प्रोग्रेसिव कम्युनिटी फाउंडेशन ने जिलाधिकारी को भेजा पत्र, सर्कल रेट से कम बिक्री के आधार पर सम्पत्ति की वास्तविक मूल्य पर कराएं रजिस्ट्री
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नोएडा, 25 अगस्त। प्रोग्रेसिव कम्युनिटी फाउंडेशन ने जिलाधिकारी गौतमबुद्धनगर सुहास एल वाई के नाम एक पत्र लिखकर सम्पत्ति की बिक्री होने पर सर्कल रेट से कम पर रजिस्ट्री की अनुमति देने की मांग की है। इस सम्बंध में फाउंडेशन की तरफ से एस के जैन ने पत्र भेजा है।
पत्र में कहा गया है कि नोएडा ग्रेटर नोएडा में संपत्ति की खरीद-फरोख्त के संबंध में बहुत से स्थानों पर संपत्ति के वास्तविक मूल्य उन स्थानों की पूर्व निर्धारित सर्किल रेट से काफी कम है । ऐसी स्थिति में क्रेता और विक्रेता के बीच एक असहज सी स्थिति पैदा हो जाती है। एक तो क्रेता को पूर्व निर्धारित सर्किल रेट के आधार पर स्टांप की गणना होने के कारण ज्यादा स्टांप खरीदने पड़ते हैं दूसरी ओर आयकर अधिनियम भारत सरकार क्रेता और विक्रेता के बीच होने वाले विक्रय अनुबंध में संपत्ति को उस स्थान की वास्तविक मूल्य की बजाएं पंजीकृत मूल्य पर आय की गणना की जाती है। जिससे कि क्रेता और विक्रेता को बेवजह की परेशानियां उठानी पड़ती है और आयकर भी उसी हिसाब से ज्यादा चुकाना पड़ता है एवं वित्तीय अनियमितताओं का सामना करना पड़ता है।
फाउंडेशन ने कहा है कि हमारे पास गौतम बुध नगर से ऐसे बहुत से मामले आए हैं जिनमें कि क्रेता विक्रेता के बीच संपत्ति का स्थानांतरण वास्तविक मूल्य उस स्थान के पंजीकृत कराने हेतु निर्धारित सर्किल रेट से काफी कम है। ऐसी स्थिति में काले धन का लेन-देन भी बेवजह होता है। क्योंकि वास्तविक मूल्य के आधार पर क्रेता और विक्रेता एक दूसरे को ज्यादा सर्किल रेट पर पंजीकरण कराने के बाद भी पैसे को काले धन के रूप में कैश मैं लेनदेन करते हैं ज्यादा दिया धन कैश में वापस लेते हैं । जो कि वास्तव में गलत है और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के डिजिटल इंडिया के सपने के विरुद्ध भी है। जहां एक और भारत सरकार सारा लेन-देन बैंकों अथवा डिजिटल ही करना चाहती है वहीं दूसरी ओर इस तरह की संपत्ति बिक्री पर काले धन का लेनदेन बेवजह होता है।
एस के जैन ने जिलाधिकारी से आग्रह किया है कि ऐसी स्थिति में क्रेता और विक्रेता को वास्तविक मूल्य के आधार पर पंजीकरण कराने हेतु अपने विवेकाधिकार से अनुमति देने की व्यवस्था कराएं। जिससे कि क्रेता और विक्रेता को बेवजह ज्यादा स्टांप ड्यूटी ना देनी पड़े और आयकर भी ज्यादा ना देना पड़े। और क्रेता और विक्रेता आयकर की गणना वास्तविक मूल्य के आधार पर कर सकें।
इससे पूर्व में भी फाउंडेशन सर्किल रेट्स के संबंध में एक पत्र हर स्थान के वास्तविक मूल्य के आधार पर ही तय करने हेतु जिलाधिकारी से निवेदन कर चुके हैं।
यद्यपि शहर में पंजीकरण हेतु वास्तविक मूल्यों के आधार पर सर्किल रेट्स का निर्धारण एक सही मापदंड होगा एवं जन उपयोगी भी होगा किंतु ऐसी स्थिति में यदि वास्तविक मूल्य के आधार पर सर्किल रेट्स का निर्धारण नहीं हो पा रहा है तो ऐसी व्यवस्था करना जरूरी है जिसमें की क्रेता और विक्रेता जिलाधिकारी के पास एक आवेदन देकर यदि उनकी बिक्री का अनुबंध सर्किल रेट से कम पर होता है तो उन्हें जिला प्रशासन द्वारा जांच पड़ताल करके अनुमति दिलाने की व्यवस्था कराने का कष्ट करें।
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