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नोएडा खबर डॉट कॉम का सर्वे, 60 प्रतिशत अभिभावक चाहते हैं कि पहले मिले दवाई, फिर स्कूल जाएं बच्चे

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नोएडा खबर डॉट कॉम का सर्वे, 60 प्रतिशत अभिभावक नहीं चाहते है कि अभी स्कूल खुलें

-सर्वे में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 3000 लोगों ने लिया हिस्सा
-अभिभावकों के कई संगठनों ने खुलकर रखी राय
-पीएम के भाषण का किया उल्लेख, जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं
-यूपी में 23 से कक्षा 6 से 8 तक और एक सितंबर से पांचवी तक के स्कुल खोलने का हो चुका आदेश
नोएडा खबर डॉट काम न्यूज ब्यूरो
नोएडा, 22 अगस्त
कोरोना के दौर में लंबे समय से स्कूल बंद हैं। अब उत्तर प्रदेश सरकार ने 16 अगस्त से कक्षा 9 से 12 वीं तक के स्कूल खोल दिए हैं। कक्षा छह से आठ तक के स्कूल 23 अगस्त से और कक्षा एक से लेकर पांचवी तक के स्कूल एक सितंबर से खोले जाने का आदेश सरकार की तरफ से जारी हो चुका है। इस आदेश के बावजूद स्कूलों में पैरंट्स अपनी मर्जी से बच्चों को स्कूल भेजने को राजी नहीं है। उनका कहना है कि सरकार पहले ही जब लोगों को कह चुकी है कि जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं तब क्यों सरकार खुद बच्चों को जोखिम में डालना चाहती है जबकि केंद्र सरकार का स्वास्थ्य मंंत्रालय आगाह कर चुका है कि सितंबर में तीसरी लहर आने वाली है। ऐसे समय में अभिभावकों के मन में डर है। 60 प्रतिशत अभिभावकों का कहना है कि अभी स्कूल खोला जाना ठीक नहीं है।
नोएडा खबर डॉट काम ने इसी को आधार बनाकर सोशल मीडिया के जरिए सर्वे किया। इस सर्वे में कुल 122 लोगों ने वोट दिया। इसके साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से लगभग तीन हजार लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें नोएडा शहर की जानी मानी संस्था फोनरवा, नोवरा ( नोएडा विलेज रेजिडेंट्स एसोसिएशन, नेफोमा, आल नोएडा स्कूल पैरंट्स एसोसिएशन(एएनएसपीए),गौतमबुद्ध नगर पैरंट्स वेलफेयर सोसायटी(जीपीडब्ल्यूएस) आदि ने भी भागीदारी की। नोएडा खबर डॉट कॉम के सर्वे में लोगों की बडी संख्या में भागीदारी से कहा जा सकता है कि यह जनता की राय है। वोट के आधार पर कहा जा सकता है कि 60 प्रतिशत का मत था कि अभी स्कूल खोला जाना ठीक नहीं है। जबकि सिर्फ 11 प्रतिशत लोगों का कहना है कि यह सही समय है। 25 प्रतिशत अभिभावकों का कहना है कि स्कूल खुलेंगे तो ऐसे में बच्चों के लिए खतरा बढेगा। बच्चे एक दूसरे से मिलेंगे तब उसे नियंत्रित करना मुश्लिक होगा। सिर्फ चार प्रतिशत लोग ऐसे थे जिनका कहना है कि स्कूल खुलने के बाद बच्चों को स्कूल में कोई खतरा नहीं होगा। आईए अब आपको बताते हैं कि कुछ लोगों ने लिखकर अपनी राय भी जाहिर की।
नोवरा के अध्यक्ष रंजन तोमर ने साफ किया है कि अभी स्कूल खोलना जल्दबाजी होगी स्पेशली जब बच्चों का टीका जल्द आने वाला है। वैसे ही स्वास्थ्य विभाग सितंबर में बच्चों की तीसरी लहर की आशंका व्यक्त कर चुका है। आल नोएडा स्कूल पैरंट्स एसोसिएशन की तरफ से कहा गया है कि जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं, ऐसे में कैसे अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने का रिस्क ले सकते हैं। रिचा बंसल कहती हैं कि कार्यालयों भी पूरी क्षमता के साथ नहींं खुले हैं यह तीसरी लहर से निपटने का टेस्टिंग का दौर है। ऐसे में स्कूल खोलना सही कदम नहीं होगा। सेक्टर 22 निवासी गुलशन शर्मा का कहना है कि कक्षा 9 से 12 तक के स्कूलों में सुबह व शाम की दो शिफ्ट की गई है। बहुत से बच्चे ऐसे हैं जो सुबह जाना चाहते हैं मगर स्कूल उन्हें शाम को बुला रहे हैं। ऐसे में कैसे पढ़ाई हो पाएगी।
अभिभावक श्री दीपक का कहना है कि समझ नहीं आ रहा है कि सरकार इतनी जल्दी में क्यों है। स्कूल खोलने से पहले स्कूलों की आडिट करानी जरूरी है कि क्या वे कोरोना के मानकों पर खऱे उतरेंगे। इस सर्वे में जिन लोगों ने अपनी राय जाहिर की है उनमें यतेंद्र कसाना, विकास बंसल, मनोज कटारिया, के के जैन, ब्रजेश गुर्जर, जागरूक समाज, हिमांशु शेखर झा,आर, केसिंह, विकास शर्मा, आदि भी शामिल हैं।   एडवोकेट अनुभा श्रीवास्तव कहती हैं कि वैक्सीन नहीं तो स्कूल नहीं पर अमल होना चाहिए। आल नोएडा स्कूल पैरंट्स एसोसिएशन का कहना है कि सरकारी दफ्तर तो फिर बच्चों पर प्रयोग कहीं चुनावी महत्वाकांक्षा तो नहीं , स्कूल खोलने के आदेश भर से हो जाएगी आवश्यक व्यवस्था, बच्चों का आवागमन, सुरक्षा, स्वास्थ्य सभी अभिभावकों के भरोसे से हो रहा है।
प्रभात द्विवेदी ने एक नया सवाल उठाते हुए कहा है कि जब वर्क फ्राम होम बंद नहीं हुआ तो स्कूलों कैसे   खुल रहे हैं जबकि कार्यालयों में तो फिर भी ज्यादा सतर्कता होती है ऐसे में बच्चों के साथ रिस्क क्यों भला। नोएडा खबर डॉट कॉम की राय
इस सर्वे से यह साफ हो गया है कि जब दवाई नहीं तब तक कोई ढिलाई नहीं का मंत्र प्रधानमंत्री ने  दिया है तब स्कूलों को खोलने से पहले स्कूल मैनेजमेंट की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए जैसे कंपनियों में कंपनी मैनेजमेंट की है या सरकारी कार्यालयों में भी सरकार की है। ऐसे ही स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूलों की हो औऱ सब कुछ अभिभावकों पर डालना ठीक नहीं है। जब सितंबर में बच्चों की दवाई  आ रही है तब थोडा इंतजार और सही।
(नोएडा खबर डॉट कॉम से प्रियंका शर्मा की रिपोर्ट )

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