लखनऊ : बिजली निजीकरण के विरोध पर कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधी
1 min readलखनऊ, 16 जनवरी।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आवाहन पर गुरुवार को लगातार तीसरे दिन प्रदेश भर में बिजली कर्मचारियों एवं अभियंताओं ने काली पट्टी बांधकर निजीकरण का विरोध दर्ज किया । बिजली कर्मियों ने भोजन अवकाश में या कार्यालय समय के उपरांत विभिन्न जनपदों और परियोजनाओं पर सभा की।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो इलियास, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय, विशम्भर सिंह एवं राम निवास त्यागी ने कहा कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसलटेंट नियुक्त करने के लिए टेंडर जारी कर दिया है और प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 20 सितंबर 2020 को विद्युत वितरण के निजीकरण हेतु एक स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट जारी किया था।
भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने इस ड्राफ्ट पर सभी स्टेकहोल्डर्स की आपत्तियां मांगी थी। उल्लेखनीय है कि विद्युत मंत्रालय ने अभी तक स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के ड्राफ्ट को अंतिम रूप नहीं दिया है। केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय ड्राफ्ट पर आई आपत्तियों एवं सुझावों पर विचार कर रहा है। ऐसे में पॉवर कारपोरेशन द्वारा निजीकरण हेतु जारी आर एफ पी डॉक्यूमेंट में भारत सरकार के 20 सितम्बर 2020 के ड्राफ्ट के आधार पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण करना पूर्णतया अवैधानिक है।
संघर्ष समिति ने कहा कि भारत सरकार के स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट ड्राफ्ट में स्पष्ट लिखा है कि – “इस अस्वीकरण के साथ कि दस्तावेज़ विद्युत मंत्रालय के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है” (With disclaimer that document does not represent views of Ministry of Power) ।
संघर्ष समिति ने कहा कि जब यह डॉक्यूमेंट भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के विचारों का प्रतिनिधित्व ही नहीं करता तो इसका उल्लेख कर निजीकरण करने का साफ मतलब है कि निजी घरानों का नाम पहले ही तय कर लिया गया है और बिडिंग एक धोखा है।
संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की परिसंपत्तियां जो लाखों करोड़ों रुपए की है का मूल्यांकन कराए बिना किस आधार पर इसकी रिजर्व प्राइस तय की गई है। स्पष्ट है कि इसे कौड़ियों के मोल बेचने की साजिश चल रही है। 42 जनपदों की हजारों एकड़ जमीन मात्र एक रुपए की वार्षिक लीज पर निजी घरानों को देने का प्रस्ताव है। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मचारी लगातार आन्दोलित हैं और वे किसी भी स्थिति में निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आवाहन पर गुरुवार को लगातार तीसरे दिन प्रदेश भर में बिजली कर्मचारियों एवं अभियंताओं ने काली पट्टी बांधकर निजीकरण का विरोध दर्ज किया । बिजली कर्मियों ने भोजन अवकाश में या कार्यालय समय के उपरांत विभिन्न जनपदों और परियोजनाओं पर सभा की।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो इलियास, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय, विशम्भर सिंह एवं राम निवास त्यागी ने कहा कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसलटेंट नियुक्त करने के लिए टेंडर जारी कर दिया है और प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 20 सितंबर 2020 को विद्युत वितरण के निजीकरण हेतु एक स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट जारी किया था।
भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने इस ड्राफ्ट पर सभी स्टेकहोल्डर्स की आपत्तियां मांगी थी। उल्लेखनीय है कि विद्युत मंत्रालय ने अभी तक स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के ड्राफ्ट को अंतिम रूप नहीं दिया है। केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय ड्राफ्ट पर आई आपत्तियों एवं सुझावों पर विचार कर रहा है। ऐसे में पॉवर कारपोरेशन द्वारा निजीकरण हेतु जारी आर एफ पी डॉक्यूमेंट में भारत सरकार के 20 सितम्बर 2020 के ड्राफ्ट के आधार पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण करना पूर्णतया अवैधानिक है।
संघर्ष समिति ने कहा कि भारत सरकार के स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट ड्राफ्ट में स्पष्ट लिखा है कि – “इस अस्वीकरण के साथ कि दस्तावेज़ विद्युत मंत्रालय के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है” (With disclaimer that document does not represent views of Ministry of Power) ।
संघर्ष समिति ने कहा कि जब यह डॉक्यूमेंट भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के विचारों का प्रतिनिधित्व ही नहीं करता तो इसका उल्लेख कर निजीकरण करने का साफ मतलब है कि निजी घरानों का नाम पहले ही तय कर लिया गया है और बिडिंग एक धोखा है।
संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की परिसंपत्तियां जो लाखों करोड़ों रुपए की है का मूल्यांकन कराए बिना किस आधार पर इसकी रिजर्व प्राइस तय की गई है। स्पष्ट है कि इसे कौड़ियों के मोल बेचने की साजिश चल रही है। 42 जनपदों की हजारों एकड़ जमीन मात्र एक रुपए की वार्षिक लीज पर निजी घरानों को देने का प्रस्ताव है। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मचारी लगातार आन्दोलित हैं और वे किसी भी स्थिति में निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे।
11,691 total views, 2 views today