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ओखला से मथुरा तक यमुना नदी के किनारे कब होंगे अतिक्रमण मुक्त, सरकार बड़ी या माफिया

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नोएडा डायरी

इन दिनों यमुना नदी के किनारे फार्म हाउस के अतिक्रमण हटाने का मामला सुर्खियों में है जब से एक साथ एक ही दिन में 62 फार्म हाउसों को ध्वस्त किया गया और 145000 वर्ग मीटर जमीन अवैध कब्जे से मुक्त कराई गई । इसकी धमक लखनऊ से लेकर दिल्ली तक पहुंची और यहां फार्म हाउस बनाने वालों ने अपने-अपने तरीके से सिफारिशें लगाकर अभियान को रोकने की मुहिम छेड़ी हुई है और निश्चित रूप से इस मुहिम में वह सफल भी होंगे।

मेरा यह मानना है कि इस यमुना के डूब क्षेत्र में ओखला से लेकर नोएडा के किनारे किनारे तिलवाड़ा तक कितने फार्म हाउस हैं इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है और यहां पूर्व ब्यूरोक्रेट से लेकर न्यायपालिका से जुड़े लोगों के फार्म हाउस हैं। ऐसा नहीं है उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं है कि यह अधिसूचित क्षेत्र का हिस्सा है लेकिन इसमें वह कार्ड ढूंढ लेते हैं कि कृषि क्षेत्र है और इसमें कोई पक्का निर्माण नहीं है जबकि यमुना नदी के दोनों क्षेत्र में 500-500 मीटर तक किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता यह नियम है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या इससे पहले प्रयास नहीं हुए मुझे याद है वर्ष 1997 में जब मेरठ मंडल के कमिश्नर प्रशांत कुमार मिश्रा जी थे और एन ए विश्वनाथन नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी थे तब पहली बार डूब क्षेत्र में नोएडा प्राधिकरण का बुलडोजर चला था लेकिन कुछ दिन बाद ही उस पर विराम लग गया। एक बार दादरी के तत्कालीन एसडीएम एस बी तिवारी ने फार्म हाउस वालों की सूची तैयार की थी और उनकी रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी इसके बाद प्रदेश के तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव ने इस मामले में रुचि दिखाई और पूरी सूची समाचार पत्र में प्रकाशित हुई थी इसके बावजूद शासन स्तर से कोई खास कार्यवाही नहीं हो पाई। अब योगी आदित्यनाथ की सरकार में तिलवाड़ा के पास 55 फार्म हाउसों को ध्वस्त किया गया है साथ ही नोएडा के गुलावली में 7 फार्म हाउस ध्वस्त किए गए हैं यह खबर पूरे देश के मीडिया में सुर्खियां बनी और अब इसमें सिफारिशों का दौर फिर शुरू हो गया है, पता चला है कि अब यह तय करना है कि कौन से फार्म हाउस यूपी में है कौन से हरियाणा में है बस इसी आधार पर माफिया अपना अपना हिसाब चुकता कर लेंगे सवाल अभी अधूरा है क्योंकि यमुना नदी को साफ रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।

ओखला बैराज से लेकर और मथुरा तक यमुना के पानी का सांवला रंग हो और नदी के किनारे लोग नहाने या पानी का आचमन करने जाने लगें तभी यमुना का उद्धार होगा। विश्व पर्यावरण दिवस आने वाला है हम सब मिलकर यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त अतिक्रमण मुक्त बनाने का संकल्प लें और नदी के दोनों सिरों में 500-500 मीटर दूर तक डूब क्षेत्र को आधार बनाते हुए किसी भी तरह के निर्माण को पूरी तरह ध्वस्त किया जाए इसके साथ ही जितने भी फार्म हाउस बने हैं उन सब को जब्त किया जाए और जिन अधिकारियों के कार्यकाल में बने हैं उनकी जांच एसआईटी से कराई जाए इसकी समय सीमा निश्चित हो उम्मीद है योगी सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर जरूर ध्यान देगी। यह योगी सरकार व मौजूदा सीईओ की अग्निपरीक्षा होगी। वैसे ऐसी कार्रवाई के बाद प्रशासनिक अधिकारियों पर तबादले की गाज गिर जाती है। तब कहा जाता है कि तबादला सामान्य प्रक्रिया के तहत हुआ है। प्रशाासनिक अधिकारी इसे बखूबी जानते हैं।

(नोएडा खबर डॉट कॉम के लिए वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा की रिपोर्ट )

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