आजादी के मतवाले – गोवा संग्राम के तीन सेनानी भीकाजी सहकारी, पांडुरंग केकरे और लादू सांवत की अमर गाथा
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– 75 आज़ादी का अमृत महोत्सव –
बच्चों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार, समाज-सेवा, लोगों के आर्थिक स्वावलंबन, गुमनाम क्रांतिकारियों एवं स्वतंत्रता सेनानियों पर शोध एवं उनके सम्मान के लिए समर्पित मातृभूमि सेवा संस्था, आज देश के ज्ञात एवं अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को उनके अवतरण, स्वर्गारोहण तथा बलिदान दिवस पर, उनके द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में दिए गए अद्भूत एवं अविस्मरणीय योगदान के सम्मान में नतमस्तक है।
अमर बलिदानी
भीकाजी सहकारी, पांडुरंग केंकरे एवं लादू सावंत जी
तुमने दिया देश को जीवन, देश तुम्हें क्या देगा ?
अपनी आग तेज करने को, नाम तुम्हारा लेगा।।
मातृभूमि की गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के प्रयास में सर्वस्व न्योछावर करने वाले क्रांतिकारियों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग एवं बलिदान की परिचय श्रृंखला में आज मातृभूमि सेवा संस्था आपको दक्षिण-भारत के क्षेत्रफल में सबसे छोटे राज्य गोवा के मुक्ति-संग्राम में बलिदान हुए भीकाजी सहकारी, पांडुरंग केंकरे एवं लादू सावंत जी के संक्षिप्त किंतु अविस्मरणीय योगदान से परिचय कराएगी।
📝गोवा के एक गाँव सिमेलन में 25.11.1937 को पिता रामकृष्ण सहकारी जी के घर जन्मे भीकाजी सहकारी जी गोवा की क्रांतिकारी संस्था गोमांतक दल के एक प्रमुख क्रांतिकारी सदस्य थे। भीकाजी सहकारी जी गोवा-मुक्ति के उद्देश्य से छापामार युद्ध-शैली में अपने दल का नेतृत्व करके गोवा की पुर्तगाली पुलिस को भारी क्षति पहुँचाते थे। 29.05.1956 की बात है, जब गोवा पुलिस के एक मुखबिर (approver) ने गोवा पुलिस को सूचित किया कि कलेम के जंगल में भीकाजी सहकारी जी और उनके क्रांतिकारी साथी के. शिरोडकर जी, के गोनसेम जी तथा दुलबा पवार जी छुपे हुए हैं। गोवा पुलिस ने तत्काल उस जंगल को घेर लिया। दोनों और से हुई गोलीबारी में भीकाजी सहकारी जी ने वीरगति प्राप्त की। शेष साथियों को गोवा पुलिस ने एक वृक्ष से बाँधकर गोलियों से मात्र इसलिए भून दिया कि कहीं वे बाद में बचकर हमारे लिए फिर से सरदर्द न बनें।
📝सन् 1927, कलेम, गोवा में लादू सावंत तथा सन् 1931, कंकोलिम, गोवा में सखाराम केंकरे के घर जन्मे पांडुरंग केंकरे, दोनों गोवा मुक्ति के लिए संघर्षरत *क्रान्तिकारी संस्था गोमातंक दल* से जुड़े क्रान्तिकारी थे, जो गोवा की पुर्तगाली पुलिस से अपने क्रान्तिकारी साथी भीकाजी सहकारी के बलिदान का बदला लेने को बेताब थे। भीकाजी सहकारी जंगल में पुर्तगाली पुलिस के बीच घिर जाने से गोलीबारी में बलिदान हुए थे। तत्काल उसी दिन 29.05.1956 भीकाजी सहकारी जी के बलिदान का बदला लेने के लिए गोवा मुक्ति के एक महान क्रांतिकारी मार दूलो द्वारा बनाई गई योजना के अनुसार गोवा की पुर्तगाली पुलिस पर हमला हुआ, जिसमें क्रांतिकारियों ने पुर्तगाली पुलिस को मुँहतोड़ जवाब दिया। इस क्रांतिकारी संघर्ष के दौरान पांडुरंग केंकरे तथा लादू सावंत जी ने वीरगति प्राप्त की। पांडुरंग केंकरे जी ने बहुत कम शिक्षा प्राप्त की थी। वह एक साइकिल की दुकान चलाते थे। साइकिलों को ठीक करके तथा साइकिल किराए पर देकर प्राप्त धन से जीवन यापन करते थे।
मातृभूमि सेवा संस्था आज गोवा-मुक्ति के प्रयास में बलिदान होने वाले उपरोक्त क्रांतिकारियों को कोटि कोटि नमन करती है
✍️ राकेश कुमार
(मातृभूमि सेवा संस्था 9891960477 से साभार )
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