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Noidakhabar.com पर एक्सक्लुसिव इंटरव्यू-नोएडा प्राधिकरण किसानों के दर्द को समझना नही चाहता-सुखबीर पहलवान

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-8 नवंबर को किसानों के हक के लिए महापंचायत, होंगे कई अहम फैसले
-किसान आबादी, शिक्षा, रोजगार व मुआवजे के लिए अब भी भटक रहा है
(नोएडा खबर डॉट कॉम न्यूज ब्यूरो)
नोएडा, 7 नवंबर।
नोएडा प्राधिकरण के सामने भारतीय किसान परिषद के आंदोलन के चलते हुए रविवार को 67 दिन हो गए हैं। 8 नवम्बर को महापंचायत होने जा रही है। किसानों की कई बार अधिकारियों से वार्ता हुई है मगर हर बार किसी न किसी कारण से वार्ता विफल हो जाती है। कोई ठोस समाधान नहीं निकल पा रहा है। प्राधिकरण के अधिकारी जो वादा कर रहे हैं किसानों को उस पर भरोसा नही है। अब नोएडा विधायक पंकज सिंह ने प्रदेश के उद्योग मंत्री सतीश महाना से बातचीत कर किसानों के मुद्दे पर शासन स्तर से एक कमेटी गठित कर समाधान के लिए प्रस्ताव किया है। इससे इस आंदोलन पर कुछ समाधान की उम्मीद बंधी है। नोएडा खबर डॉट कॉम ने इस मामले में भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व आंदोलन का नेतृत्व करने वाले किसान नेता सुखबीर पहलवान से विस्तार से बातचीत की है। यह उनका पहला खास इंटरव्यू है जिसमे उन्होंने मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की है। उनका कहना है कि हर बार किसानों को सिर्फ वादा किया जाता है। ठोस समाधान हो गया होता तो आंदोलन की नौबत ही नहीं आती।
सवाल- आपके मुख्य मुद्दे क्या हैं जिनका आप समाधान चाहते हैं ?
जवाब- सबसे बड़ी समस्या आबादी की है। प्राधिकरण ने जमीन का अधिग्रहण किया तो 1932 की आबादी को आधार माना। उसके बाद जो आबादी बढ़ी औऱ लोगों ने अपनी जमीन पर घर बनाए हैं उन्हें प्राधिकरण एक्सटेंडिड आबादी मानता है। अगर ऐसा नहीं होता तो प्राधिकरण ने कैसे गढ़ी चौखंडी के श्रीकृष्ण इंटर कॉलेज और सेक्टर 46 व 100 के बीच बने हुए भवानी शंकर इंटर कॉलेज की जमीन को बिना मुआयना किए अधिग्रहण कर लिया। अब यही समस्या गांवों के सामने है। जो किसान अपने घर में पिछले पचास साल से रह रहा है उसके पास कोई कागज तो है नही तब वह कैसे अपना मालिकाना हक बताए। इसका समाधान तो नोएडा प्राधिकरण को ही करना होगा। प्राधिकरण का तर्क है जो किसान एक हजार मीटर जमीन के अपने पैतृक घर में रह रहा है उसके लिए वे सिर्फ 450 वर्ग मीटर जमीन आबादी के लिए छोडेंगे। यह कैसे संभव होगा। हमारी लडाई अपने अधिकारों की है। बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए यह जरूरी है।
सवाल- और कौन कौन से मुद्दे है आपके जिन्हें लेकर आप इतने दिनों से बैठे हैं ?
जवाब- दूसरा अहम मुद्दा है दस प्रतिशत जमीन के आवंटन का। एक बाप के दो बेटे हैं। उनमें से एक को प्राधिकरण ने प्लाट आवंटित कर दिया और दूसरा कई सालों से इंतजार कर रहा है। अब ज्यादातर किसानों को प्राधिकऱण ने यह कहकर जमीन देने से मना कर दिया कि अब प्राधिकरण के पास जमीन नहीं बची है लिहाजा वह पैसे ले ले। प्राधिकरण बिल्डरों को जमीन आवंटित कर रहा है मगर किसानों को देने के लिए जमीन नहीं है। इसके अलावा किसान को दस प्रतिशत जमीन देने की नीति बनी थी। प्राधिकरण के  अधिकारियों ने इसे पांच प्रतिशत विकसित कर दिया। वह भी अविकसित जमीन पर आवंटित हुई है। इसका उदाहरण कई ऐसे सेक्टर हैं जिनमें पांच प्रतिशत के प्लाट आवंटित करने के बाद भी सेक्टर अविकसित पड़े हैं इनमें एक सेक्टर 145 है।
सवाल-आबादी व प्लॉट के अलावा और क्या है आपके एजेंडा में ?
जवाब- किसान की जमीन चली गई उस दौरान हर गांंव में भूमिहीन लोग भी थे। उनके लिए प्राधिकरण अब तक कौन सी नीति लेकर आया है। क्या उन भूमिहीन लोगों के लिए योजना नहीं लाई जानी चाहिए थी। प्राधिकऱण ने अब ईडब्ल्यूएस और एलआईजी के मकान बनाने क्यों बंद कर दिए। क्या गरीब लोग बिल्डर से घर खरीदने की हैसियत रखते हैं इसके बारे में प्राधिकऱण को सोचना पड़ेगा। भूमिहीनों के लिए भी छोटी दुकानों जैसी कोई स्कीम लानी होगी वह भी रियायती दरों पर लाएं। सवाल तो और भी कई हैं
सवाल- औऱ कौन से सवाल हैं आपके
जवाब-जब नोएडा में किसानों की जमीन आवंंटित हुई थी तो प्राधिकरण में कुछ आरक्षण किसानों के बच्चों को रोजगार के लिए लिया गया था। निजी क्षेत्र में भी आवंटन पत्र में 10 प्रतिशत रोजगार का प्रावधान किया गया था। हरियाणा सरकार ने अब 75 प्रतिशत रोजगार का प्रावधान राज्य के निवासी के लिए कर दिया है। ऐसा फैसला नोएडा में क्यों नहीं हो सकता। बच्चों की शिक्षा के लिए बडे स्कूलों में दाखिले नहीं हो पा रहे हैं उनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं उनके साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। मेरी मांग है कि भूमिहीनों के लिए योजना लाई जाए और शिक्षा व रोजगार के लिए  प्राधिकरण में विशेष सेल का गठन किया जाए। एक अहम सवाल नक्शा नीति नोएडा के गांवों में बिल्कुल लागू ना की जाए।
सवाल- नक्शा नीति क्यों नही लागू हो, यह सवाल कुछ समझा नहीं
जवाब- नोएडा के गांवों में लोगों के नाम उनकी आबादी का रिकार्ड अपडेट नहीं है ऐसे मैं कैसे नक्शा नीति लागू होगी। कल को इस नीति से भ्रष्टाचार पैदा होगा जो हैसियत औऱ रसूख वाले हैं अधिकारी उनके नक्शे आसानी से पास करेंगे और आम ग्रामीण को समस्या पैदा होगी। इन सबका समाधान तो ढूंढना होगा।
सवाल-प्राधिकरण की नीति पर सवाल क्यों
जवाब-नोएडा प्राधिकऱण ने 64.7 प्रतिशत मुआवजे व 10 प्रतिशत आबादी को लेकर सभी किसानों के लिए एक सार्वजनिक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सभी किसान कोर्ट से अपने मुकदमे वापस ले लें और इसके बाद समाधान कोर्ट के आदेशानुसार निश्चित समय सीमा में कर दिया जाएगा। किसानों ने जैसे ही न्यायालय से अपने केस वापस लिए प्राधिकरण की नीयत बदल गई। 2015 में अचानक प्राधिकरण ने अपने हाथ खींच लिए और किसान फंस गए। जो फैसला आलोक टंडन ने नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष व सीईओ रहते किया वह मौजूदा सीईओ ने बोर्ड में ले जाकर बदल लिया। तब कैसे भरोसा करें।
सवाल- क्या कुछ और भी महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसे आप सुलझाना चाहते हैं ?
जवाब- नोएडा प्राधिकरण ने अपनी नीति में किसानों को पांच प्रतिशत के प्लॉट आवंटित करते समय तय किया कि 18 व 24 मीटर जमीन पर आवंटित किसान कोटे के प्लॉट में कमर्शल गतिविधियां मान्य होंगी उससे कम वाली पर नहीं। हमारा सवाल यह है कि यह दोहरी नीति प्राधिकऱण ने क्यों बनाई यह सभी किसान कोटे के प्लॉट में कमर्शल गतिविधियों को लागू करने की नीति हो या सभी प्लॉट 18 व 24 मीटर पर हो। उस किसान का क्या कसूर है जिसे प्राधिकऱण ने 9 मीटर जमीन पर प्लॉट दिया है। यह सब गडबडी वाली नीतियां हैंं। इन सभी मुद्दों को जोर शोर से उठाया जाएगा।
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(नोएडा खबर डॉट कॉम के लिए वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा के साथ हुई किसान नेता से हुई बातचीत पर आधारित)

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