कोरोना भी चकराया है
1 min readदुनिया है बहुत डरी-सहमी
हर शख्स बहुत घबराया है
लेकिन मैं मस्त रहा हरदम
जब से कोरोना आया है
मै लॉकडाउन से ही खुश था
घर में चौपाल लगाया था
मोदी जी बोले ताली
मैंने थाली खूब बजायी थी
जब आया मजा बजाने में
मुँह से एक कविता फूट गयी
तब जोश में इतना पीट दिए
घर की दो थाली टूट गयी
जी भरा नहीं फिर शंख लिया
बीवी को देकर के घंटी
वो समय देखने लायक था
मनोरंजन की थी गारंटी
फिर मोदी जी ने दीया जलाने
वाला मंतर फूँक दिया
मैं इतना प्रेरित हुआ कसम से
बिस्तर-चद्दर फूँक दिया
कुछ ऐसा दीया जलाया मैंने, अब तक बुझ नहीं पाया है ॥
जब मॉल बंद हो गए तो क्रेडिट
कार्ड को भी आराम मिला
पिज़्ज़ा बर्गर मोमोस बंद
खाने को लंगड़ा आम मिला
शॉपिंग -थियेटर सब बंद हुआ
लग नहीं रहा, वाइफ का मन
वो कहती ,जीवन कठिन बहुत
मैं कहता देखो रामायण
बीवी ने मेकअप छोड़ दिया
कहती थी यह बचकानी है
मेकअप करके क्या होगा जब
तुमको ही शक्ल दिखानी है
घर में रहकर अपने मन से मैं
काम सभी निपटाता था
और कभी-कभी झाड़ू पोछा
करते-करते सो जाता था
इतना क्या कम है चार महीने, मैंने रोज नहाया है॥
जिससे उधार ले रखा था
वो मुझे ढूढ़ता रह जाता
जबकि मै मास्क लगाकर
उसको रोज नमस्ते कर आता
खुद क्वारंटीन बताता मै
जब वो पैसा लेने आता
मैं इतना जोर खाँसता कि
वो उलटे पाँव भाग जाता
जुल्फों से लगता था मंजनू
ढाढ़ी से लैला के अब्बा
दस दिन में खाली करता था
मै चव्यनप्राश का एक डिब्बा
न पैंट छुआ , न सर्ट छुआ
सब छोटे हो गयें बाँट दिया
केवल लोअर बनियान पहन
कर चार महीना काट दिया
एसी क्या चार महीने तक पंखा भी नहीं चलाया है॥
घर से ऑफिस जब शुरू हुआ
तो अनुभव भी कुछ खास हुए
ऑफिस में एक बॉस थे पर
अब घर में दो – दो बॉस हुए
है काम बहुत लेकिन उससे
ज़्यादा मीटिंग हो जाती है
हड्डियाँ दर्द करने लगती
इतनी सिटिंग हो जाती है
मुझको घर में ही पड़े देख
बच्चे भी जरा नहीं डरते
मैं हैंग आउट मीटिंग करता
वो पीछे से झाँका करते
ऑफ़िस का काम भी करता हूँ
वाइफ को भी समझाता हूँ
बच्चे आपस में लड़ बैठें
तो झगड़ा भी सुलझाता हूँ
इस तरह काम घर से अपना, मैंने हँस कर निपटाया है॥
एक बार बॉस ने सुबह-सुबह
जब मुझे वीडियो कॉल किया
थी बात जरुरी उस टाइम
पर मुझको तो बेहाल किया
मै जस्ट नहा कर निकला था
सब काम समेटे बैठ गए
कपड़े भी पहन नहीं पाया
तौलिया लपेटे बैठ गया
उस दिन मीटिंग के साथ-साथ
ही ब्रेकफास्ट भी खाया था
क्या होती मल्टीटास्किंग है
उस रोज समझ मै पाया था
जल्दी जल्दी में खाया तो
कुछ भाग गले में अटक गया
गिर गयी चाय में मक्खी तो
मै बिन देखे ही गटक गया
जिस दिन से कांड हुआ है यह ,कोरोना भी चकराया है॥
विनोद पाण्डेय
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