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नोएडा, 6 सितंबर।

एमिटी विश्वविद्यालय में आयोजित एस 20 सम्मेलन में विशेषज्ञों ने समग्र स्वास्थय, विज्ञान में मीडिया की भूमिका और समाज एवं संस्कृति के लिए विज्ञान विषय पर मंथन किया।

एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के सहयोग से ‘‘नवाचार व सतत विकास के लिए विघटनकारी विज्ञान’’ विषय पर आयोजित प्रतिष्ठित विज्ञान 20 (एस 20) सम्मेलन के द्वितीय दिन ‘‘सार्वभौमिक समग्र स्वास्थय’’, विज्ञान और संस्कृति में मीडिया की भूमिका’’ एंव ‘‘समाज व संस्कृति के लिए विज्ञान’’ विषय पर महत्वपूर्ण परिचर्चा सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे।
प्रथम परिचर्चा सत्र ‘‘सार्वभौमिक समग्र स्वास्थ्य’’ की अध्यक्षता अवंतीपोरा के एम्स के अध्यक्ष डा प्रमोद गर्ग ने की जिसमें सत्र में दिल्ली एम्स के पूर्व डीन डॉ नरिंदर के मेहरा ने महत्वपूर्ण व्याख्यान देते हुए कहा कि एआई सहित स्वास्थ्य सेवाओं में नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग बहुत रूचि का विषय है और स्वास्थय सेवा क्षेत्र में क्रांति ला देगा। जलवायु और स्वास्थय सहयोगियों का एक क्षेत्रीय प्राकृतिक निर्माण करना समय की मांग है। व्यक्ति को बड़ा सोचना चाहिए और असफलता से कभी डरना नही चाहिए।
मेडिकल सर्विसेस (नौसेना) की डीजी सर्जन वाइस एडमिरल डा आरती सरीन ने कहा कि मानसिक स्वास्थय के लिए दयालु और संवेदनशील दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। स्वास्थय सेवाओं के स्पेक्ट्रम में उपचारात्मक, निवारक, प्रोत्साहनात्मक और समग्र स्वास्थय देखभाल शामिल होनी चहिए।
आयुर्वेद के महत्व पर बोलते हुए आयुष मंत्रालय के केन्द्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रोफेसर रबीनारायण आचार्य ने कहा कि आयुर्वेद प्राचीन ज्ञान से आता है और इसे पूरी दुनिया ने रोगो के इलाज के एक लोकप्रिय तरीके के रूप में स्वीकार किया है। आयुर्वेद के लाभों को शब्दो से नही बताया जा सकता है इसका कोई भी साइड इफेक्ट नही है क्येाकी यह पूरी तरह से प्राकृतिक औषधियों पर आधारित है जिससे इसका उपयोग सुरक्षित है।
जापान योग थेरेपी सोसाइटी के डा किमुरा किआशिन ने कहा कि विज्ञान भौगोलिक और संस्कृतियों से परे है, और हम देख सकते हैं कि आज योग दुनिया भर में प्रचलित है। जापान में योग बेहद लोकप्रिय है और बहुत से लोग इसका अभ्यास करते हैं और आज लगभग 70 मिलियन लोग योग का अभ्यास कर रहे हैं।
आयुष मंत्रालय के मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. ईश्वर बसवरद्दी ने कहा, योग सुख और शांति के लिए है, जिसका अर्थ है खुशी और शांति और यह शरीर, मन और आत्मा को संरेखित करता है इसलिए, हमें अपनी संस्कृति को पूरी दुनिया में फैलाना चाहिए और सार्वभौमिक समग्र स्वास्थ्य के लिए योग का अभ्यास करना चाहिए।
एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अशोक के. चौहान ने कहा कि एमिटी की सफलता उसके छात्रों की सफलता में निहित है और एमिटी के छात्र अद्वितीय और बहुत प्रतिभाशाली हैं इसलिए उन्हें आगे आना चाहिए और अपने भविष्य के लक्ष्यों को साझा करना चाहिए और संस्थान उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। एमिटी में आयोजित प्रतिष्ठित एस-20 सम्मेलन छात्रों के लिए नई संभावनाओं और अवसरों की दुनिया खोलेगा।
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कार्यक्रम के अंर्तगत आयोजित ‘‘विज्ञान और संस्कृति में मीडिया की भूमिका‘‘ सत्र की अध्यक्षता, राजनीतिक आर्थिक व विदेश मामलों के विशेषज्ञ डा एस के दत्ता ने की। इस सत्र में एनडीटीवी के विज्ञान संपादक श्री पल्लव बागला, लखनउ के वेट्रियन सांइस कम्यूनिकेटर डा सी एम नौटियाल, अंतराष्ट्रीय संवाददाता सुश्री तूलिका भटनागर, हिंदुस्तान टाइम्स के उप स्वास्थय संपादक श्री रिदम कौल और रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक डा अर्नब गोस्वामी ने अपने विचार रखे।
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एमिटी विश्वविद्यालय के एस 20 सम्मेलन के अंर्तगत आयोजित एक विशेष सत्र ‘‘समाज और संस्कृति के लिए विज्ञान’’ की अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य डा वी के सारस्वत ने की। सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व पर सुरक्षित स्थान के निर्माण के लिए मानव समृद्वि के एक नए विकास प्रतिमान के लिए तेजी से वैश्विक परिवर्तन की आवश्यकता है। एक मजबूत और प्रभावी विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधार भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाता है और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी से उत्पन्न ज्ञान का आर्थिक विकास और समाजिक विकास पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है जिससे जीवन स्तर में सुधार होता है।
विषय पर चर्चा करते हुए, एसईआरबी के सचिव डॉ. अखिलेश गुप्ता ने कहा, “आज के सम्मेलन का विषय बहुत उपयुक्त है और विज्ञान और संस्कृति के बीच एक मजबूत संबंध है। निजी विश्वविद्यालय बेहतरीन शोध कार्य कर रहे हैं और आज सरकारी विश्वविद्यालयों से कम नहीं हैं। मिशन चंद्रयान-3 ने लोगों की उम्मीदें बढ़ा दी हैं और इसलिए, भारतीय वैज्ञानिकों को अपने सभी प्रयासों में सफलता हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।
डीएसटी के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रमुख डॉ. एस वार्ष्णेय ने कहा कि हमें कीटनाशकों को कम करके एक स्थायी भविष्य बनाने की जरूरत है, हमें भोजन की उपलब्धता पर ध्यान देने और इसे किफायती कीमतों पर उपलब्ध कराने की जरूरत है। साथ ही, गांवों में परीक्षण और स्क्रीनिंग चिकित्सा सुविधाओं में सुधार करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन एंड फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती और एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला भी उपस्थित थी। कार्यक्रम के अंर्तगत एमिटी में स्कूली छात्रों के लिए एक वाद-विवाद प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसमें छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और पुरस्कार जीते।

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