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एमिटी विश्वविद्यालय में आर्किटेक्चर दिवस पर एक दिवसीय ज्ञान सत्र का आयोजन

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नोएडा, 3 अक्टूबर।

विश्व आर्किटेक्चर दिवस और विश्व हैबिटेट दिवस पर छात्रों को भविष्य के शहरों के निर्माण में आ रही चुनौतियों की जानकारी प्रदान करने के लिए एमिटी स्कूल ऑफ ऑर्किटेक्चर एंड प्लानिंग द्वारा इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ ऑर्किटेक्टस, नोएडा सेंटर के सहयोग से एक दिवसीय ज्ञान सत्र का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ डिजाइन फोरम इंटरनेशनल के संस्थापक भागीदार आर्किटेक्चर गुनमीत सिंह चौहान, डब्लूएएसएच विशेषज्ञ श्री देवेन्द्र ढापोला, इंडियन एक्सप्रेस अखबार की वरिष्ठ संपादक सुश्री साइनी वर्गीज, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला, इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ ऑर्किटेक्टस, नोएडा सेंटर के चेयरमैन कर्नल अनुज श्रीवास्तव और एमिटी स्कूल ऑफ ऑर्किटेक्चर एंड प्लानिंग के निदेशक डा अमित हाजेला द्वारा किया गया।

डिजाइन फोरम इंटरनेशनल के संस्थापक भागीदार आर्किटेक्चर गुनमीत सिंह चौहान ने ंसबोधित करते हुए कहा कि आर्किटेक्चर के लिए कौशल और ज्ञान के साथ अपने सद्विवेक का उपयोग अवश्य करे तभी आप भविष्य की चुनौतियों से निपट पायेगें। स्मार्ट सिटी के रणनीती अंर्तगत दृष्टिकोण 5 गुणे पेड़, 5 गुणे पानी और 5 गुणे सुरक्षित हवा का है और नागरिक केन्द्रीकरण के ंतहत 5 गुणे नौकरी, जीवंत शासन अवसंरचना, समाजिक अवसंरचना प्रदान करना है इसके अतिरिक्त सिविक इन्फ्रा इकोसिस्टम, मोबिलीटी इकोसिस्टम और उर्जा इकोसिस्टम की संलग्नता है। स्मार्ट सिटी को समावेशी, लोकतांत्रिक और जलवायु परिवर्ततन के प्रति लचीला होना चाहिए। इस दौरान श्री चौहान ने कहा कि शहर को स्मार्ट बनाने के प्रथम स्तर में विशेष पैरामीटर के तहत सभी उपलब्ध सूचनाएं एकत्र करनी चाहिए जो आपको सभी सिविक पैरामीटर का रिकार्ड रखने में सहायक होगा। द्वितीय स्तर के अंर्तगत सभी एकत्र सूचनांए वास्तविक समय के उपयोग करके बनाई जाये, सभी मोटर से चलने और बगैर मोटर के चलने वाले वाहनों में जीपीएस ट्रैकर लगाये जाये। तृतीय स्तर के अंर्तगत सभी एक सूचनाओं जो वास्तविक समय पर आधारित हो वह पैरामीटर को नियंत्रण करने में डिजिटली हमारी सहायता करें। उन्होनें कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम छात्रों को भविष्य में देश की शहरी और ग्रामीण सभी समस्याओं के निवारण में सहायता करने के लिए प्रेरित करेगें।

डब्लूएएसएच विशेषज्ञ श्री देवेन्द्र ढापोला ने संबोधित करते हुए कहा कि जल जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जो ना केवल जीवन, आजीविका, इकोसिस्टम के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि निरंतर विकास में सहायक है। स्न 1951 में शुदध जल की उपलब्धता प्रति कैपिटा 5177 क्यूबीक मीटर पर थी स्न 2011 में जो गिरकर 1545 क्यूबीक मीटर हो गई और स्न 2019 में गिरकर 1368 क्यूबीक मीटर हो गई और अनुमान है कि स्न 2025 तक 1239 प्रति कैपिटा क्यूबीक मीटर और स्न 2050 तक 1140 प्रति कैपिटा क्यूबीक मीटर हो जायेगी। उन्होनें कहा कि सतत विकास लक्ष्य की रिपोर्ट के अनुसार 4 में से 1 स्वास्थय सुविधा में बुनियादी जल सेवाओं का आभाव है और 10 में 3 व्यक्ति स्वच्छ पीने के पानी की सुविधा से वंचित है। श्री ढापोला ने कहा कि रूझान लगातार खतरे की घंटी बजा रहे है और हम इसे अनदेखा नही कर सकते। आने वाले नये शहरों, घरों आदि को जल संचयन के लिए प्रमुख रूप से तैयार करना होगा।
इंडियन एक्सप्रेस अखबार की वरिष्ठ संपादक सुश्री साइनी वर्गीज ने छात्रो ंको देश विदेश के विभिन्न नवाचार वास्तु कला जैसे ऑस्टेलिया के क्रैब ब्रिज, जापान के टर्टल टनल आदि के उदाहरण देकर उनक महत्व को बताया। उन्होने कहा कि हम समस्याओं के निवारण को किस अलग तरह से ढूढंते है और उससे भविष्य के प्रति आशावाद का निर्माण महत्वपूर्ण है।
एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि बढ रही शहरीकरण में लोगों के स्मार्ट सिटी में आधुनिक सुविधाये उपलब्ध करना एक बड़ी चुनौती और अनुमान है आने वाले कुछ वर्षो में शहर की आबादी दोगुनी हो जायेगी इसलिए आवश्यक है कि भविष्य की चुनौतीयों से निपटने के लिए तैयार रहा जाये। बढ़ती आबादी क्षेत्रों जैसे परिवहन, आजीविका, उद्योग सभी को प्रभावित करेगी। उन चुनौतियों को समझते हुए उनके अनुरूप योजनओं, वास्तुकलाओं को आत्मसात करना आवश्यक है और इस कार्यक्रम के जरीए छात्रों को विशेषज्ञों द्वारा ज्ञान प्राप्त होगा। डा शुक्ला ने कहा कि कचरा प्रबंधन, जल की समस्या और हवा की गुणवत्ता जैसी समस्याओं से निपटते हुए स्मार्ट सिटी को पुनः आकार प्रदान करना होगा।
एमिटी स्कूल ऑफ ऑर्किटेक्चर एंड प्लानिंग के निदेशक डा अमित हाजेला ने कहा कि इस कार्यक्रम का उददेश्य छात्रों को भविष्य में आनेे वाली चुनौतीयों और उनसे निपटने की जानकारी प्रदान करना और अकादमिक सहित उद्योगों, विशेषज्ञों को चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करना भी है।

इस एक दिवसीय ज्ञान सत्र के अंर्तगत विशेषज्ञों ने सभी के लिए घर, शहरीकरण अवसंरचना, रिइमेजनिंग सिटिज आदि पर विशेषज्ञों ने परिचर्चा की।

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