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यूपी में योगी सरकार के जनसँख्या नीति की गली गली में चर्चा शुरू

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विनोद शर्मा

नई दिल्ली, 11 जुलाई। उत्तर प्रदेश सरकार ने रविवार को राज्य विधि आयोग की रिपोर्ट जारी करते हुए 19 जुलाई तक इस पर जनता के सुझाव मांगे है। यूपी की बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है उसने सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नही बल्कि दूसरे प्रदेशों को भी अलर्ट कर दिया है। इन राज्यों में इस नई नीति की चर्चा गांव की गलियों से लेकर बड़े शहरों की अट्टालिकाओं तक पहुंच गई है। इसका असर राजनीति क्षेत्रो में जरूर पड़ेगा। इसमे दो से ज्यादा बच्चे वालों को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने की नीति भी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की यह योजना उत्तर प्रदेश में 2022 के चुनाव से पहले लागू करने की तैयारी है। इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर दिल्ली  महरौली के निकट जौना पुर गांव में चौपाल पर चर्चा करते हुए लोगों ने बताया कि यह वाकई बहुत जरूरी है। इसी तरह से हरियाणा के फरीदाबाद के गांव चिरसी निवासी विजयकुमार योगी सरकार के फैसले के कायल हैं। उनका कहना है कि संसाधन सीमित हैं और जनसंख्या नियंत्रण जरूरी कदम है। वे कहते हैं कि योगी सरकार का यह कदम देश मे ऐसी नीति बनाने को बाध्य करेगा। कुछ लोग इस नीति के नकारात्मक पहलू भी देख रहे हैं।

नोएडा के जयचंद कहते हैं कि इंदिरा गांधी ने हम दो हमारे दो का नारा दिया था उसमे आरोप लगा कि लोगों की जबरन नसबंदी करा दी गई। इसका असर यह हुआ कि जनता ने कांग्रेस को हरा दिया। वैसे ग्रेटर नोएडा निवासी आदित्य का कहना है कि जनसँख्या नीति बनाते समय चीन से सबक लें। वहां पहले एक  बच्चे की नीति लागू की गई। उसका असर यह हुआ कि बुजुर्ग लोगों की तादाद बढ़ गई। अब वहां फिर से तीन बच्चे की नीति लागू की गई है। जाने माने अर्थ शास्त्री डॉ राजीव कुमार गुप्ता कहते हैं कि गरीबी से निपटने में यह नीति कारगर होगी। वैसे ज्यादातर लोग दो बच्चे की नीति की बजाय दो या तीन बच्चे लगते हैं घर मे अच्छे की नीति को ज्यादा बेहतर मानते हैं।

खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जन संख्या नीति को 2030 तक लागू करने और जन्म दर को 2.1 से घटाकर 1.7 पर लाने का लक्ष्य रखा है। इस से अन्य प्रदेश और देश को नई नीति बनाने में मदद मिलेगी।

(Noidakhabar.com)

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