सेहत की बात : भारत मे “विटामिन डी की कमी से विकार” पर एमिटी यूनिवर्सिटी में चर्चा
1 min readनोएडा, 14 जून।
एमिटी विश्वविद्यालय में ‘‘भारत में विटामिन डी की कमी से होने वाले विकार की स्थिति ’’ पर मेजर जनरल (डा) आर के मारवाह ने महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया है।
छात्रों को शारिरीक विकास और प्रतिरोधक क्षमता में विटामिन ‘‘डी’’ के महत्व के साथ देश मे इसकी कमी से होने वाले विकार की स्थिति पर जानकारी प्रदान करने एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन द्वारा व्याख्यान सत्र का आयोजन किया गया।
इस व्याख्यान सत्र में डीआडीओ के इंस्टीटयूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड सांइसेस के एंडोक्राइनोलॉजी एंड थॉयराइड रिसर्च सेंटर के पूर्व एडिशनल डायरेक्टर और प्रमुख मेजर जनरल (डा) आर के मारवाह ने ‘‘ भारत में विटामिन डी की कमी से होने वाले विकार की स्थिति और सार्वजनिक स्वास्थय समस्या से निपटने के उपाय’’ विषय पर जानकारी दी। इस अवसर पर एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती और एमिटी डायरेक्टोरेट ऑफ साइंस एंड इनोवेशन के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डा गोपाल भूषण ने डा मारवाह का स्वागत किया।
डीआडीओ के इंस्टीटयूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड सांइसेस के एंडोक्राइनोलॉजी एंड थॉयराइड रिसर्च सेंटर के पूर्व एडिशनल डायरेक्टर और प्रमुख मेजर जनरल (डा) आर के मारवाह ने ‘‘ भारत में विटामिन डी की कमी से होने वाले विकार की स्थिति और सार्वजनिक स्वास्थय समस्या से निपटने के उपाय’’ विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि स्वास्थय में विटामिन डी को बेहद महत्वपूर्ण है यह हमारे रक्त के कैल्शियम स्तर को सामान्य श्रेणी में रखने में सहायता करता है जो हमारी तांत्रिका तंत्र, हड्डी की वृद्धि और चरम अस्थि घनत्व को हासिल करने में सहायक होता है। यह ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जैसे मल्टीपल स्केलेरोसिस, रियूमेडॉइड अर्थराइटिस, श्वसन संक्रमण जैसे इंनफ्लुएंजा आदि से बचाता है। चरम अस्थि घनत्व, साधारण विकास के दौरान प्राप्त किया गया अस्थि का उच्चतम स्तर होता जिसका 80 प्रतिशत विकास 18 वर्ष की अवस्था तक हो जाता है जिसमें विटामिन डी बेहद महत्वपूर्ण होता है। डा मारवाह ने कहा कि पोषण, जेनेटिक्स, हॉर्मोन और जीवनशैली चरम अस्थि घनत्व, के निर्धारक है। खराब हड्डियों के स्वास्थय से विश्व में वार्षिक लगभग 8.9 मिलियन फैक्चर होते है और इसके अतिरिक्त ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर से जुड़ी उच्च रूग्णता और मृत्यु दर अधिक होती है।
उन्होनें विटामिन डी के मूलभूत और क्रिया विज्ञान बताते हुए विटामिन डी की कमी के कारण जैसे बढ़ती उम्र, सनस्क्रिन का उपयोग, भागौलिक क्षेत्र, अधिकतर घर में रह कर कार्य करना, प्रदूषण जिससे पर्याप्त धूप नही मिलती और वसा कुअवशोषण, मोटापा, रोग, धूम्रपान जैसे मेडिकल कारणों को बताया। बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों में विटामिन डी की कमी के कारणो की जानकारी देते उसके प्रतिकूल प्रभावों को बताया।
डा मारवाह ने कहा कि भारत में भोजन में विटामिन डी की मात्रा पूर्ण नही होती इसलिए इस पोषण के खाली स्थान को भरने के लिए अतिरिक्त सप्लीमेंट की आवश्यकता होती है। एपिडेमाइलॉजिकल स्टडीज बहुत ही अधिक स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि देश भर के सभी आयु समूहों में महिला और पुरूष दोनों में विटामिन डी की कमी है। यह एक महत्वपूर्ण आमजन स्वास्थय समस्या है जिसपर ध्यान देना आवश्यक है। कैल्शियम और विटामिन डी एक मजबूत अस्थि स्वास्थय मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए विटामिन डी युक्त भोजन, सूर्य प्रकाश, सप्लीमेंट और फोर्टीफिकेशन आवश्यक है।
एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने स्वागत करते हुए कहा कि विटामिन डी मानव शरीर के उचित कार्यप्रणाली मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसमें हड्डियों का स्वास्थय, प्रतिरक्षा और कई पुरानी स्थितियों से सुरक्षा शामिल है। हांलाकि, विटामिन डी की कमी दुनिया भर में सबसे आम पोषण संबंधी कमियों में से एक है। विटामीन डी ने हाल ही में विशेष रूप से कोविड 19 के दौरान प्रतिरक्षा स्वास्थ्य में अपनी भूमिका के लिए ध्यान आकर्षित किया है। छात्रों और शोधार्थियों को जानकारी प्रदान करने और शोध के लिए प्रोत्साहित करने हेतु इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा वी के मोदी, डा एस के श्रीवास्तव, डा रूमी देब आदि लोग उपस्थित थे।
2,336 total views, 2 views today