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नोएडा में देश के प्रसिद्ध शायर रिंद की 91 वी सालगिरह मनाई गई

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धूम –धाम से मना जश्न –ए- रिंद

नोएडा, 17 अक्टूबर।
जनाब पी.पी.श्रीवास्तव रिंद की 91वीं सालगिरह के मौक़े पर नोएडा के ईशान म्यूजिक कालेज के ओड़ीटोरियम में धूम- धाम से मनाया गया। उल्लेखनीय है कि श्री पी.पी.श्रीवास्तव रिंद मूलरूप से फतेहगढ़ के मुहल्ला गाड़ीखाना के निवासी हैं और फिलहाल नोएडा में रहते हैं। जश्न –ए- रिंद का आयोजन पुरानी दिल्ली की बरसों से उर्दू को समर्पित संस्था अंजुमन – तामीर- ए- उर्दू की ओर से किया गया । जश्न –ए- रिंद की शुरुआत रिंद साहब की अदबी सेवा पर आधारित एक सात मिनट की फिल्म याद-ए- माज़ी से किया गया।
जश्न –ए- रिंद की अध्यक्षता जामिया इस्लामिया, दिल्ली के इस्लामिक स्टडीज़ के भूतपूर्व चेयरमेन व मौलाना आज़ाद विश्वविद्यालय , जोधपुर के प्रेसीडेंट प्रोफ़्सर अख्तरउल वासे ने की। इस मौक़े पर दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति व भाषा के निदेशक श्री मोहम्म्द अहसन आबिद मुख्य अतिथि थे। प्रोफ़्सर अख्तरउल वासे ने रिंद साहब को बधाई देते हुए उनकी उर्दू कविता जगत के साथ – साथ आलेखों की प्रशंसा करते हुए नयी पुस्तक गर्द में अटा आईना का विमोचन भी किया। गर्द में अटा आईना में रिंद साहेब ने अपने समकालीन व कुछ महत्वपूर्ण व अल्पज्ञात शायरों की शायरी से पाठकों को रूबरू करवाया है। प्रोफ़्सर अख्तरउल वासे ने सभागार में उपस्थित सुधी दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि भाषा को धर्म के साथ जोड़ना समाज की सबसे बड़ी भूल है। रहीम ,रसखान व जायसी जहां हिन्दी को बलवान बनाते हैं, वहीं पंडित आनंद नारायण जुतशी उर्फ गुलजार देहलवी व रिंद सागर फतेहगढ़ी जैसे लोगों पर उर्दू को नाज़ है।यहां यह बताना उचित ही होगा कि रिंद साहेब की अब तक 17 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हो चुकी हैं।मुख्य अतिथि मोहम्म्द अहसन आबिद ने कहा कि रिंद साहेब की पहली पुस्तक तो उनके जन्म से पहले ही प्रकाशित हो गई थी। साथ ही उन्होने रिंद साहब की पिछले सत्तर सालों से उर्दू की सेवा करने के लिए बधाई दी। इस अवसर पर नोएडा व गाजियाबाद शहर की समाजसेवी व साहित्यक संस्थाओं यथा- नोएडा लोक मंच, फर्रुखाबाद साहित्य गंगा, नवरतन फाउंडेशन, ईशान म्यूजिक कालेज, कायस्थ सभा,अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति आदि ने उन्हे सम्मानित किया। फर्रुखाबाद साहित्य गंगा की ओर से सर्वश्री वी के शेखर, आलोक यादव, तूलिका सेठ, रत्न शाद, रजनीकान्त शुक्ल विशेष रूप से उपस्थित थे।
जश्न –ए- रिंद के दूसरे व अंतिम सत्र में महफिल –ए- शेरो सुख़न का आयोजन किया गया जिसमें प्रमुख रूप से प्रमुख रूप से विज्ञान व्रत, पंडित सुरेश नीरव, सुरेंद्र सिंघल , आलोक यादव , गोविंद गुलशन , तूलिका सेठ ,वी के शेखर, कमल भट्ट, रउफ़ रामेश,ताबिश खैराबादी, एहतशम सिद्दकी जाहिल, दर्द देहलवी, मतीन अमरोहवी, अरविद असर आदि थे।
जश्न –ए- रिंद में उपस्थित लोगों का धन्यवाद आलोक यादव व राजमणि श्रीवास्तव द्वारा ज्ञपित किया गया।

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