एमिटी विश्वविद्यालय में प्रदूषण नियंत्रण एवं बचाव पर वैज्ञानिक एवं तकनीकी शोध विषय पर वेबिनार
1 min readनोएडा, 4 दिसम्बर।
वर्तमान समय में प्रदूषण एक बहुत बड़ी वैश्विक समस्या बना हुआ है इसलिए छात्रों, शोधार्थियों और वैज्ञानिकों को प्रदूषण नियंत्रण और बचाव पर वैज्ञानिक और तकनीकी शोध हेतु प्रेरित लिए एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनवांयरमेंटल सांइसेस द्वारा ‘‘ राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस’’ पर ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। इस ऑनलाइन वेबिनार में उड़िसा के स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड की पर्यावरण इंजिनियर डा शुभादर्शीनी दास, दिल्ली विश्वविद्यालय के एनवांयरमेंटल विभाग की प्रो चिरागश्री घोष, निंबुआ ग्रीनफील्ड लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर राम निवास जिंदल, आईआईटी रूड़की के हाइड्रोलॉजी विभाग के डा बृजेश यादव ने जानकारी प्राप्त की। कार्यक्रम में एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय ने अतिथियों का स्वागत किया।
वेबिनार में उड़िसा के स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड की पर्यावरण इंजिनियर डा शुभादर्शीनी दास ने संबोधित करते हुए कहा कि 2 दिसंबर 1984 को हुए भोपाल गैस कांड इतिहास का सबसे बड़ी दुर्घटना थी जिसे कभी भी ना दोहराने से बचना आवश्यक है। वायु प्रदूषण केवल मानव के लिए बल्कि प्रकृति, पशु पक्षियों आदि सभी के लिए नुकसान दायक है। मत्रालय द्वारा उद्योगों और अन्य प्रदूषणों को रोकने के लिए कई मानक लागू किये गये है जिसके अंर्तगत विभिन्न 12 पैरामीटर बनाये गये है। स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड और केन्द्रीय पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा उन नियमों का अनुपालन कराया जाता है। स्वच्छ पर्यावरण हम सभी की जिम्मेदारी बनती है औी इसके लिए मिलकर प्रयास करना होगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय के एनवांयरमेंटल विभाग की प्रो चिरागश्री घोष ने कहा कि वायु प्रदूषण, कोविड के समान ही खतरनाक है। सबसे अहम हमें वायु प्रदूषण के जोखिम प्रबंधन और हवा की स्वास्थय गुणवत्ता का निरिक्षण करना होगा। हांलाकी हमने वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण को रोकने में मानको को हासिल किया है लेकिन हम घरेलू क्षेत्र की बड़ी जनसंख्या को प्रबंधन में नाकाम रहे। लोगों को जागरूक करने का सही समय है। प्रो घोष ने कहा वायु प्रदूषण एक साइलेंट किलर है जो हमें घर के बाहर और घर के अंदर भी नुकसान पहंुचा सकता है। एक मिथक है कि वायु प्रदूषण केवल घर के बाहर है ऐसा नही है। उन्होनें कहा कि इंडोर एयर क्वालिटी के अंर्तगत उस क्षेत्र के वायू की प्रकृति को मापा जाता है जहंा हम कार्य करते है या रहते है, जहंा हम सबसे अधिक संास लेते है। प्रो घोष ने इंडोर एयर क्वालिटी को प्रभावित करने वाली समस्याओं आदि की जानकारी प्रदान की।
निंबुआ ग्रीनफील्ड लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री राम निवास जिंदल ने पर्यावरण के संरक्षण में भारतीय संविधान के परिपेक्ष्य को बताते हुए में आर्टिकल 48 ए के तहत राज्यों की जिम्मेदारी और आर्टिकल 51 ए के अंर्तगत पर्यावरण संरक्षण को हर व्यक्ति की बुनियादी कर्तव्य बताया है। उन्होनें द एयर एक्ट 1981, द एनवांयमेंटल प्रोटेक्शन एक्ट 1986 आदि के साथ सरकारी नीतियों की जानकारी प्रदान की। उन्होनें कहा सैद्धांतिक रूप से उद्योग, आम लोगों के स्वास्थय को लाभ का आधार नही बना सकते। श्री जिंदल ने कहा कि मूल्यांकन उपकरण के तहत नेशनल एबियंट एयर मॉनिटरिंग नेटर्वक, नेशनल वाटर क्वालिटी मॉनिटरिंग नेटर्वक और नेशनल एंबियंट नॉइस मॉनिटरिंग नेटर्वक के कार्य की जानकारी दी।
आईआईटी रूड़की के हाइड्रोलॉजी विभाग के डा बृजेश यादव ने जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि नेशनल पाल्युशन कंट्रोल डे, हमारे लिए, पर्यावरण के लिए, अर्थव्यवस्था के लिए और हमारी संस्कृति से जुड़ाव के लिए आवश्यक है। संरक्षण और उपचार ही नियंत्रण के दो विकल्प है।
एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय ने संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन उत्सव मनाने का नही बल्कि स्वंय को याद दिलाने है कि हमने पृथ्वी का कितना नुकसान किया है। प्राकृतिक संसाधनों का सीमित उपयोग आवश्यकता के लिए करना उचित है किंतु अधिक लालच के लिए उसका दोहन करना समस्त मानवजाती के लिए खतरनाक है। जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण प्रदूषण है। आज हमें इस संर्दभ मे विचार करना है कि इस समस्या से निजात पाने के लिए कार्य किया जाये। एमिटी मे ंहम छात्रों को इस प्रकार के वेबिनारों द्वारा प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए शोध हेतु प्रेरित करते है। हमें पुनउपयोग और वस्तुओं का पुनर्चक्रण को अपने रोजमर्रा के कार्यो में शामिल करना होगा। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शोधार्थियों और छात्रों ने हिस्सा लिया।
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