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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बिल्डर कब्जा प्रमाण पत्र लेने में विफल रहे तो यह सेवा में कोताही, खरीदार को मुआवजा मांगने का अधिकार

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नई दिल्ली, 12 जनवरी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर बिल्डर कब्जा प्रमाण पत्र प्राप्त करने में विफल होता है तो उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 के तहत उसे सेवा में कोताही माना जाएगा ।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि फ्लैट खरीदार को बतौर उपभोक्ता इस स्थिति में मुआवजा मांगने का अधिकार है क्योंकि कब्जा प्रमाण पत्र नहीं रहने पर उसे पानी या अन्य शुल्क ज्यादा देना पड़ता है बिल्डर की कमी का खामियाजा फ्लैट खरीदार को भुगतना पड़ता है सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के हाउसिंग सोसाइटी से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। इस मामले में समृद्धि हाउसिंग कोऑपरेटिव सोसायटी के लोगों ने बिल्डर मुंबई महालक्ष्मी कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था ।

सोसाइटी का कहना था कि बिल्डर ने सेवा में कोताही की है क्योंकि वह उसे पाने में विफल रहा है, इस सोसाइटी के निवासियों को 25 फ़ीसदी ज्यादा प्रॉपर्टी टैक्स और 50 फीसदी ज्यादा पानी का शुल्क देना पड़ रहा है । खरीदारों ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी आयोग ने कहा था कि सोसाइटी को उपभोक्ता नहीं माना जाएगा, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिल्डर कंपनी का दायित्व है कि वह सारे मालिकाना हक और कब्जा प्रमाण पत्र ट्रांसफर करें सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता आयोग को इस मामले का निपटारा तीन महीने में पूरा करने को कहा है।

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