नोएडा खबर

खबर सच के साथ

क्या गुजरात का सम्बंध भी गुर्जर से है? इतिहास में दर्ज दस्तावेज यही संकेत देते हैं

1 min read

नई दिल्ली, 3 अक्टूबर।

क्या आपने कभी नाम सुना है गुर्जर देश या गुजरात, यह एक ऐतिहासिक क्षेत्र था। गुर्जर बाहुल्य होने के कारण इस राज्य का नाम गुजरात पड़ा। दादरी में राजा मिहिर भोज की जाति को लेकर उठे विवाद के बीच ये लेख आपके लिए जरूरी है जो बेवजह जातियता के रंग को तूल दे रहे हैं।

आइए हम आज आपको इसके ऐतिहासिक पक्ष की कहानी सुनाते हैं भारत के वर्तमान राजस्थान राज्य के पूर्वी हिस्से और गुजरात राज्य के उत्तरी हिस्से पर यह गुर्जर देश या गुजरात क्षेत्र कहलाता था । माना जाता है कि गुर्जर प्रतिहार पांचवी सदी ईसवी के आसपास के क्षेत्र में आए और अरावली के पश्चिम में अपनी मुख्य बस्तियां बसाई, यही क्षेत्र गुर्जरात्रा के नाम से जाना गया बाद में वे पूर्व और दक्षिण की ओर बढ़े और इस क्षेत्र की सबसे प्रमुख शक्ति के रूप में उभरे उन्होंने उत्तर भारत के बड़े हिस्से पर अपना साम्राज्य कायम किया और कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया जो उनसे पहले हर्षवर्धन की राजधानी थी। इससे पहले गुजरात राज्य के दक्षिणी भाग को लाट , सौराष्ट्र और काठियावाड़ के नाम से जाना जाता था। गुर्जर अपने शारीरिक ताकत और फौलादी शरीर के कारण बहुत ही उत्तम प्रकार के लड़ाके थे जो किसी भी परिस्थितियों में लड़ने में सक्षम थे अतः गुर्जरों ने छोटे-छोटे क्षेत्रों पर अपना आधिपत्य जमाना शुरू किया उसके पश्चात छठी शताब्दी में गुर्जर प्रतिहार राजवंश की नींव पढ़नी शुरू हुई सातवीं शताब्दी तक गुजरात के भरूच से निकलकर ये वर्तमान के गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब,  पश्चिम उत्तर प्रदेश , दिल्ली  व उत्तरी मध्य प्रदेश पर एक बहुत ही बड़े राजवंश शुरुआत हुई , जिसे गुर्जर प्रतिहार राजवंश के नाम से जाना गया अतः इस क्षेत्र को गुर्जर राष्ट्र कहा जाने लगा । आपको याद होगा कि पाकिस्तानी पंजाब का गुजरात जिला गुजरांवाला , जिला गुजरांवाला शहर और रावलपिंडी जिले का गुर्जर खान शहर इसके उदाहरण गिनाए जाते हैं

यह है ऐतिहासिक संदर्भ

गुर्जर जाति के आधिपत्य के कारण आधुनिक राजस्थान जिसका गठन आजादी के बाद 30 मार्च 1949 को हुआ वह सातवीं शताब्दी में गुर्जर देश कहलाता था । राजा हर्षवर्धन 606 से 647 ईसवी के दरबारी कवि बाणभट्ट ने हर्षचरित नामक ग्रंथ में हर्ष के पिता प्रभाकर वर्धन का राजाओं के साथ संघर्ष का जिक्र किया है संभवत उनका संघर्ष गुर्जर देश के गुर्जर के साथ हुआ था अतः गुर्जर छठी शताब्दी के अंत तक गुर्जर देश यानी आधुनिक राजस्थान में स्थापित हो चुके थे।

ह्वेन सांग ने 641 ईसवी में सी -यू -की नामक पुस्तक में गुर्जर देश का वर्णन किया है ह्वेन सांग ने मालवा के बाद ओचलि, कच्छ,  वल्लभी , आनंदपुर , सौराष्ट्र और गुर्जर देश का वर्णन किया है उसने लिखा है कि वल्लभी के देश में 300 मील के करीब उत्तर में जाने पर गुर्जर राज्य में पहुंचते हैं यह देश करीब 833 मील के घेरे में हैं उसकी राजधानी भीनमाल पांच मील के घेरे में हैं भीनमाल के रहने वाले ज्योतिषी ब्रह्मगुप्त ने शक संवत 550 यानी 628 ईसवी में यानी ह्वेन सांग के आने के 13 साल पहले ब्रह्मगुप्त नामक ग्रंथ लिखा जिसमें उसने वहां के राजा का नाम गुर्जर सम्राट व्याघ्र मुख चपराना और उसके वंश का नाम चपराना चपोतकट व चावड़ा बताया है। अब ग्रेटर नोएडा में केंद्र सरकार के म्यूजियम में गुर्जरों के इतिहास को संकलित कर विशेष कक्ष तैयार किया गया है। उसमें गुर्जरों के इतिहास का गौरवगान लिखा है। इसकी स्थापना केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री के रूप में डॉ महेश शर्मा ने करवाई थी। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2019 के चुनाव से पहले  किया था। राजा मिहिर भोज को लेकर चल रहे विवाद का यही समापन होना चाहिए।

(नोएडा खबर डॉट कॉम न्यूज़ ब्यूरो )

 5,862 total views,  4 views today

More Stories

Leave a Reply

Your email address will not be published.

साहित्य-संस्कृति

चर्चित खबरें

You may have missed

Copyright © Noidakhabar.com | All Rights Reserved. | Design by Brain Code Infotech.