अमृत महोत्सव पर विशेष, घर घर मे है आज दीवाली
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शीर्षक राष्ट्र गौरव
विधा कविता
कटी बेड़ियाँ भारत मां की,
है हर चेहरे में खुशहाली।
उल्लासित उत्साहित हर जन,
घर घर में है आज दीवाली।।
उन्नत शिखर में भारत पहुंचे,
करें सभी इसका गुणगान।
सभी क्षेत्र में शीर्ष प्राप्त हो,
रुके नहीं अब यह अभियान।।
प्रज्वलित रहे लौ राष्ट्र प्रेम की,
व्यर्थ न जाये यह बलिदान।
सच में जिनका त्याग अमर है,
उनकी महिमा बहुत महान।।
अमर रहे यह गौरव गाथा,
सच ही अब इतिहास बनें।
नाम लिखे हों स्वर्णाक्षर में,
सर्वदा उचित सम्मान रहे।।
त्याग तपस्या कर्म योग से,
हौले हौले बढ़ना है।
चूक कहीं न होने पाये,
पौड़ी पौड़ी चढ़ना है।।
आने वाली संततियों को,
हम सच्चा इतिहास बतायें।
बूझें कैसे थे अमर वीर,
भूतकाल का बोध करायें।।
जाति धर्म का भेद भुला दें,
ईर्ष्या द्वेष का नाम न हो।
सजती हो सब में समरसता,
कर्म का अपना मानक हो।।
वैदिक योग संस्कृति शिक्षा,
शंखध्वनि गुन्जारित हो।
अगर कोई है राष्ट्र द्रोही,
त्वरित वेग प्रताड़ित हो।।
विज्ञान और तकनीकी संगम,
करें सार्थक सदा प्रयास।
स्वस्थ सुखी हो जीवन सबका,
मन में सदा रहे उल्लास।।
स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित रचना
इं बृज उमराव
कानपुर उत्तर प्रदेश
मो 7905300105
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खबर. काम का देश एवं समाज सेवा में बहुत सराहनीय प्रयास
नमन वंदन अभिनंन्दन।