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यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में रामलला के दर्शन कर मंदिर निर्माण का जायजा लिया

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अयोध्या, 7 मई।

उत्तर प्रदेश में दूसरी बार लगातार मुख्यमन्त्री पद पर विराजित हुए योगी आदित्यनाथ जी महाराज आज अयोध्या पधारे। हनुमान गढ़ी दर्शन के पश्चात् उन्होंने श्री रामलला विराजमान के अस्थायी मन्दिर में पूजा अर्चना की, मन्दिर निर्माण कार्य के बारे में मौखिक जानकारी ली और स्वयं निर्माण स्थल पर गर्भ गृह पर पहुँच कर मन्दिर का फर्श / कुर्सी / Plinth निर्माण देखा, निर्माण प्रगति के संबंध में जानकारी प्राप्त की और प्रसन्नता व्यक्त की. Plinth निर्माण कार्य जनवरी, 2022 मास से प्रारम्भ हुआ।

महाराज श्री को बताया गया कि शीघ्र ही गर्भ गृह और उसके चारों और का Plimth निर्माण पूरा होगा और राजस्थान के भरतपुर जनपद के बंसीपहाड़पुर क्षेत्र की पहाड़ियों के हल्के गुलाबी रंग के बलुआ नक्काशी दार पत्थरों को (Installation) का कार्य प्रारम्भ हो जायेगा। सम्पूर्ण मन्दिर में लगभग 4.70 लाख घन फुट नक्काशी दार पत्थर लगेगें, नक्काशी दार पत्थर अयोध्या पहुँचना प्रारम्भ हो गये है। गर्भ गृह में लगने वाला मकराना के सफेद संगमरमर पत्थर की नक्काशी का कार्य प्रगति पर है, ये पत्थर भी शीघ्र अयोध्या पहुँचना प्रारम्भ हो जायेंगे।

अभी मन्दिर की कुर्सी (Plinth) ऊँची करने का कार्य प्रगति पर है। लगभग 5×2.5×3 घन फुट आकार के ग्रेनाईट पत्थर के लगभग 17000 ब्लॉक लगेंगे जो बैंगलोर और तेलगाना की खदानों से आ रहे है। Plinth में लगभग 6.37 लाख घन फुट ग्रेनाईट पत्थर लगेगा। इसके पूर्व 15 मीटर ऊँचाई की 9000 घनमीटर RAFT (Self Compacted Concrete) चार मास में डाली गयी। RAFT निर्माण का कार्य अक्टूबर 2021 में प्रारम्भ किया था।

इसके पूर्व जमीन की बालू और पुराने मलबे को हटाया गया, जो 3 मास में हटाया जा सका, लगभग 1.85 लाख घन मीटर मलबे से भरी मिट्टी हटाई गयी, भूतल के नीचे 12 मीटर गहराई तक मलबा हटाया गया, तत्पश्चात् समुद्र जैसे दिखने वाले इस विशाल गड्ढे को Roller Compacted Concrete (RCC) से भरा गया, इस Roller Compacted Concrete की डिजाईन आई आई टी. मद्रास ने तैयार की थी। ये कंक्रीट इस प्रकार की है ताकि 1000 साल तक कृत्रिम चट्टान के रूप में जमीन के नीचे जीवित रहे। यह RCC 10 इंच मोटी 48 परतों में डाली गयी। गर्भ गृह में 56 परतें डाली गयी है, यह सम्पूर्ण कार्य लगभग 9 महीने ( जनवरी 2021 से सितम्बर 2021 तक) में पूरा हुआ।RCC और उसके ऊपर RAFT दोनों को मिलाकर भावी मन्दिर की नींव कहा जायेगा। नींव की इस डिजाईन और ड्राईंग पर आई आई.टी. दिल्ली, आई.आई टी. गुवाहाटी, आई आई टी मद्रास, आई आई. टी. मुम्बई. एन.आई.टी सूरत, सी.बी.आर.आई. रूड़की, लार्सन एंड टूब्रो तथा टाटा कन्सलटिंग इंजीनियर्स ने सामूहिक कार्य किया है, अन्त में इसमें हैदराबाद की संस्था एन. जी. आरआई. ने सहयोग किया। यह कहा जा सकता है कि देश कि महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग संस्थानों के सामूहिक चिन्तन का यह परिणाम है।

मन्दिर का क्षेत्रफल लगभग 2.7 एकड़ है, परन्तु इसके चारों और 8 एकड़ भूखण्ड को अपने भीतर समाता हुआ एक आयताकार परकोटा बनेगा, यह परकोटा भी 9 लाख घनफुट पत्थरों से तैयार होगा, इस पर भी समानान्तर कार्य चल रहा है।

मन्दिर के चारों ओर की मिट्टी का कटान रोकने के लिए तथा मन्दिर के पश्चिम में प्रवाहित सरयू नदी के किसी भी संभावित आक्रमण को रोकने के लिए मन्दिर के पश्चिम, दक्षिण व उत्तर में Retaining wall रिटेनिंग वाल निर्माण का कार्य भी साथ-साथ चल रहा है, यह रिटेनिंग वाल जमीन में 16 मीटर गइराई तक जायेगी और जमीन के सबसे निचले तल पर 12 मीटर चौड़ी होगी। मन्दिर निर्माण एक एतिहासिक कार्य हो रहा है. भावी पीढ़ी इसे देश का निर्माण कहेंगी।

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