सम्राट मिहिर भोज के नाम पर जातीयता विवाद अब क्यों ?
1 min readगौतमबुद्धनगर , 19 सितम्बर।
गौतम बुध नगर जिले के दादरी कस्बे में मिहिर भोज डिग्री कॉलेज में 22 सितंबर को राजा मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण किया जाना है। इसका अनावरण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे । इस प्रतिमा के अनावरण से पहले जातीयता के मुद्दे पर गुर्जर और राजपूत समाज के लोग आमने सामने नजर आ रहे हैं। अगर उत्तर प्रदेश में चुनाव ना होते तो शायद ऐसी स्थिति नहीं आती। ऐसा लगता है कि राजनीतिक प्रतिद्वंदिता में लोग महान राजा के व्यक्तित्व की गरिमा को कम कर रहे हैं।
वजह यह है कि दादरी में मिहिर भोज कॉलेज 1949 से चल रहा है पहले इसका नाम गुर्जर स्कूल था तब से लेकर आज तक इस पर कोई विवाद क्यों नहीं हुआ ? कॉलेज गुर्जर के नाम पर क्यों है इसके साथ ही एक बात और जब राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग NH24 का नामकरण गुर्जर सम्राट मिहिर भोज के नाम पर किया था तब भी कोई ऐसा विवाद नही हुआ था। इसके अलावा अक्षरधाम मंदिर में महाराजा मिहिर भोज की प्रतिमा लगी हुई है और उस पर गुर्जर सम्राट मिहिर भोज लिखा हुआ है उस पर भी आज तक जातीय संगठनों ने कोई सवाल क्यों नहीं उठाया। वे उज्जैन के राजा थे और उन्होंने धार को अपनी राजधानी बनाया उनका राज्य आंध्र प्रदेश से हिमालय तक काबुल से आसाम तक था । उनके पास 36 लाख सेना थी। उस समय के कई इतिहासकारों ने अपनी पुस्तक में लिखा है मिहिर भोज भारत मे ऐसा महान सम्राट राजा था जो उस समय अरब देश के हमलावरों का मुकाबला करता था। राजा मिहिर भोज ने 49 साल तक देश पर राज किया उनके कार्यकाल को भारत में स्वर्णिम कार्यकाल कहा जा सकता है ऐसे महान सपूत को जातीयता के विवाद में घसीटनउचित नहीं है आज अगर महान पुरुषों की जातीयता को देखने लगे तो वह संकीर्णता के दायरे में आ जाएगा
राजा मिहिर भोज की पत्नी भाटी राजपूत वंश की थी
मिहिर भोज बचपन से ही वीर बहादुर माने जाते थे। वे गुर्जर प्रतिहार वंश के थे। उनका जन्म 836 ईस्वी और मृत्यु 885 ईस्वी में हुआ।उनके पिता का नाम रामभद्र था। सम्राट मिहिरभोज की पत्नी का नाम चंद्रभट्टारिका देवी था. जो भाटी राजपूत वंश की थी।
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