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नोएडा: एमिटी विश्वविद्यालय में क्लिनिकल रिसर्च के लिए एमिटी सेंटर फॉर ट्रांसलेशन रिसर्च की स्थापना

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नोएडा, 18 जनवरी।

एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश में जीवनशैली आधारित रोगों के प्रबंधन के नैदानिक अनुसंधान की सुविधा के लिए एमिटी सेंटर फॉर ट्रांसलेशनल रिसर्च (एसीटीआर) की स्थापना की गई है। इस सेंटर का उददेश्य वर्तमान में प्रचलित समुदाय व्यापी बीमारियों के लिए उपचार के तौर तरीकों की पहचान करना है जिनकी बदलती जीवनशैली के कारण बढ़ने की उम्मीद है जिसमें अव्यक्त तपेदिक, कैंसर, पुरानी सूजन संबंधी रोग और आंत्र रोग आदि शामिल है। इस सेंटर का उददेश्य क्लिनिकल रिसर्च में उद्यमी बनने के लिए जैव चिकित्सा में पीएचडी की डिग्री पेशकश करके कुशल मानव संसाधन प्रदान करना है।

एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि एमिटी विश्व के अग्रणी संस्थानों में से एक है जिसका अनुसंधान और नवाचार पर विशेष ध्यान है। विश्व के महानतम वैज्ञानिकों को पोषित करने की अपनी प्रतिब़द्धता के साथ एमिटी ने एमिटी सेंटर फॉर ट्रांसलेशनल रिसर्च की स्थापना की है जो देश और दुनिया के वैज्ञानिक विकास में योगदान देने और भारत सरकार की आत्मनिर्भरता और स्वस्थता के मिशन को पूर्ण करने में सहायता प्रदान करेगा।

एमिटी सेंटर फॉर ट्रांसलेशनल रिसर्च के सहायक निदेशक और प्रोफेसर डा हदयेश प्रकाश ने कहा कि एमिटी सेंटर फॉर ट्रांसलेशनल रिसर्च की स्थापना क्लिनिकल इंटरफेस पर अत्याधुनिक शोध के माध्यम से स्वास्थय सेवा क्षेत्र के उत्थान में मदद करेगी। इसके अतिरिक्त विभिन्न राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं सहित अस्पतालों के सहयोग से सेंटर को नैदानिक अध्ययन करने में मदद मिलेगी जो नए फार्मास्युटिकल्स को मान्य करने के लिए महत्वपूर्ण है। डा प्रकाश ने कहा कि शहरीकरण और जीवनशैली से संबंधित परिवर्तनों के परिणामस्वरूप आज मनुष्यों में कई रोग उत्पन्न हो रहे है। इन विकारों के जटिल जीव विज्ञान को समझना स्वास्थय देखभाल प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है हालांकि मनुष्य अभी भी उन घटनाओं के सटीक क्रम के बारे में अनिश्चित है जिनके कारण स्वस्थ कोशिकाएं रोगग्रस्त हो जाती है। उन्होनें कहा कि कई साक्ष्य, रोगों के विकास में अांतरिक आणविक चालकों या संकेतों के साथ मिलकर माइक्रोबायोम की संरचना की भूमिका को बताते है। नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेसिंग और अन्य जीनोमिक तकनीकों ने जटिल रोगों के रोगजनन को समझने के लिए बहुक्रियात्मक विश्लेषण में शोधकर्ताओं की सहायता की है। एमिटी सेंटर फॉर ट्रांसलेशनल रिसर्च, फार्मास्युटिक्स और प्रभावी दवा खोज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।

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