एमिटी विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने कवक रुटोनिक का गन्ने और धान की फसल पर किया रिसर्च
1 min readनोएडा, 11 सितम्बर।
एमिटी विश्वविद्यालय के शिक्षकों और शोधार्थियों ने खेत परीक्षण करके रूटोनिक के नवीनतम नतीजे जान कर इस दवा की गन्ने व धान की फसल पर भी सफलता पूर्वक परीक्षण का दावा किया है। इस दवा की खोज एमिटी वैज्ञानिक डा अजित वर्मा द्वारा कवक रूटोनिक के रूप में की गई है।
एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा सदैव किसानों की उत्पादन को बढ़ाने और लागत को कम करने के लिए प्रयोगशाला और खेतों में प्रयोग करने का कार्य किया जाता है। इसी क्रम एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नालॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा अजित वर्मा द्वारा खोज की गई फसलों की उत्पादकता बढ़ाने वाले जादूई कवक रूटोनिक – पीरीफार्मोस्पोरा इंडिका को बुलंदशहर के औरंगाबाद अहिर गांव के किसानों को धान एवं गन्ने की फसल के लिए प्रदान किया गया था। आज एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नालॉजी के डिप्टी डायरेक्टर डा अमित खरकवाल के नेतृत्व में 10 शिक्षको और 19 पीचडी छात्रों, शोधार्थियों की टीम ने खेत परीक्षण करके फसलों के सकरात्मक और बेहतर विकास के नतीजे प्राप्त किये ।
एमिटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक द्वारा खोजे गये रूटोनिक – पीरीफार्मोस्पोरा इंडिका का धान की खेती में उपयोग करने वाले कृषक श्री सुधीर कुमार और श्री नकुल ने बताया कि उन्होनें धान 1509 और शरबती में इसका उपयोग किया है जिससे इस बार कीड़े लगने की समस्या बहुत कम हो गई है जिससे कीटनाशक और अन्य दवाओं के छिड़काव का खर्चा कम हुआ है और लागत भी लगी है। उन्होनें कहा कि फसलों की बढ़त सहित धान की बालियों का विकास दिख रहा है।
रूटोनिक का गन्ने की फसल में उपयोग करने वाले कृृषक सुरेद्र यादव ने कहा कि उन्होनें गन्ने के दो प्रकार 15023 ंऔर 39 में इसका उपयोग किया है। जिस गन्ने की फसल में इसका उपयोग नही हुआ है उसकी तुलना में रूटोनिक का उपयोग किये गये गन्ने की फसल अधिक विकसित और गन्ने की लंबाई और मोटाई भी अधिक है। उन्होनें कहा कि रूटोनिक के उपयोग से फसल में कीड़े नही लगे है जिससे रसायनों और कीटनाशकों पर होने वाले खर्चे में कमी आई है और आशा है कि फसल कटने पर हर वर्ष से अधिक उत्पादन प्राप्त होगा।
इस अवसर पर बुलंदशहर के औरंगाबाद अहिर गांव में किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नालॉजी के डिप्टी डायरेक्टर डा अमित खरकवाल, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नालॉजी के डा नवीन जोशी, डा आरती मिश्रा सहित अन्य शिक्षको द्वारा किसानों को जानकारी प्रदान की गई। इस अवसर पर औरंगाबाद अहिर गांव के प्रधान श्री रोहताश यादव द्वारा सभी का स्वागत किया गया।
एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नालॉजी के डिप्टी डायरेक्टर डा अमित खरकवाल ने कहा कि कवक रूटोनिक – पीरीफार्मोस्पोरा इंडिका के उपयोग से अन्न की उत्पादकता बढ़ती है और धान में कीड़े कम लगते है जिससे पैदावार बेहतर बनती है। मृदा की गुणवत्ता बढ़ती और उसमें निरंतर सुधार होता रहता है। डा खरकवाल ने कहा कि इसके उपयोग के उपरांत कीटनाशक की आवश्यकता अत्यंत कम हो जाती है जिससे आपकी लागत में कमी होती है। उन्होनें कहा कि आने वाले अगली सरसों और गेहॅू की खेती में भी इसका उपयोग करें। सरसों की पैदावार अच्छी होगी तो तेल भी अच्छा निकलेगा। एमिटी का उददेश्य किसानों के अन्न का उत्पादन बढ़ाना और लागत को कम करना है जिससे उनकी आय अधिक हो और किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए सदैव कार्य किया जाता है।
औरंगाबाद अहिर गांव के प्रधान श्री रोहताश यादव ने कहा कि आज एमिटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा बहुत ही उत्तम जानकारी प्रदान की गई और हम इस जानकारी और रूटोनिक का उपयोग करके अवश्य लाभ प्राप्त करेगे। गांव के कुछ कृषक भाइयों ने धान एवं गन्ने की फसल में रूटोनिक का उपयोग किया है और बेहतरीन सकरात्मक नतीजे प्राप्त किये है जिसने हम सभी को प्रभावित किया है। उन्होनें एमिटी विश्वविद्यालय को सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
विदित हो कि औरंगाबाद अहिर गांव में कुल पांच किसानो ने रूटोनिक का उपयोग किया है जिसमें दो कृषकों ने गन्ने की फसल में और तीन कृषकों ने धान की फसल में बीजों को रूटोनिक से उपचारित करके बोया है और सभी को सकरात्मक नतीजे प्राप्त हो रहे है। इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नालॉजी के डिप्टी डायरेक्टर डा अमित खरकवाल ने गांव के 15 किसानों को रूटोनिक के पैकेट निशुल्क प्रदान किये।
इस एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नालॉजी के डिप्टी डायरेक्टर डा अमित खरकवाल द्वारा विकसित एमिटी बायोफर्टीलाइजर एचएनबी 9 के उपयोग करने वाले धान की फसल का परिक्षण भी किया गया। इस कार्यक्रम में गांव के कृषक श्री विनोद कुमार, जुडो कोच एवं कृषक श्री कमल यादव और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नालॉजी के रिसर्च एस्सिटेंट श्री विवेक यादव उपस्थित थे।
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