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नोवरा को आरटीआई में मिला जवाब, नोएडा प्राधिकरण की आर डब्ल्यू ए को मान्यता देने की कोई वैधानिक नीति नही

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-आरटीआई के जवाब में प्राधिकरण ने किया साफ़ , आरडब्लूए मान्यता की नहीं है कोई नीति
-नोवरा द्वारा पूछे गए कई तीखे सवाल फिर ग्रामीण आरडब्लूए के साथ भेदभाव किस नीति के तहत

नोएडा, 27 अगस्त।

शहर के 81 गाँवों के लिए कार्य करने वाली समाजसेवी संस्था नोएडा विलेज रेसिडेंट्स एसोसिएशन के द्वारा अपने अध्यक्ष श्री रंजन तोमर के माध्यम से लगाई गई एक आरटीआई से कई सुलगते हुए सवाल पैदा हुए हैं , नोएडा प्राधिकरण से पहले सवाल में पूछा गया था कि उसके द्वारा आरडब्लूए की मान्यता सम्बंधित कोई नीति यदि हो तो वह साझा की जाए , जिसके जवाब में प्राधिकरण ने ऐसी किसी भी नीति के होने से साफ़ इंकार किया है। आगे प्राधिकरण कहता है कि क्यूंकि आरडब्लूए सोसाइटी कानून के तहत रजिस्टर होते हैं इसलिए वह इनके गठन से सम्बंधित किसी भी कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं करता।

बिना मान्यता नीति के शहरी आरडब्लूए भी होंगी कमज़ोर , ग्रामीण आरडब्लूए को कमतर माना जाता है
नोवरा का आरोप है के यदि प्राधिकरण एक नगर निगम की तरह काम करना चाहता है तो वह आरडब्लूए मान्यता की एक नीति क्यों नहीं बनाता , क्यों ग्रामीण आरडब्लूए को शहरी आरडब्लूए से कमतर माना जाता है ? गौरतलब है कि ग्रामीण आरडब्लूए को शहरी रेसिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के बराबर अधिकार नहीं दिए जाते , ग्रामीण क्षेत्रों में न लोकल बॉडी है न ही ग्राम पंचायत , ऐसे में आरडब्लूए का गठन ही एकमात्र विकल्प रह गया है , जिन्हे भी प्राधिकरण नहीं मानता , कई बार ग्रामीणों ने प्रदर्शन भी किया है लेकिन कभी भी उन्हें बराबरी का अधिकार नहीं मिला , यहाँ तक की शहर की तर्ज़ पर बरात घरों का संचालन तक ग्रामीण समितियों या आरडब्लूए को नहीं मिला , जिसका मूल कारण है आरडब्लूए की मान्यता नीति न होना,लेकिन यहाँ सवाल यह भी उठता है के जब यह नीति शहरी एसोसिएशन के लिए भी नहीं है तो उन्हें कैसे बरात घर प्रदान किये जा सकते हैं। यदि प्राधिकरण की कोई नीति ही नहीं है तो ग्रामीण आरडब्लूए और शहरी आरडब्लूए को बराबरी का अधिकार क्यों नहीं दिया जाता जबकि दोनों ही सोसाइटी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हैं ,

यदि नहीं है कोई नीति तो एक ही सोसाइटी एक्ट से रजिस्टर हुए ग्रामीण एवं शहरी आरडब्लूए में अंतर क्यों करता है प्राधिकरण
यदि प्राधिकरण की कोई मान्यता नीति नहीं है तो फिर ग्रामीण और शहरी आरडब्लूए के बीच प्राधिकरण अंतर क्यों करता है , इसका सीधा उदाहरण है बरात घर मुद्दे में प्राधिकरण द्वारा ग्रामीण आरडब्लूए या समितियों को बरात घर का सञ्चालन का प्रदर्शन करने के बाद भी न देना जबकि अपने दूसरे जवाब में प्राधिकरण कहता है के ‘यदि सेक्टरों में निर्मति सामुदायिक केंद्र अनुज्ञा – अनुबंध के आधार पर सञ्चालन हेतु आरडब्लूए द्वारा मांग की जाती है तो प्राधिकरण द्वारा वर्तमान में निर्धारित अनुज्ञा अनुबंध की नियम एवं शर्तों के आधार पर 2 वर्षों के समयावधि के लिए सामुदायिक केंद्र का हस्तांतरण /संचालन हेतु दिया जाता है।

लब्बोलुआब यह कि प्राधिकरण को ग्रामीण एवं शहरी आरडब्लूए से रिश्तों सम्बन्धी नीति स्थापित करनी होगी जिसमें दोनों को बराबर अधिकार मिलें और ग्रामीणों के साथ भेदभाव न हो सके।

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