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जीपीडब्ल्यूएस ने तीसरी लहर की आशंका के बावजूद छोटे बच्चों के स्कूल खोलने के फैसले पर नाराजगी जताई, कहा यह तानाशाही, खतरे में पड़ सकती है जान

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नोएडा, 31 अगस्त।
जीपीडब्ल्यूएस (गौतमबुद्धनगर पेरेंट्स वेल्फेयर सोसाइटी) ने उत्तर प्रदेश सरकार के बच्चों को बिना टीकाकरण (वैक्सीनेशन) एवं बिना अभिभावकों की सहमति के ही एक सितंबर से कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों के लिए स्कूल खोलने के रवैय्या को तानाशाही तथा बच्चों की जान संकट में डालने वाला बताया है।
जीपीडब्ल्यूएस के संस्थापक ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने सीनियर विद्यार्थियों (कक्षा 9 से 12) के लिये 16 अगस्त से स्कूल खोले थे परन्तु आज भी दसवीं व बारहवीं कक्षाओं की उपस्थिति 40 प्रतिशत से अधिक नहीं हो पायी है जबकि कक्षा 9 व 11 के विद्यार्थियों का स्कूल में उपस्थिति का प्रतिशत 10 से अधिक नहीं हो पाया जिसके कारण अधिकांश स्कूलो ने मजबूरन बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देनी पड़ रही है। 23 अगस्त से कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों के लिए स्कूल खोलने की घोषणा होने के बाद भी अभिभावकों ने कोरोना संक्रमण के डर के कारण अपने बच्चों को अभी तक स्कूल नहीं भेजा है इस पर कुछ स्कूलो के प्रबंधको ने 26 अगस्त के स्थान पर 1 सितंबर से स्कूल खोलने की घोषणा कर दी है। अभिभावको को अभी सितंबर-अक्टूबर में अनुमानित कोविड 19 की तीसरी लहर का डर सता रहा है। वे अपने जीवन में दूसरी लहर का कहर देख चुके हैं अब अभिभावक बच्चों के लिए वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण नीति आयोग एम्स जैसे संस्थान सरकार को कोरोना की तीसरी लहर के प्रति सचेत कर रहे हैं आगरा मथुरा फिरोजाबाद आदि जनपदों में फ्लू के सैकड़ों केस भी सामने आ रहे हैं जिसमें फ्लू या कोरोना संक्रमित बच्चों को पहचानना मुश्किल होगा तथा कुछ समय पूर्व कर्नाटक की उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री बी वी नागरत्ना एवं न्यायमूर्ति श्री पी कृष्णा भट की खण्डपीठ ने स्कूल खोलने पर कोविड 19 के सुपर स्प्रेडर जैसी परिस्थिति होने की संभावना व्यक्त की थी।
अध्यक्ष कपिल शर्मा व उपाध्यक्ष योगेश भगौर ने कहा है कि जीपीडब्ल्यूएस गूगल सर्वे के साथ-साथ ट्विटर पर भी अभिभावकों की राय जानने का प्रयास कर रही हैं । जब बड़ी कक्षाओं में विद्यार्थियों की उपस्थिति इतनी कम है तो जूनियर बच्चों के लिए सरकार अभी स्कूल क्यों खोल रही है ।

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