नोएडा खबर

खबर सच के साथ

एमिटी यूनिवर्सिटी में पीटीपीपीबीटी सम्मेलन

1 min read

 

नोएडा, 17 मार्च।

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फार्मेसी द्वारा भारत सरकार के विज्ञान और तकनीकी विभाग के साइंस एंड इंजिनियरिंग रिसर्च बोर्ड के सहयोग से ‘‘फार्मास्युटिकल टेक्नोलॉजी, फाइटोफार्मास्युटिकल्स और बायोलॉजिक्लस: रूझाान 2023’’ विषय पर अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का शुक्रवार को आयोजन किया गया।

इस सम्मेलन का शुभारंभ ल्युपिन के शोध एंव विकास के पूर्व निदेशक डा राजन गोयल, इंडियन फार्मेसी ग्रेजुएट एसोसिएशन के अध्यक्ष डा अतुल नासा, ताकेडा इंडिया के पूर्व एमडी डा अशोक भट्टाचार्या, बीएस अनंगपुरिया गु्रप ऑफ इंस्टीटयूशन के निदेशक डा आर के खार, जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर डा संजुला बबूटा, एमिटी विश्वविद्यालय के हैल्थ एंड एलाइड साइंस के डीन डा बी सी दास और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फार्मेसी के निदेशक डा संदीप अरोरा द्वारा किया गया।

ल्युपिन के शोध एंव विकास के पूर्व निदेशक डा राजन गोयल ने संबोधित करते हुए कहा कि अनुमानित समय सीमा के भीतर सफलता सुनिश्चित करने के लिए सही खोज और अनुसंधान परियोजना का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। नवीनतम फार्मास्युटिकल उद्योग के रूझान और नवाचारों मे एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, प्रिसिजन मेडिसिन, डिजिटल थेराप्यूटिक्स, बिग डेटा एंड एनालिटिक्स, फ्लेक्सिबल प्रोडक्शन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लाकचेन शामिल है। नई दवा खोज और विकास अनुसंधान में सफलता का स्वाद चखने के मंत्र में असफल होना, सीखना और सुधार करना शामिल है क्योकी बिना असफलता के कोई सफलता नही हो सकती। इसलिए शोधकर्ताओं को उनके द्वारा खोजी गई दवाओं की विफलता से निराश नही होना चाहिए और उन्हे बेहतर बनाने के लिए लगातार काम करना चाहिए।

इंडियन फार्मेसी ग्रेजुएट एसोसिएशन के अध्यक्ष डा अतुल नासा ने संबोधित करते हुए कहा कि इस तरह के सम्मेलन फार्मास्युटिकल क्षेत्र में नवीनतम विकास पर छात्रों को ज्ञान प्रदान करने में बेहद फायदेमंद होते है। आज फाइटोफार्मास्युटिकल्स कोविड 19 सहित कई रोगों की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नई दवाओ ंऔर टीकों के विकास में फार्मास्युटिकल उद्योग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने एक नई क्रंाति को प्रारंभ किया है।

ताकेडा इंडिया के पूर्व एमडी डा अशोक भट्टाचार्या ने कहा कि छात्रों को ऐसे प्रख्यात संस्थान एमिटी में अध्ययन करने का अवसर प्राप्त होने पर गर्व महसूस करना चाहिए और अवसरों का लाभ उठाना चाहिए। दवा की खोज के क्षेत्र में उद्योग और शिक्षा जगत को हाथ मिलाना चाहिए। 70 प्रतिशत वैश्विक टीके भारत से है लेकिन मात्रात्मक से गुणात्मक अनुसंधान में बदलाव की आवश्यकता है। भारत दवा की खोज में विश्व में अग्रणी बन सकता है केवल एमिटी जैसे अनुसंधानिक माहौल बनाने की आवश्यकता है। छात्रों को केवल डिग्री प्राप्त करने की बजाय बड़े सपने देखने चाहिए और उद्यमी बनकर देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए।

एमिटी विश्वविद्यालय के हैल्थ एंड एलाइड साइंस के डीन डा बी सी दास ने कहा कि स्वास्थय क्षेत्र मे फार्मेसी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए आप छात्रों की जिम्मेदारी बनती है कि रोगों के लिए सुरक्षित दवाओं की शोध करें। एमिटी सदैव छात्रों को शोध व नवाचार के लिए प्रोत्साहित करताहै और इस प्रकार के सम्मेलन छात्रों को विकास का मार्गदर्शन प्रदान करते है।

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फार्मेसी के निदेशक डा संदीप अरोरा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस दो दिवसीय सम्मेलन में देश विदेश से विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, अकादमिक और शोधार्थि हिस्सा ले रहे है। कंप्युटशनल फार्मास्युटिकल में एआई, मशीन लर्निंग के साथ एलगॉरिदम का उपयोग हो रहा है। हमें शोध के लिए परिणामों हेतु अंतःविषयक दृष्टिकोण अपनाना होगा।

इस अवसर पर अतिथियों द्वारा सम्मेलन आधारित पुस्तक का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फार्मेसी के डा तनवीर नावेद भी उपस्थित थे। सम्मेलन के अंर्तगत मोहाली के एनआईपीईआर के डा अरविंद बंसल, हैदराबाद के एनआईपीईआर के डा सौरभ श्रीवास्तव, यूएस के बिल गेटॉन कॉलेज की डा आशना पुरी ने अपने विचार रखे।

 6,049 total views,  2 views today

More Stories

Leave a Reply

Your email address will not be published.

साहित्य-संस्कृति

चर्चित खबरें

You may have missed

Copyright © Noidakhabar.com | All Rights Reserved. | Design by Brain Code Infotech.