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शहीद कैप्टेन शशिकांत शर्मा को श्रद्धांजलि देने -40 के टेम्परेचर पर सियाचिन पहुंचे सपत्नी छोटे भाई डॉ नरेश

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-(दुनिया के कठिन, ठंडे वा सबसे ऊंचे रण क्षेत्र पर शहीद कैप्टन शशि कांत को छोटे भाई द्वारा श्रद्धांजलि)

सियाचिन, 31 दिसम्बर।

दुनिया की सबसे कठिन, ठंडे वा ऊंचे रण क्षेत्र पर अमर शहीद कैप्टन शशि कांत शर्मा को छोटे भाई द्वारा श्रद्धांजलि। कोविड की वजह से वो पिछले साल नहीं जा सके। शहादत के बाद से हर साल की तरह इस साल शहीद कैप्टन शशि कांत शर्मा को सियाचिन के वार मेमोरियल मै रीथ लयिंग सेरेमनी मै पुष्प चक्र चढ़ा कर डॉ नरेश शर्मा वा उनकी पत्नी डॉ संगीता शर्मा ने श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके लिए उन्हें आर्मी के चीफ जनरल मनोज पांडेय द्वारा खास तौर से अनुमति मिली व सारा इंतजाम आर्मी द्वारा किया गया। हाल ही में बने वार मेमोरियल जो कि समुद्र तल से 13000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और अपने आप मै अनूठा है उसके डिजाइन वा कारेगरी के लिए। इस पर लिखा है कि सभी सियाचिन के वीर योद्धा सीधे स्वर्ग को जाते है क्‍यों की यहां सैनिक 22000 फीट पर -60 तापमान पर
दुश्मन का मुकाबला करते है और यहां सिर्फ बेस्ट ऑफ़ फ्रेंड्स और वर्स्ट ऑफ़ एनिमीज ही मिलने आते है। सियाचिन मैं कहा जाता है – *हमारा काम पूछना नहीं, बल्कि करना या मरना है”*

हर साल डॉ नरेश शर्मा जून या सितंबर मैं श्रद्धांजलि देने सियाचिन वार मेमोरियल ,जो कि सियाचिन बेस कैंप पर स्थित है जाते है पर *इस साल उन्होंने सियाचिन का सबसे ठंडा महीना चूना जो की दिसंबर था, ताकि वो भी -40 तापमान को महसूस कर सके* जिसमें उनके बड़े भाई ने ५ अक्टूबर को बाना लिसनिंग पोस्ट पर 22000 फीट पर -60 तापमान पर बतौर कंपनी कमांडर रहते हुए पाकिस्तानी सेना का मुंह तोड़ जवाब दिया वा बहादुरी से लड़ते हुए सर पर गोली लगने से दुनिया कि सबसे ऊंचे रण क्षेत्र की सबसे ऊंची पोस्ट (बाना लिसनिंग पोस्ट ) पर देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। आज भी उनके आखिरी शब्द अपनी मां को कहे, कान मै गूंजते है- “आ गया तो आपका बेटा नहीं तो देश का बेटा कहलाऊंगा”
सफर काफी कठीन रहा, बर्फ पर गाड़ी न फिसले, उसके लिए टायर पर चैन लगाई गई, शरीर नम करने वाली कड़ाके की ठंडी, 19000 फीट पर भारतीय पोस्ट पर हमे आधा ग्लास उबलती हुई चाय, जिसमे धुआं उठ रहा था दी गई और हमारे हाथ तक आते ही , पीने से पहले बर्फ की तरह ठंडी हो गई। भरपूर ऑक्सीजन ना होना , अव्यवस्थित स्थिति, सिर दर्द वा भूख नहीं लगना को दर किनार करते हुए पक्के इरादे के साथ आगे बढ़ते रहे। विपरीत परिस्थितियों से लड़ते हुए आखिर हम सियाचिन पहुंचे।

माता पिता की और से, डॉ नरेश शर्मा ने सियाचिन वार मेमोरियल पर पुष्प चडा कर नोएडा के वीर सपूत को श्रद्धांजलि अर्पित की। डॉ नरेश शर्मा ने बेस कमांडर से परमिशन लेकर अपनी मां को वीडियो कॉल किया जिन्होंने बेटे की शहादत के बाद आज तक सियाचिन नहीं देखा, वहां से शहीद कैप्टन शशि कांत शर्मा की मां श्रीमती सुदेश शर्मा को वीडियो कॉल द्वारा वार मेमोरियल वा बेस कैंप दिखाया गया।

शहीद कैप्टन शशि कांत शर्मा के अदम्य साहस वा सर्वोच्च बलिदान हेतु सियाचिन ब्रिगेड कमांडर द्वारा “स्क्रॉल ऑफ़ ऑनर” उनके छोटे भाई को प्रदान किया गया।
शहीद कैप्टन शशि कांत शर्मा के माता पिता,भाई वा पत्नी ने आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडेय वा सभी उच्च सैन्य अधिकारियों का तह दिल से आभार वयक्त किया।

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