उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना अनाथ बच्चों के लिए लाएगी रोशनी
1 min readउत्तर प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना, कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों के जीवन में लायेगी रोशनी
लखनऊ 1 जुलाई।
वैश्विक स्तर पर कोविड-19 महामारी का प्रकोप पूरे विश्व की जनसंख्या को प्रभावित किया है। भारत में कोरोना की दूसरी लहर बड़ी तेजी से फैली और अपने डेढ़-दो माह के फैलाव से काफी लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। कोरोना के फैले संक्रमण से उत्तर प्रदेश भी लपेटे में आ गया। प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण से कई परिवार के कमाऊ व्यक्ति की मृत्यु भी हो गई जिसके कारण सम्बन्धित परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई। कई ऐसे परिवार भी रहे जिनमें केवल बच्चे ही बचे हैं।
प्रदेश के मुख्यमंत्री येागी आदित्यनाथ जी ने इन्हीं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश में कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों के देखभाल, पालन-पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा हेतु ’’उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’’ लागू की है। इस योजना के अन्तर्गत प्रदेश के ऐसे सभी बच्चे जिनके कमाऊ माता/पिता या दोनों की कोविड-19 महामारी के संक्रमण से मृत्यु हो गई है, तथा इन बच्चों के कोई करीबी अभिभावक न हो, अथवा होने के बाद भी उन्हें अपनाना न चाहे, या अपनाने में सक्षम न हो, ऐसे बच्चों के भरण-पोषण, शिक्षा, चिकित्सा आदि की व्यवस्था हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान करने के लिए उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना लागू करते हुए अनाथ बच्चों की समस्त व्यवस्थायें क्रियान्वित होने लगी, जिसमें अब तक पाये गये पात्र चिन्हित ढ़ाई हजार बच्चों के लिए आर्थिक सहायता भेजी गई।
प्रदेश सरकार पूरे प्रदेश में कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों की जानकारी एकत्रित करा रही है। इस योजनान्तर्गत शून्य से 18 वर्ष की आयु तक के ऐसे सभी बच्चे जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु कोरोना महामारी से हुई हो, या जिनके माता या पिता में से किसी एक की मृत्यु 01 मार्च, 2020 से पूर्व हो गई थी तथा दूसरे की मृत्यु कोरोना काल में हुई हो, या जिनके माता-पिता की मृत्यु पूर्व में हो गई हो तथा उसके वैध संरक्षक की मृत्यु कोरोना से हुई हो। इस योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी अनिवार्य रूप से उत्तर प्रदेश का मूल निवासी हो। परिवार की आय 3 लाख वार्षिक से अधिक न हो। एक परिवार के सभी बच्चों को इस योजना का लाभ मिलेगा। 01 मार्च 2020 के बाद के उक्त श्रेणियों में आने वाले बच्चों को ही योजना का लाभ दिया जायेगा।
इस योजना के अन्तर्गत देय लाभ की श्रेणियों के 0 से 10 वर्ष तक की आयु के बच्चों के वैध संरक्षक के बैंक खाते में रू0 4000/- (रू0 चार हजार) प्रतिमाह की धनराशि देय होगी बशर्ते औपचारिक शिक्षा हेतु बच्चों का पंजीयन किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में कराया गया हो। इसके अतिरिक्त ऐसे बच्चे जो पूर्णतया अनाथ हो गये हों एवं बाल कल्याण समिति के आदेश से विभाग के अन्तर्गत संचालित बाल्य देखभाल संस्थाओं में आवासित कराये गये हों, उनको कक्षा 6 से कक्षा 12 तक की शिक्षा हेतु अटल आवासीय विद्यालयों तथा बालिकाओं को कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में प्रवेशित कराया जायेगा।
11 से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों की कक्षा-12 तक की निःशुल्क शिक्षा हेतु बालकों को अटल अवासीय विद्यालयों तथा बालिकाओं को कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में प्रवेश कराया जायेगा तथा विद्यालयों की 03 महीने की अवकाश अवधि हेतु बच्चे की देखभाल हेतु प्रतिमाह रू0 4000/- की दर से कुल रू0 12000/- की धनराशि प्रतिवर्ष वैध संरक्षक जिसकी अभिरक्षा में बच्चा हो, के बैंक खाते में हस्तांतरित की जायेगी तथा उक्त धनराशि कक्षा-12 तक या 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक जो भी पहले हो, ही देय होगा।
प्रदेश सरकार अनाथ हुई ऐसी सभी बालिकाओं की शादी हेतु रू0 1,01,000/- (एक लाख एक हजार) की राशि उपलब्ध करायेगी। उपरोक्त श्रेणी के अन्तर्गत आने वाले कक्षा-9 या इससे ऊपर की कक्षा में अथवा व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 वर्ष तक के बच्चों को Tablet/Laptop की सुविधा एक बार अनुमन्य/उपलब्ध करायेगी। इसके अतिरिक्त ऐसे बच्चे जिनके माता पिता तथा पिता दोनों की मृत्यु हो गयी हो उनके बालिग होने तक उनकी चल-अचल सम्पत्ति की सुरक्षा हेतु जिला मजिस्ट्रेट संरक्षक होंगे तथा सम्पत्ति से सम्बन्धित कानूनी विवादों में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से विधिक सहायता उपलब्ध करायेगे।
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