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कलरिया बाबा सिद्धपीठ मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा में महाराज जी ने बताए स्वाभिमान के लक्षण

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नोएडा, 8 सितंबर।

“मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना भूल जाने के काबिल नही है” इसी भजन से कलरिया मंदिर सेक्टर 12 से श्रीमद्भागवत कथा पंचम दिवस में परमपूज्य श्री राजेंद्रानंद सरस्वती जी महराज के श्रीमुख से प्रवाह हुई जिसमे कृष्ण जी की बाल लीलाओं को बड़े ही मार्मिक ढंग से समझाया गया!

सभी भक्तजन बाल लीलाओं को सुनकर झूम उठे और नृत्य कर अपने पैरो की थिरकन को श्री कृष्ण के चरणों मैं समर्पित करके खूब ठाकुर जी को रिझाया और लाड लड़ाया!

॥ नख पै गिरिवर लीन्हों धार, कन्हैया मेरो वारो ॥ कुछ ये पद महाराज जी ने सुनाए!

व्यास पीठ से महाराज जी ने बताया कि प्रेम भी पूजा भाव की पूजा कहलाती है। उन्होंने बताया कि भाव से पूरित सुनी गई कथा पथभ्रष्ट लोगो को भी सत्मार्ग में लाकर मोक्ष की प्राप्ति का रास्ता प्रशस्त करती है।

उन्होंने गोवर्धन भगवान के महात्म्य को बड़े ही भाव से समझाया और गोबर से बहुत सुंदर ब्रज बिहारी का गोवर्धन स्वरूप बनवाया और उस झांकी को सभी लोगो ने खूब निहारा।

गोवर्धन पूजा के यजमान ” जयपुर और दिल्ली की फार्मा कम्पनी के निदेशक श्री पुलकित गोयल और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती जया गोयल जी ” ने पूरे विधि विधान से गोवर्धन भगवान को 56 प्रकार के भोग और अन्नकूट का भोग लगाया और भागवत भगवान की आरती की ऐसा श्री गौरी शंकर वैदिक धर्मार्थ ट्रस्ट के राष्ट्रीय महासचिव श्री भानू प्रताप लवानिया जी ने नोएडा से जानकारी दी!

आज की कथा मैं भक्तजन भी भोग के लिये अपने मन पसन्द भोग बना कर घर से ही लाए लाए और अपने हाथ से ठाकुर जी को भोग लगाया। विभिन्न प्रकार के भजनों को सुनकर पूरा पंडाल भक्तिमय हो गया और भक्तजन नृत्य करने लगे।

श्रीमद भागवत कथा के पंचम दिवस में श्री गोवर्धन गिरिराज पूजन किया गया…. पूज्य महाराज जी ने बहुत कथाये सभी भक्तो को सुनाई…जैसे पूतना वध…. कृष्ण बलराम नामकरण…..मुख में ब्रह्मांड के दर्शन…. ओखल बंधन लीला… माखन चोरी लीला…

महाराज जी ने आज जो मानवता को संदेश दिया वो अपने आप मैं अद्भुत था जिसमे कहा कि स्वाभिमान का मतलब अपनी बात पर अड़े रहना नहीं अपितु सत्य के साथ खड़े रहना है। दूसरों को नीचा दिखाते हुए अपनी बात को सही सिद्ध करने का प्रयास करना यह स्वाभिमानी का लक्षण नहीं अपितु दूसरों की बात का यथायोग्य सम्मान देते हुए किसी भी दबाव में ना आकर सत्य पर अडिग रहना यह स्वाभिमान है।

अभिमानी वह है जो अपने अहंकार के पोषण के लिए दूसरों को कष्ट देना पसंद करता है और स्वाभिमानी वह है जो सत्य के रक्षण के लिए स्वयं ही कष्टों का वरण कर लेता है। स्वाभिमान व्यक्ति किसी को कष्ट नहीं देता अपितु दूसरों के स्वाभिमान की रक्षा करते हुए स्वयं कष्ट सह लेता है।

जब व्यक्ति ये कहता है मैं जो कह रहा हूँ वही सत्य है, यह अभिमानी का लक्षण है और जो सत्य होगा मैं उसे स्वीकार कर लूँगा यह स्वाभिमानी का लक्षण है। अपने आत्म गौरव की प्रतिष्ठा जरुर बनी रहनी चाहिए मगर किसी को अकारण, अनावश्यक झुकाकर, गिराकर अथवा रुलाकर नहीं।

ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में जब सब कुछ ग्लोबल डिजाइनर पेड कमर्शियल एवेंट मैनजमेंट हो गया है जिसके कथाएं भी अब इवेंट बनकर रह गई है, जिसको नहीं होना चाहिए था वह भी धर्म प्रवक्ता बन गया है आदि कोई राम वनकर कोई कृष्ण, नारायण, राधा सब कथवाचक है पता नहीं जैसे सतयुग का भारत सहित भक्ति का सत्रयाग चल रहा हो पर जो भी हो आज सनातन और भारत मैं हिंदू धर्म अपने चरम पर अपना खुद उद्घोष खुद कर रहा है जो भारत के भविष्य के लिए अच्छा है!

सभी भक्तो का आयोजन में हार्दिक स्वागत, वंदन,अभिनंदन और आज कथा व्यास ने कहा कैसे नंदालय में गोपियों का तांता लगा रहता है। हर गोपी भगवान से प्रार्थना करती है कि किसी न किसी बहाने कन्हैया मेरे घर पधारें।

जिसकी भगवान के चरणों में प्रगाढ़ प्रीति है, वही जीवन्मुक्त है। एक बार माखन चोरी करते समय मैया यशोदा आ गईं तो कन्हैया ने कहा कि मैया तुमने इतने मणिमय आभूषण पहना दिए हैं जिससे मेरे हाथ गर्म हो गए हैं तो माखन की हांडी में हाथ डालकर इन हाथों को शीतलता प्रदान कर रहा हूं।

कल महाराज जी श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह का प्रसंग, सुदामा चरित्र और द्वारका लीला का प्रसंग कल की कथा मंदाकिनी मैं गोता लगवाएंगे।

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