीछे है इसलिए नीतियों में बदलाव करके विकास के लिए सुधारों की आवश्यकता है।
रक्षा मंत्रालय (भारतीय नौसेना) के इंटिग्रेटेड हेडक्वाटर की चीफ ऑफ पर्सनल वाइस एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा कि भूमि देशों को विभाजित करती है लेकिन समुद्र हमे जोड़ता है। समुद्र राष्ट्रों के बीच वाणिज्यिक व्यापार का एक महत्वपूर्ण साधन है इसलिए इसकी अधिक सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है। देश के रक्षा बलों द्वारा एक व्यापक, प्रतिस्पर्धी और सहयोगी रणनीति अपनाई जानी चाहिए। 2015 में भारत ने हिंद महासागर के लिए अपनी रणनीतिक दृष्टि यानी क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) का अनावरण किया है।
एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने कहा कि एमिटी का उददेश्य छात्रों को शिक्षण प्रदान करके, शोध और नवाचार के लिए प्रेरित करना और रक्षा और रणनिती निर्माण के क्षेत्र में देश का सहयोग करना है। 18 वी सदी यूरोप की थी 19 वी सदी अमेरिका की थी, 20 और 21वी सदी एशिया की है इसलिए भारत की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। आज भारत आर्थिक, सैन्य, ज्ञान की महाशक्ति बन रहा है और अगले 25 सालों में लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक व्यापक, परिणामोन्मुखी रणनीति बनाई जाए।
एमिटी सेंटर फॉर डिफेंस एंड स्ट्रैटजिक एनालिसिस के महानिदेशक लेफ्ट जनरल (डा) एस के गिडिऑक ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि युवा छात्रों के मस्तिष्क को प्रबुद्ध करने के लिए बदलते वैश्विक परिवेश में एशिया में भारत की भूमिका की जानकारी प्रदान करने के लिए इस सम्मेलन का आयोजन किया गया है। आज एशिया आर्थिक और वित्तीय मामलों में संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप पर भारी पड़ता है। इस संघर्ष माहौल ने अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर एशिया के महत्व को बढ़ा दिया है।
इस अवसर पर भारत शक्ती डॉट इन के एडिटर इन चीफ और सीईओ श्री नितिन ए गोखले, यूपीएसी के सदस्य लेफ्ट जनरल राज शुक्ला (सेवानिवृत्त), इंटिग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के पूर्व डिप्टी चीफ एयर मार्शल राजीव सचदेवा, नेशनल मैरिटाइम फांउडेशन के महानिदेशक वाइस एडमिरल प्रदीप चौहान (सेवानिवृत्त), नेशनल डिफेंस कॉलेज के पूर्व कमाडेंट एयर माशर्ल दिपतेंदु चौधरी (सेवानिवृत्त) आदि ने अपने विचार रखे।
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