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ज्ञानश्री विद्यालय के वार्षिक उत्सव में पहुंचे जिलाधिकारी सुहास एल वाई

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-ज्ञान और संगीत के संगम से विभोर हुये छात्र और शिक्षक

नोएडा, 25 दिसम्बर।

सेक्टर 127 में स्थित ज्ञानश्री विद्यालय ने अपना दो दिवसीय सातवाँ वार्षिक समारोह का आयोजन किया। जिसमें विद्यार्थियों को समुदाय और पर्यावरण की जरूरतों के प्रति संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से, जिम्मेदारी, अखंडता, प्रतिबद्धता आदि जैसे मूल्यों को विकसित करने का सफल प्रयास किया |

कथाकार के नाम से आयोजित कार्यक्रम के पहले दिन मुख्य अतिथि सीबीएसई के सचिवअनुराग त्रिपाठी और दूसरे दिन मुख्य अतिथि जिलाधिकारी सुहास एल. यतिराज थे। समारोह की अध्यक्षता हल्दीराम शैक्षणिक सोसायटी के अध्यक्ष
एमएल अग्रवाल जी ने की। कार्यकारी समिति के सम्मानित सदस्य, रीटा कपूर, संस्थापक निदेशक और कार्यकारी समिति के सदस्य, के.सी. जैन और प्रदीप श्रीवास्तव भी उपस्थिति रहे।

प्राचार्या बृंदा घोष ने अतिथियों का औपचारिक स्वागत किया और कार्यक्रम की शुरुआत दीप-प्रज्ज्वलन समारोह के साथ हुई,संपूर्ण सभागार ‘नमस्तेसु महामाए’ के ​​स्वरों से गुंजायमान हो गया, जिसे आनंद, सौंदर्य, प्रेम और समृद्धि की देवी, माता लक्ष्मी के आशीर्वाद का आह्वान करते हुए ‘श्रीधुन’ द्वारा गाया गया था, जिसमें 69 विद्यार्थी शामिल हुए।

तत्पश्चात पद्मश्री पंडित मधुप मुद्गल द्वारा रचित राग बागश्री में एक भावपूर्ण स्वरसंगति ‘चतुरंग’ की आह्लादित कर देने वाली प्रस्तुति से विद्यालय की गायन मंडली ने भी दर्शकों को मन्त्र-मुग्ध कर दिया ।

प्राचार्या ने दर्शकों को संबोधित करते हुए उन्हें विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर विद्यार्थियों द्वारा जीते गए पुरस्कारों के सम्बन्ध में अवगत कराया। इसके बाद, कक्षा  9 और 11 के विद्यार्थियों द्वारा ज्ञानश्री विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ी गई, जिसमें दर्शकों को शैक्षिक और सह-शैक्षिक क्षेत्र में विद्यालय की उपलब्धियों की एक झलक दी गई।
“कथाकार” – विद्यार्थियों द्वारा गीत-संगीतमय प्रस्तुति, हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रकृति के संरक्षण और सुरक्षा और समय की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है तथा हमारे बीमार ग्रह को पुनर्जीवित करने की हमारी सामूहिक जिम्मेदारी को दर्शकों के समक्ष गहराई से प्रतिध्वनित करती है। नवोदित कलाकार उन पात्रों के साथ एक हो गए, जिन्हें उन्होंने चित्रित किया और वैदिक काल से लेकर वर्तमान समय तक, विभिन्न क्षेत्रीय प्रथाओं जैसे मैती प्रथा,बिश्नोइयों आदि के माध्यम से, कथाकार ने अनेक कहानियाँ सुनाई जिनकी सहायता से भारत की पर्यावरण संरक्षण की परंपराओं के बारे में जानकारी दी गई । यह गीत-संगीतमय प्रस्तुति शास्त्रीय, पश्चिमी और लोक नृत्य रूपों; माइम और रंगमंच; सस्वर पाठ और संगीत का एक सरल मिश्रण था, जिसने पृथ्वी के ‘भूमिमित्र’ होने की उभरती आवश्यकता पर बल दिया।

इस अवसर पर अपनी बात रखते हुए, अनुराग त्रिपाठी ने ऐसी शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया जो युवाओं में आत्मविश्वास, जिम्मेदारी, विचारों की स्पष्टता और मूल्यों को बढ़ावा दे। एन ई पी के सिद्धांतों के अनुरूप, उन्होंने अनुभवात्मक शिक्षा के महत्व और छात्रों में 21वीं सदी के कौशल को विकसित करने पर जोर दिया, जो उन्हें भविष्य के लिए तैयार करेगा। उन्होंने छात्रों से गरीबों की मदद करने का आह्वान भी किया। श्री त्रिपाठी ने इस बात पर भी जोर दिया कि योग्यता के साथ-साथ कौशल पर आधारित शिक्षा प्रणाली हमारे देश को आगे बढ़ने में मदद करेगी।

जिला अधिकारी यथिराज ने अभिभावकों को अपने सन्देश में कहा कि, उन्हें अपने बच्चों की क्षमताओं को पहचानकर तथा उन्हें उसी ओर अग्रसर करना चाहिए | उन्होंने यह भी कहा कि अपने व्यक्तित्व का निखार मनुष्य अपने विचारों की गुणवत्ता के माध्यम से कर सकता है , इसलिए अपने विचारों पर ध्यान दें, वे आपके शब्द बन जाते हैं; अपने शब्दों पर ध्यान दें, वे आपके कार्य बन जाते हैं; अपने कार्यों पर ध्यान दें, वे आपकी आदत बन जाते हैं; अपनी आदतों पर ध्यान दो, वे आपका चरित्र बन जाती हैं; अपने चरित्र को देखो, यह आपका भाग्य बन जाता है।

कार्यक्रम का समापन धन्यवाद प्रस्ताव तथा अंत में राष्ट्र गान के साथ हुआ। यह कार्यक्रम एक अविस्मरणीय प्राणपोषक अनुभव था और उपस्थित सभी लोगों के मस्तिष्क पर एक स्थायी छाप अंकित कर गया ।इस गीत-संगीतमय प्रस्तुति ने सभी को पृथ्वी के प्रहरी या ‘भूमिमित्र’ बनने की प्रेरणा भी प्रदान की।

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