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नोएडा में वैदिक पद्धति से मनेगी होली और होगा होलिका दहन, गौशाला में तैयार हो रहे 50 हजार उपले

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नोएडा, 20 फरवरी।

नोएडा में वैदिक पद्धति से होलिका दहन करने के लिए श्रीजी गोसदन में पचास हजार उपले बन रहे हैं। बीएचपी के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष श्री आलोक कुमार जी ने आयुर्वैदिक चिकित्सा को समर्पित इम्यूनिटी क्लीनिक में इस अभियान का लोकार्पण किया।

इस अवसर पर भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय वित्त मंत्री श्री महेश बाबू गुप्ता, लोकभारती के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख कुंवर नीरज सिंह,बुरांस साहित्य एवं कला केन्द्र के अध्यक्ष प्रदीप कुमार वेदवाल, डा. नरेश शर्मा, अध्यक्ष कामधेनु ट्रस्ट, एन. के. अग्रवाल,अध्यक्ष श्रीजी गोसदन, प्रमोद शर्मा कोषाध्यक्ष, मंगलमय परिवार और प्रवीण शर्मा, संपादक भारतीय धरोहर, उमानंदन कौशिक, मनीष गुप्ता(मौलिक भारत सचिव दिल्ली एन.सी.आर ), हर्ष कंसल,विकास पवार, छाया सिंह, अनिल चतुर्वेदी और पंकज त्रिपाठी भी उपस्थित रहे।

ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले भारतीय धरोहर, बुरांस साहित्य एवं कला केंद्र और लोकभारती की संयुक्त बैठक में निर्णय हुआ था कि नोएडा में वर्ष 2023 का होलिका दहन गाय के गोबर के बने उपलों से हो। बैठक में यह प्रस्ताव भी आया कि इस बार हानिकारक रासायनिक रंगों के बजाय प्राकृतिक रंगों और गुलाल से होली खेली जाये। नगर की अनेक सामाजिक संस्थाओं जैसे मंगलमय परिवार, श्रीजी गोसदन, भारत विकास परिषद ,और कामधेनु ट्रस्ट ने इस कार्य को एक अभियान के रूप में सब सेक्टरों की होलिका दहन समितियों तक ले जाने का निर्णय किया। फोनरवा और मौलिक भारत व भारतीय पर्व आयोजन समिति से भी इस अभियान में सहभागी होने की सहमति मिल गई है।

इस कल्पना को साकार करने के लिये श्री एन. के. अग्रवाल जी ने सैक्टर 94 स्थित गोशाला में उपलों का निर्माण आरंभ भी करवा दिया है ताकि कोई भी होलिका दहन आयोजन समिति वहां से उपले प्राप्त कर सके।

ज्ञात हो कि सरसों और गेंहू की फसल से उत्पन्न जो कीट दमा आदि अनेक रोगों का कारण हैं वह होलिका दहन में गोमय के प्रयोग से नष्ट हो जाते हैं।

इस अवसर पर भारतीय धरोहर के संपादकीय सहयोगी श्री बृजेश मिश्र ने बताया कि हल्दी में बेसन को दोगुनी मात्रा में मिलाकर सूखा पीला रंग बनाया जा सकता है। 1 लीटर पानी में दो चम्मच हल्दी उबालकर ठंडा कर लें और गीला पीला रंग बनायें। लाल रंग बनाने के लिये दो चम्मच रक्त चंदन को 1 लीटर पानी में उबालकर ठंडा कर लें। केसरिया रंग बनाने के लिये उज्जैन चंदन को किसी भी पूजा की सामग्री की अच्छी दुकान से खरीद कर पानी के साथ घिस कर होली का सुगंधित केसरिया तिलक बना सकते हैं और यदि किसी को सुगंधित पानी से निहलाना हो तो इसके लिये एक लीटर पानी में एक चम्मच उज्जैन चंदन मिलायें। सूखा हरा रंग बनाने के लिए मेहंदी पाउडर को गेंहू के आटे या मैदे के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर उपयोग करें। गीला हरा रंग बनाने के लिये दो चम्मच मेहंदी पाउडर को एक लीटर पानी में रात भर पड़ा रहने दें और सुबह छान कर प्रयोग करें। पांच चम्मच नील को दस लीटर पानी में घोल कर नीला रंग प्राप्त करें।

बैठक में उपस्थित वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य और पूर्व प्रधानाचार्य आयुर्वेद एवं यूनानी तिबिया काॅलेज दिल्ली प्रो. बी. एन. सिन्हा का कहना है कि होली का पर्व बसंत ऋतु में आता है यह कफ के प्रकोप का काल है स्वाभाविक रूप से सुस्ती और आलस्य रहता है होली खेल कर हम अपने शरीर और मन को स्फूर्ति से भर देते हैं। साथ ही साथ इस पर्व पर गरिष्ठ भोजन के सेवन से बचना चाहिये।

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