नोएडा सेक्टर 74 में कैपटाउन के 4419 फ़्लैट्स मालिकों के हित मे बिजली कंज्यूमर्स से जुड़ी फोरम का अहम फैसला, देना होगा पाई पाई का हिसाब
1 min readनोएडा, 9 मार्च।
गौतमबुद्धनगर जिले के नोएडा, ग्रेटर नोएडा में मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में बिजली बिल की दर व अन्य मदों में हो रही वसूली को लेकर फ़्लैट्स मालिकों के मामले बिल्डर व बिजली विभाग के बीच चल रहे हैं । जिन्हें लेकर केपटाउन एओए 74 सुपरटेक व बिजली विभाग के बीच विवाद चल रहा था । यह विवाद विद्युत उपभोक्ता व्यथा निवारण फोरम में था जिस पर लंबे समय से सुनवाई चल रही थी अब इस पर फैसला आया है इसमें 4419 फ्लैट मालिकों के लिए न केवल राहत की बात है बल्कि नोएडा ग्रेटर नोएडा के लाखों फ्लैट मालिकों के लिए भी यह फैसला एक नजीर पेश करेगा। क्या है यह फैसला क्या था मुद्दा noidakhabar.com आपके लिए हूबहू फैसले की प्रति प्रस्तुत कर रहा है पढ़िए आपके फायदे का यह महत्वपूर्ण फैसला।
न्यायालय
विद्युत उपभोक्ता व्यथा निवारण फोरम
पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि० 33/11 के०वी० विद्युत उपकेन्द्र, प्रथम तल, निकट मैडिकल कॉलेज, गढ रोड, मेरठ मण्डल, मेरठ।
परिवाद संख्या: – 24 / 2020,
केपटाउन एसोसिएशन ऑफ अपार्टमेन्ट ओनर्स (CAAO), जी०एच०– 01, ए. परिवादी।
सैक्टर-74 नोएटा।
बनाम
1. सुपरटेक लिमिटेड, सुपरटेक ई स्क्वायर, प्लॉट नं0- सी0-2, सै0–96, नोएडा।
2. सुपरटेक इस्टेट / वाई०जी० इस्टेट फैसिलिटीज मैनेजमेन्ट प्रा०लि०, सुपरटेक ई स्क्वायर, प्लॉट नं0-सी0-2, सै0-96, नोएडा।
3. प0वि0वि0नि0लि० द्वारा अधिशासी अभियन्ता विद्युत नगरीय वितरण .. विपक्षीगण ।
खण्ड-प्रथम, सैक्टर-25, नोएडा।
निर्णय
यह परिवाद परिवादी एसोसिएशन की ओर से मुख्य रूप से सुपरटेक लि० के विरूद्ध इस अनुतोष की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया गया है। कि विपक्षीगण को आदेशित किया जाये कि वे-
1. दिनांक 01.03.2015 से 31.03.2020 तक उन सभी एकल बिन्दु देयकों को उपलब्ध करायें जो कि अभी तक निर्गत हुये हैं।
2. प्रीपेड कनैक्शन सिस्टम से सम्बन्धित सॉफ्टवेयर आदि की चाबियां परिवादी एसोसिएशन को अविलम्ब उपलब्ध करायें।
3. दिनांक 01.03.2016 से 30.04.2020 तक जो भी विद्युत देयक 60 महीनों के दौरान मैन्टिनेंस एजेन्सी ने निर्गत की है उनकी प्रति उपलब्ध करायें।
4. विपक्षी संख्या – 1 4419 फ्लैटधारकों से सम्बन्धित और 100 दुकानों से सम्बन्धित दिनांक 30.04.20 को जो भी अन्तिम रीडिंग सभी सम्बन्धित मीटर में प्रदर्शित हों, उनके आंकडे दें।
5. विपक्षी संख्या-1 4419 फलैटधारकों द्वारा प्रतिमाह उपभोग किये गये सम्पूर्ण यूनिटों का पूरा विवरण जो कि प्रतिमाह का हो, उसे एकीकृत रूप में उपलब्ध कराये।
6. विपक्षी संख्या-1 अंकेक्षित बैलेंस शीट वर्ष 2015 से 2020 तक उपलब्ध कराये जिसमें कि सम्पूर्ण प्राप्त किये गये विद्युत देयकों का विवरण हो, जो कि अभी तक भुगतान किये गये हैं।
7.
विपक्षी संख्या-1, 2 एवं 3 को समस्त अधिक प्राप्त किये गये भुगतान, जो कि विद्युत शुल्क और ग्रिड फिक्स्ड शुल्क, लोड वृद्धि शुल्क, डी०जी० फिक्सड शुल्क, वैण्डिंग चार्जेज, प्रीपेड सी०डी०, कुल मिलाकर समस्त धनराशि, जो कि लगभग 40 करोड रूपये बनती है, उसे वापस दिलाया जायेऔर उस धनराशि पर 12 प्रतिशत ब्याज जो भी धनराशि अधिक वसूल की गयी है उस पर मैन्टिनेंस एजेन्सी व विपक्षी संख्या 1 से वापस दिलाया जाये जो कि सीधे केपटाउन एसोसिएशन ऑफ एसोसिएशन ओनर्स के खाते में अदा हो अथवा उक्त धनराशि की बैंक में एफ०डी० करायी जाये जो कि केवल टान्सफार्मरों के पुर्नस्थापन और डीजल जनरेटर इत्यादि के निमित्त सभी फ्लैटधारकों की विशेष सभा बुलाकर व्यय की जाये ताकि उक्त धनपराशि का कोई भी फ्लैटधारक अकेले दुरूपयोग न कर सके और वह धनराशि सभी फ्लैटधारकों के निमित्त व्यय की जा सके। इसके अतिरिक्त 20000 के0डब्लू0एच0 का भार भी विपक्षी संख्या 1 व 3 प्रदान करने का भी आदेश दिया जाये ताकि डीजल जनरेटर का अनावश्यक रूप से प्रयोग न हो और पर्यावरण सुरक्षित रहे।
और पर्यावरण सुरक्षित रहे।
8. विपक्षी संख्या 1 सुपरटेक लि० को उक्त 20000 के0डब्लू0एच0 के भार के सम्बन्ध में ट्रान्फार्मर वी०सी०बी० इत्यादि का जो भी इन्फ्रास्ट्रक्चर है उसे भी प्रदान करने का आदेश दिया जाये।
9. इसके अतिरिक्त जो भी यू०पी०ई०आर०सी० के रिटेल टैरिफ निर्धारित हों उसी के अनुसार विपक्षी संख्या – 2 भुगतान समायोजन करे और उससे अधिककहा है कि उक्त परिवाद लाने के लिये एसोसिएशन की मीटिंग का प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया है और कहा है कि किसी प्रकार का कोई भी अतिरिक्त चार्ज वसूल नहीं किया जा रहा है और न ही किसी टैरिफ नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है बल्कि पूर्ण पारदर्शिता से कार्य हो रहा है। यह कहा गया है कि विपक्षी संख्या 1 व 2 द्वारा समस्त एकाउण्ट अलग अलग बना रखे हैं जिसका विवरण परिवादी को देने के लिये विपक्षीगण बाध्य नहीं है। यह भी कहा गया है कि किसी भी आबन्टी को प्रीपेड मीटर के माध्यम से भुगतान करने के लिये बाध्य नहीं किया गया है और 05 वर्षों के दौरान किसी भी आबन्टी द्वारा आपत्ति नही उठायी गयी है और प्रत्येक आबन्टी ने मैन्टिनेंस एग्रीमेन्ट भी निष्पादित किया हुआ है। प्रत्येक आबन्टी को मोबाईल एप्प के माध्यम से दिन-प्रतिदिन की बिजली खपत, दिन प्रतिदिन के खर्च इत्यादि से अवगत कराया जाता है और सभी चार्जनियमानुसार व टैरिफ के अनुसार हैं। यह भी कहा गया है कि समय-समय पर
ऑडिट की प्रति उपलब्ध करायी गयी किन्तु विश्वास के तौर परं कभी कोई प्राप्ति नहीं ली गयी। इस प्रकार परिवाद को निरस्त किये जाने की प्रार्थना की गयी है। इस प्रकरण में परिवादी ने दिनांक 22.02.2020 के प्रस्ताव की प्रति प्रस्तुत की है जिसमें कि श्री अरूण कुमार शर्मा, अध्यक्ष केपटाउन अपार्टमेन्प्ट ओनर्स एसोसिएशन व श्री महेश चन्द्र यादव, उपसभापति, केपटाउन ए०ओ०ए० को अधिकार पत्र दिया गया है कि वे इस सम्बन्ध में कार्यवाही करें। इसके अतिरिक्त उक्त एसोसिएशन ने जो शिकायती प्रार्थना पत्र दिये हैं उन्हें प्रस्तुत किया है।
परिवादी की मुख्य शिकायत यह है कि फ्लैटधारकों से प्रति यूनिट 6.71 /- रू० विद्युत उपयोग का लिया जा रहा है जबकि प०वि०वि०नि०लि० को 5.88/- रू0 इलैक्ट्रिसिटी ड्यूटी मिलाकर भुगतान किया जा रहा है। इस प्रकार0.83/- रू० प्रति यूनिट अधिक वसूल किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त दूसरी शिकायत यह है कि 35.40 /- रू0 प्रतिमाह इलैक्ट्रिसिटी वैण्डिग चार्ज बिल्डर द्वारा लिये जा रहे हैं व अतिरिक्त रूप से परिवादी ने यह कहा है कि उक्त सोसायटी में निर्मित 4000 फ्लैट पर 15000 किलोवाट का लोड स्वीकृत किया गया है जबकि 6000 किलोवाट का संयोजन एकल बिन्दु पर लिया गया है जो कि विभाग से लगभग ढाई गुना है जिससे विभाग को फिक्स्ड चार्जेज की हानि हो रही है। इसके अतिरिक्त जो भार विद्युत विभाग से स्वीकृत है उससे अधिक भार का कोई भी शुल्क नियमानुसार फ्लैटधारकों से बिल्डर वसूल नहीं कर सकता। उदाहरण के तौर पर यदि किसी स्वीकृत भार के निमित्त 100 / – रू० विभाग को बिल्डर अदा कर रहा है तो वहीं 100 /- रू० समस्त फलैटधारकों में आनुपातिक रूप से देखकर वसूल किये जा सकते हैं क्योंकि यह कार्य किसी लाभ के लिये नहीं हो सकता है। मात्र 5 प्रतिशत धनराशि ही बिल्डर द्वारा दी गयी धनराशि से अधिक वसूली की जा सकती है और यह भी कहा गया है कि फिक्स चार्ज के निमित्त कोई भी 5 प्रतिशत अधिक धनराशि वसूल नहीं हो सकती है केवल यदि का जो दर है उस दर में 5 प्रतिशत जोड़कर ही समस्त फ्लैटधारकों से वसूली की जा सकती है। जब तक को बिल्डर किसी भी प्रकार अधिक लोङ
को स्वीकार कराकर और उसका इन्फास्ट्रक्चर देकर फ्लैटधारकों को उस भार में
से अधिक भार स्वीकृत करे।
फोरम द्वारा समस्त पक्षकारों को सुना गया है और इस सम्बन्ध में बनाये गये नियमों को देखा गया है। यह फोरम इस तर्क से पूरी तरह सहमत है कि यदि किसी भी व्यक्ति की जेब में मात्र 1000/- रू० हैं और उसका वितरण कई व्यक्तियों में किया जाना है तो उक्त 1000/- रू0 में से ही प्रति व्यक्ति को बराबर धनराशि वितरण की जा सकती है और यह धनराशि किसी भी दशा में 1000/- रू0 से अधिक नहीं हो सकती है। इसी प्रकार विद्युत भार के सम्बन्ध में भी जो भी भार विद्युत विभाग ने स्वीकृत किया हुआ है और उसका जो भी निर्धारित शुल्क विभाग को बिल्डर ने अदा किया है वह अदा की गयी धनराशि हीबिना किसी लाभ व हानि के सिद्धान्त को लागू करके फ्लैटधारकों से वसूल की जा सकती है और ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले में अधिक धनराशि इस आधार पर बिल्डर ने वसूल की है क्योंकि स्वीकृत भार से कहीं अधिक भार का वितरण विखाकर प्रति किलोवाट निर्धारित शुल्क से हिसाब लगाकर अधिक भारकी धनराशि वसूल कर ली गयी है जो कि विधि के विपरीत है और ऐसी वसूल की गयी धनराशि अवैधानिक रूप से किसी भी व्यक्ति को धनी बनाने के सम्बन्ध में जिसे Unjust Enrichment का सिद्धान्त कहते हैं जिसके लिये विधि कभी भी अनुमति नहीं देती है। जहां तक विद्युत उपयोग के यूनिट की दर का प्रशन है, समय-समय पर वह दर बढती रहती है और उस दर में मात्र 5 प्रतिशत की वृद्धि करके जो कि अन्य टूट-फूट इत्यादि के लिये होती है, फ्लैटधारकों से वसूल की जा सकती है। अतः इस सम्बन्ध में परिवादी पूरी तरह जो अनुतोष मांग रहा है, उसे पाने का अधिकारी है और ऐसी कोई भी धनराशियां जो प्रारम्भ से अब तक विपक्षी संख्या 1 व 2 ने प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से वसूल की हैं वह सभी धनराशियां जो कि परिवादी ने आगणन करके बतायी हैं। यद्यपि उन आगणन में थोड़ी बहुत त्रुटि हो सकती है किन्तु समस्त धनराशि चाहे वह यूनिट दर जो कि प्रतिशत से अधिक वसूल गयी अथवा निर्धारित शुल्क स्वीकृत भार से भार दिखाकर की गयी वह समस्त धनराशि विपक्षी संख्या-1 व परिवादी एसोसिएशन को वापस करने के उत्तरदायी हैं। यद्यपि परिवादी एसोसिएशन उक्त धनराशि को बिना समस्त फ्लैटधारकों की पूर्व अनुमति लिये किसी मद खर्च करने सक्षम नहीं होगी उक्त समस्त धनराशि एसोसिएशन के खाते में जमा जायेगी कि एसोसिएशन के पदाधिकारी बहुमत से प्रस्ताव कराये हुये किसी ऐसी उद्देश्य लिये नहीं निकाल सकेंगे कि फ्लैटधारकों की मर्जी विरूद्ध इसके अतिरिक्त कुछ अन्य अनुतोष मांगे गये कि टैरिफ नियमों अनुरूप जैसे प्रति अनिवार्य उन अंकेक्षण आख्या समस्त फ्लैटधारकों को उपलब्ध कराना आवश्यक है और उसको नोटिस बोर्ड पर चस्पा अथवा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाना चाहिये ताकि समस्त फ्लैटधारक उसे देख सके और निर्धारण कर सकें कि उनसे कोई अवैध लाभ तो नहीं कमाया जा रहा है। अतः यह परिवाद उपरोक्त अनुतोषों के लिये स्वीकार कर लिये जाने योग्य है और इस परिवाद में निम्न आदेश पारित होने योग्य है:
आदेश
यह परिवाद स्वीकृत किया जाता है। विपक्षी संख्या-1 व 2 को आदेशित किया जाता है कि वह दिनांक 01.03.2015 से अब तक, जब तक कि विपक्षी संख्या-1 व 2 ने अपना नियन्त्रण उक्त सोसायटी पर रखा है, का समस्त लेखा-जोखा, जिसमें कि सम्पूर्ण वसूल की गयी धनराशियां, विद्युत भुगतान, अन्य भुगतान इत्यादि का विवरण इस आदेश से 1 माह के अन्दर उपलब्ध करायेंगे जिससे यह प्रदर्शित हो कि कुल कितने फ्लैटधारक से उक्त वसूली की गयी और कितनी-कितनी वसूल की गयी है और विपक्षी संख्या – 1 व 2 के द्वारा विभाग को दिनांक 01.03.2015 से अब तक कुल कितनी धनराशियों का भुगतान किया गया है, कितनी धनराशि की मांग फ्लैटधारकों से इस बीच की गयी है और कितनी धनराशि फ्लैटधारकों द्वारा विपक्षी संख्या-1 व 2 को भुगतान की गयी है और वह किस खाते में कब-कब जमा हुयी है। समस्त खातों में जमा किये जाने के सभी आंकड़े भी फ्लैटधारकों को उपलब्ध कराये जायेंगे, अन्यथा फ्लैटधारकों को अधिकार होगा कि वह इस सम्बन्ध में उचित धनराशि हेतु आपराधिक कार्यवाही भी विपक्षी संख्या-1 व 2 के विरूद्ध कर सकेंगे क्योंकि फ्लैटधारकों का यह अधिकार है कि उनके स्वयं द्वारा आगणित की गयी धनराशि के बारे में यह जानकारी पा सकें कि उक्त धनराशि का भुगतान कब-कब और कितना-कितना विद्युत विभाग को किया गया है। प्रत्येक 06 माह के आधार पर षट्मासिक अंकेक्षण आख्या भी विपक्षी संख्या-1 व 2 द्वारा परिवादी एसोसिएशन को एक माह में उपलब्ध करायी जायेगी और परिवादी एसोसिएशन अपने कार्यालय के नाटिस बोर्ड पर उक्त अंकेक्षण आख्याओं को चस्पा करेगी और उक्त आख्या समस्त फ्लैटधारकों को कार्यालय में कार्यदिवस में अवलोकनीय होंगी अर्थात् एसोसिएशन उक्त आख्याओं के अवलोकन के लिये खुला रखेगी और किसी भी फ्लैटधारक को अवलोकन से मना नहीं कर सकेगी। इसके अतिरिक्त विद्युत उपभोग के सम्बन्ध में जिस दर से विद्युत विभाग को अदायगी की गयी है, उस यूनिट दर से 5 प्रतिशत अधिक धनराशि, जो भी बनती हो, उस धनराशि को घटाकर जो भी अधिक धनराशि विपक्षी संख्या-1 व 2 ने वसूल की है, वह समस्त धनराशि इस आदेश से 1 माह के अन्दर एसोसिएशन के खाते में विपक्षी संख्या-1 व 2 के संयुक्त उत्तदायित्व के साथ जमा की जायेगी और यदि ऐसा नहीं किया गया तो परिवादी एसोसिएशन को अधिकार होगा कि वह विद्युत अधिनियम-2003 की धारा-142 के अन्तर्गत कार्यवाही कर सके और अन्य प्रकार भी इस धनराशि की वसूली सुनिश्चित करने के लिये प्रभावी कदम उठा सके किन्तु एसोसिएशन ऐसी वापस हुयी धनराशि पलैटधारकों की बिना अनुमति के व्यय नहीं कर सकेगी और समस्त फ्लैटधारकों की ओर से एसोसिएशन उक्त धनराशि की मात्र कस्टोडियन होगी। इसके अतिरिक्त फ्लैटधारकों से जो फिक्स चार्ज के रूप में ” बिना लाभ बिना हानि ” के सिद्धान्त का उल्लंघन करते हुये जो भी अधिक धनराशियां वसूल की गयी हैं वह समस्त धनराशि उक्त एसोसिएशन को फ्लैटधारकों को वापस किये जाने हेतु अथवा उसकी अनुमति से अन्यत्र इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि में व्यय किये। जाने हेतु वापस लौटायी जायेगी व इसके अतिरिक्त जो अनुतोष पैराग्राफ-जी में दिया गया है, वह धनराशियां जो गैर-कानूनी रूप से विपक्षी संख्या – 1 व 2 ने वसूल किये हैं, जिन्हें कि विद्युत विभाग को अदा नहीं किया गया है, उक्त सभी धनराशि उसी प्रकार वापसी योग्य होंगी जैसा कि आदेश अन्य धनराशियों के सम्बन्ध में दिया गया है। उक्त समस्त धनराशियों पर 9 प्रतिशत साधारण ब्याज भी विपक्षी संख्या-1 व 2 की ओर से उस दिनांक से आगणित करते हुये जो कि उक्त धनराशि गैर-कानूनी रूप से प्राप्त की गयी, जोड़ा जा सकेगा और वह ब्याज की धनराशि भी विपक्षी संख्या – 1 व 2 उसी प्रकार अदा करेंगे जैसा कि अन्य धनराशियों के सम्बन्ध में आदेश दिया है। उक्त ब्याज मात्र उस दिन से ही आगणित होगा जिस दिन से जितनी भी धनराशि विपक्षी संख्या-1 व 2 ने फ्लैटधारकों से प्राप्त की हैं। जिस-जिस प्रकार उक्त धनराशि का अधिक अंश विपक्षी संख्या-1 व 2 ने प्राप्त किया है उसी दिनांक से उक्त ब्याज का आगणन किया जा सकेगा और परिवादी एसोसिएशन को यह भी अधिकार होगा कि वह उक्त आगणन अविलम्ब विपक्षी संख्या – 1 व 2 को अपनी ओर से भी उपलब्ध करा सकेगा ताकि इस आदेश का पालन अक्षरतः हो सके। यदि विपक्षी संख्या-1 व 2 को स्वयं भी उत्तरदायित्व होगा कि वह उस आगणन को स्वयं भी कर ले जैसा कि इस आदेश की मूल भावना है। विपक्षी संख्या-1 व 2 के द्वारा जो भी उक्त अधिक प्राप्त कर ली गयी धनराशियां इस प्रकार वसूल कर ली गयी हैं अथवा जो भी ब्याज की धनराशि बनती है वह विपक्षी संख्या-1 व 2 की समस्त सम्पत्ति पर एक भार / देनदारी के रूप में होगी अर्थात् उक्त धनराशियां उक्त सम्पत्ति से भी वसूल की जा सकेंगी। तद्नुसार इस आदेश के साथ यह परिवाद निस्तारित किया जाता है। सभी पक्षकारों को इस आदेश से अवगत करा दिया जाये और उन्हें इसकी प्रतिलिपि भेज दी जाये। इसके अतिरिक्त उक्त आदेश का पालन करने के सम्बन्ध में सभी पक्षकार इस फोरम को यह अवगत करायेंगे कि उक्त आदेश का पालन सुनिश्चित हो गया है। इस आदेश को क्षेत्रीय रूप से सभी विद्युत उपयोगकर्ताओं को अवगत कराने हेतु भी कार्यालय उचित कदम उठायें।
ओ0पी0 अग्रवाल
न्यायिक सदस्य / अध्यक्ष (लिंक ऑफिसर)
एक्सीव श्रीवास्तव सदस्य तकनीकी (लिंक ऑफिसर)
जसमीर सिंह सदस्य / सचिव (अतिरिक्त प्रभार)
दिनाँक :- 08.03.2022
आज दिनाँक 08.03.2022 को निर्णय व आदेश खुली फोरम में हस्ताक्षरित एवं दिनांकित कर सुनाया गया।
8/3/2022
ओ०पी० अग्रवाल न्यायिक सदस्य / अध्यक्ष ( लिंक ऑफिसर)
ए०सी० श्रीवास्तव समस्य तकनीकी( लिंक ऑफिसर)
जसमीर सिंह सदस्य / सचिव (अतिरिक्त प्रभार)
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