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कपास की बढ़ती कीमतों से परिधान उद्योग संकट में, कुछ महीनों में 80 पर्सेंट बढ़ोतरी से बेहाल एमएसएमई सेक्टर

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कपास की उच्च लागत के कारण संकट में परिधान उद्योग

नई दिल्ली, 24 जनवरी।

परिधान उद्योग सूती धागों (कपास) और कपड़ों की बढ़ी कीमतों की गंभीर समस्या का सामना कर रहा है। पिछले कुछ महीनों के दौरान कपास की कीमतों में 80% तक की बढ़ोतरी हुई है और कपास की 335 किलो की कैंडी की कीमत रु० 37,000 प्रति कैंडी से बढ़कर रु074,000 प्रति कैंडी हो गयी है। कपड़े बनाने में उपयोग किये जाने वाले कच्चे माल का कुल 75% कपास होता है। कपास की अप्रत्याशित रूप से बढ़ी कीमतों की वजह से बढ़ी उत्पादन लागत ने परिधान निर्माताओं और निर्यातकों के लिए एक बड़ी चुनौती उत्पन्न कर दी है और वे अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे है। बढ़ी कीमतों के वजह से विदेशी खरीददारों द्वारा भारतीय निर्यातकों को दिए गए आर्डर रद्द हो रहे है। इस स्थिति का प्रमुख कारण हमारे प्रतिद्वंद्वी देशों जैसे बांग्लादेश, वियतनाम, थाईलैंड और अन्य देशों को कपास का अनियंत्रित निर्यात है। एक रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश को कपास का निर्यात पहले की अपेक्षा लगभग 100% बढ़ गया है। कपास का अत्यधिक निर्यात होने से हमारे देश में रोजगार की समस्या उत्पन्न हो रही है जबकि आयातक देशों में रोजगार की असीम संभावनाएं उत्पन्न हो रही है और आयातक देश प्रचुर मात्रा में कपास उपलब्ध होने के कारण कम उत्पादन लागत वाले परिधानों का निर्माण कर रहे हैं और वैश्विक बाजार में हमारे लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा खड़ी कर रहे हैं। निःसंदेह यह हमारे देश के परिधान उद्योग को बहुत बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है |

देश के परिधान उद्योग में लगभग 80% MSME सेक्टर की इकाइयां है जो इस समस्या से प्रभावित है। यह सेक्टर पहले ही पूँजी और नगदी के संकट का सामना कर रहा है। एक तरफ मिलों में बनने वाले कपड़े की कीमतों में रु040-50 प्रति किलो तक की वृद्धि हुई है और निर्यताको को अग्रिम भुगतान के बाद ही माल मिल रहा है वही दूसरी तरफ कपडा मिलों के सामने भी कच्चे माल की समस्या उत्पन्न हो रही है और कई मिलें बंदी के कगार पर है | वैश्विक बाजारों में कपास में बढ़ती कीमतों और डिमांड के कारण कपास उत्पादक भारतीय बाजारों में अपनी फसल न देकर वैश्विक बाजारों को उपलब्ध करा रहे है जिससे गंभीर समस्या खड़ी हो रही है।

नोएडा क्लस्टर के अध्यक्ष श्री ललित ठुकराल ने कहा कि परिधान उद्योग को बचाने के लिए सरकार के तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि हमारा देश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है और विडंबना यह है कि हम अपने देश में उद्योग को उचित दरों पर कपास उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। उनके अनुसार कपास के निर्यात में अप्रत्याशित वृद्धि की जाँच, कपास आयात पर 10% आयात शुल्क को हटाने, 5% पुनर्भरण शुल्क को फिर से शुरू करने और कपास और अन्य कच्चे माल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एक तंत्र विकसित करने जैसे कदमों को तत्काल उठाए जाने की आवश्यकता है अन्यथा कोरोना महामारी के बाद बड़ी मुश्किल से सही रास्ते पर आ रहे परिधान उद्योग को बहुत नुकसान होगा और देश जो पहले ही परिधान निर्यात में 7 वें स्थान पर खिसक चुका है, और नीचे चला जायेगा जबकि बांग्लादेश और अन्य देशों के विपरीत हमारे पास वैश्विक व्यापार में मुक्त व्यापार समझौते इत्यादि भी नहीं हैं।

श्री ठुकराल ने सरकार से अनुरोध किया कि वह उपरोक्त सुझाए गए कदमों को तत्काल उठाकर और उचित मूल्य पर कपास की उपलब्धता सुनिश्चित कराकर परिधान उद्योग मुख्यतः MSME सेक्टर को बर्बाद होने से बचाए |

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