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नोएडा, 11 सितंबर।

विश्व फिजियोथिरेपी सप्ताह के अंर्तगत एमिटी विश्वविद्यालय में विशेषज्ञों ने बुधवार को व्याख्यान दिया।

फिजियोथिरेपी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ हैल्थ एलाइड सांइसेस द्वारा विश्व फिजियोथिरेपी सप्ताह मनाया जा रहा है जिसके अंर्तगत आज विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान सत्र और परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में द इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथिरेपी (आईएपी) के वूमेन सेल की राष्ट्रीय प्रमुख डा रूचि वार्ष्णेय, एमिटी विश्वविद्यालय के हैल्थ एंड एलाइड साइंस के डीन डा बी सी दास, दिल्ली कांउसिल फॉर फिजियोथिरेपी एंड ऑक्यूपेशनल थिरेपी के सदस्य डा आशीष देशवाल, प्रत्यक्ष मेडिकल केयर की निदेशक डा ख्याती और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ हैल्थ एलाइड सांइसेस के निदेशक डा जसोबंता सेठी ने जानकारी प्रदान की।

द इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथिरेपी (आईएपी) के वूमेन सेल की राष्ट्रीय प्रमुख डा रूचि वार्ष्णेय ने कहा कि आज फिजियोथिरेपिस्ट द्वारा विभिन्न स्तर पर रोगों का समाधान किया जा रहा है जिसके कोई भी साइड इफेक्ट नही है। फिजियोथिरेपी के निरंतर बढ़ते महत्व को देखकर स्वंय के कार्य पर गर्व महसूस होता है। द इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथिरेपी के संर्दभ में कहा कि आज विश्व के 128 देश इसके सदस्य है और आईएपी के वूमेन सेल, मुख्यधारा में महिला फिजियोथेरेपिस्टों की भागीदारी को बढ़ावा देने की योजनाओ पर कार्य रहा है। आप आने वाली पीढ़ी के फिजियोथिरेपिस्ट है जो इस प्रोफेशन को नया आयाम देगें इसलिए पूरी लगन से शिक्षा ग्रहण करें।

एमिटी विश्वविद्यालय के हैल्थ एंड एलाइड साइंस के डीन डा बी सी दास ने कहा कि एमिटी मे हम छात्रों को अनुसंधान एवं नवाचार के लिए प्रेरित करते है। छात्रो को शिक्षण के साथ नई तकनीक एवं नये विचारों को खोजने व समस्याओं का निवारण करने हेतु प्रशिक्षित किया जाता है। उन्होनें छात्रों से कहा कि लोगों को रोगो व दर्द से मुक्ति दिलाने वाले इस आदर्श व्यवसाय में रोगीयों के परेशानियों का निवारण के आधुनिक हल खोजे और उन्हे पेटेंट भी कराये।

दिल्ली कांउसिल फॉर फिजियोथिरेपी एंड ऑक्यूपेशनल थिरेपी के सदस्य डा आशीष देशवाल ने कहा कि इस वर्ष विश्व फिजियोथिरेपी दिवस का विषय ‘‘ लो बैक पेन’’ है। विश्व स्वास्थय संगठन के अुनसार लो बैक पेन एक तरह की महामारी है जिससे काफी लोग ग्रसित है। फिजियोथिरेपी कई तरह के रोगों के निवारण में सहायक सिद्ध हो रहा है। एक तरह का मिथक है कि बहुत देर बैठने से लो बैक पेन होता है किंतु इसका कारण खराब जीवन शैली, विटामिन की कमी आदि भी हो सकता है। उन्होनें कहा कि छात्रों को रोबोटिक फिजियोथिरेपी, और एआई जैसे नवीनतम तकनीकियों के बारे में जानना चाहिए।

प्रत्यक्ष मेडिकल केयर की निदेशक डा ख्याती ने कहा कि लो बैक पेन या कमर दर्द सबसे आम मस्कुलोस्केलेटल स्थिति है और दुनिया भर में विकलांगता का प्रमुख कारण बन रहा है और जो सभी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित करता है। पहले बढ़ती उम्र के व्यक्तियों में यह रोग दिखता था किंतु अब तेजी से नौवजवान भी इसकी चपेट भी आ रहे है। फिजियोथेरेपिस्ट मूल्यांकन उपचार और शिक्षा के माध्यम से पीठ दर्द के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। फिजियोथेरेपिस्ट को पीठ दर्द प्रबंधन में नवीनतम शोध के आधार पर अपने ज्ञान और कौशल को लगातार अपडेट करना चाहिए। सतत शिक्षा, अनुसंधान भागीदारी और दिशानिर्देशों का उपयोग करके उपलब्धि को हासिल कर सकते है। उन्होनें रोगी केद्रित देखभाल, तकनीकी का उपयोग, जागरूकता कार्यक्रम आदि पर जानकारी भी दी।

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ हैल्थ एलाइड सांइसेस के निदेशक डा जसोबंता सेठी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि फिजियोथिरेपी के क्षेत्र में हो रही उपलब्धियों को बताने और इस क्षेत्र में कार्य कर रहे चिकित्सों, तकनीकी सहायक आदि के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए इस विश्व फिजियोथिरेपी दिवस को मनाया जाता है। एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ हैल्थ एलाइड सांइसेस द्वारा विश्व फिजियोथिरेपी सप्ताह का आयोजन किया गया है जिससे जांच शिविर, व्याख्यान सत्र और परिचर्चा सत्रों का आयोजन किया जा रहा है।

इस अवसर पर ‘‘लो बैक पेन’’ पर परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया जिसमें प्रत्यक्ष मेडिकल केयर की निदेशक डा ख्याती, दिल्ली कांउसिल फॉर फिजियोथिरेपी एंड ऑक्यूपेशनल थिरेपी के सदस्य डा आशीष देशवाल, द इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथिरेपी (आईएपी) के वूमेन सेल की राष्ट्रीय प्रमुख डा रूचि वार्ष्णेय, डा नेहा गुप्ता, डा संजीब कुमार दास आदि ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर छात्रों ने मरीजों को रोग मुक्त करने की शपथ भी ली।

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