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विनोद शर्मा

नोएडा, 24 जुलाई।

फरीदाबाद के रोहित सेक्टर 8 से हर रोज नोएडा के एमिटी यूनिवर्सिटी में नियमित रूप से पढ़ने आते हैं। रोहित को सेक्टर 8 से मेट्रो मिल जाती है लेकिन जब वह नोएडा में ओखला पक्षी विहार मेट्रो स्टेशन पर उतरता है तो उसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए भटकना पड़ता है। यहां ई रिक्शा हैं मगर उनके किराया उटपटांग है। उस पर कोई नियंत्रण नही है। इसी तरह सेक्टर 12 से  शिवांश एशियन बिजनेस इंस्टीटूट का छात्र है, वह भी पहले सेक्टर 12 से मेट्रो स्टेशन के लिए ई रिक्शा पकड़ता है, इसके बाद ओखला पक्षी विहार में उतरकर अपने इंस्टिट्यूट पहुंचने के लिए जद्दोजहद करते हुए नजर आते हैं।

रोहित और शिवांश के जैसा दर्द नोएडा के एजुकेशन हब में उच्च शिक्षा लेने के लिए आने वाले लाखों छात्रों का है। यहां जेपी इंस्टिट्यूट, जे एस एस कॉलेज जैसे प्रतिष्टित शिक्षण संस्थान हैं। इनका कहना है कितने ताज्जुब की बात है कि नोएडा जैसे शहर में पिछले 4 साल से कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट नही है। यूपी रोडवेज ने स्थानीय रुट की बसें बन्द कर दी। नोएडा प्राधिकरण व एनएमआरसी के बीच बसें चलाने का समझौता हुआ था। वे बसें कुछ साल तक चली मगर घाटे की वजह से उन्हें प्राधिकरण ने बन्द कर दिया। अलबत्ता नोएडा में बसने के साथ ही डीटीसी का डिपो इस शर्त पर बनाया गया था कि ये बसें डीटीसी को नोएडा शहर में दिल्ली के रेट और रूट पर चलेंगी। इसके बाद नोएडा वासियों को दिल्ली की जैसी बस सेवा मिलने लगी। पूरे एनसीआर में नोएडा अकेला ऐसा शहर था जिसमे दिल्ली की तर्ज पर रूट नम्बर बसें आज भी चलती हैं। इस सम्बन्ध में डीटीसी को उद्यमियों की मांग पर शुरू किया गया था।

वर्ष 2006 में वह दौर आया जब मुलायम सिंह यादव ने अचानक डीटीसी की बसों को नोएडा में आने से रोक दिया। दिल्ली ने भी यूपी की बसों को दिल्ली में जाने से रोक दिया। इसके बाद बसों का विवाद दोनों राज्यों के बीच फंस गया। यूपी के इस फैसले का असर यह हुआ कि नोएडा- दिल्ली के बीच स्थानीय बस सेवा इंटर स्टेट बस सेवा में बदल गई। हालांकि अभी भी डीटीसी की बसें नोएडा में चलती हैं मगर नोएडा प्राधिकरण, जिला प्रशासन व स्थानीय प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर कभी डीटीसी के अफसरों से बात तक नही की। सेक्टर 16 में डीटीसी की डिपो है। यूपी रोडवेज को नोएडा- ग्रेटर नोएडा के लोकल रूट से कोई लेना देना नही है। लिहाजा हजारों लोग बसों के ना होने से कैब, ई रिक्शा व अन्य वाहनों का सहारा लेते हैं। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में तो सैंकड़ो अपार्टमेंट हैं उनके घर तक लास्ट माइल कनेक्टिविटी नही है।

हाल ही में फोनरवा के पदाधिकारियों ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट का मुद्दा नोएडा प्राधिकरण के सीईओ के सामने उठाया मगर औद्योगिक नगर नोएडा में बसों के ना होने से जनता बेबस नजर आती है। उत्तर प्रदेश के परिवहन विभाग ने कभी इस गम्भीर समस्या का संज्ञान नही लिया। दिल्ली में पहले इलेक्ट्रिक बसें चली अब प्रीमियम बसें चल रही हैं गाजियाबाद में भी सीएनजी व इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं। फरीदाबाद में तो बदरपुर बॉर्डर से ही शहर व गांवों को कनेक्ट करने वाली बसे  दिन भर चलती है। काश नोएडा में भी अफसर जनता से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर गम्भीरता से बिना किसी देरी के फैसला लें भले ही उसके लिए डीटीसी के उच्च अधिकारियों से बात करनी पड़े।

(नोएडा खबर डॉट कॉम के लिए खास रिपोर्ट)

 

 

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