नोएडा : फोनरवा की एजीएम में फाउंडर सदस्यों को चुनाव लड़ने और वोट देने का अधिकार फिर मिला, लेखा जोखा भी रखा
1 min readनोएडा, 22 अक्टूबर।
फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (फोनरवा) की वार्षिक आमसभा का आयोजन रविवार 22 अक्टूबर 2023 को फोनरवा कार्यालय सेक्टर 52 में आयोजित की गई। आज दुर्गा अष्टमी के त्यौहार होने के बावजूद भी बड़ी संख्या में सदस्यों ने इस बैठक में भाग लिया।
मीटिंग के लिए निर्धारित शाम सुबह 11बजे मीटिंग का कोरम पूरा न होने के कारण बैठक को 30 मिनट के लिए स्थगित किया गया और आधे घंटे के पश्चात बैठक शुरू हुई।
मीटिंग का प्रारंभ अध्यक्ष योगेन्द्र शर्मा द्वारा सभी सदस्यों का स्वागत किया और सभी सदस्यों से निवेदन किया गया कि मीटिंग में सभी सवालों का जवाब दिया जाएगा।
तत्पश्चात महासचिव के के जैन द्वारा सभी सदस्यों का स्वागत करते हुए बताया कि हमने मीटिंग का पूरा एजेंडा व्हाट्सएप मैसेज और कोरिअर सर्विस के द्वारा सभी सदस्यों को समय से भेज दिया गया है और सभी को यह प्राप्त भी हो चुका है। महासचिव के के जैन ने गत बर्ष की गतिविधियों व उपलब्धियों का विस्तृत विवरण मीटिंग में प्रस्तुत किया।
तत्पश्चात सदस्यों ने अपने अपने विचार रखे।कोषाध्यक्ष श्री अशोक मिश्रा जी ने पूरे साल के आय और व्यय का विवरण दिया जिसको सभी उपस्थित सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसके अलावा फाउंडर सदस्यों को चुनाव लड़ने और वोट देने के अधिकार के एजेंडे को सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से पारित किया गया।
फोनरवा कार्यकारिणी द्वारा चुनाव से सम्बन्धित लिए गए निर्णय की जानकारी दी गई जिसके अनुसार फोनरवा की नई कार्यकारिणी कमेटी का चुनाव 19 नवंबर 2023 को फोनरवा कार्यालय में होगा और चुनाव के लिए चार चुनाव अधिकारी कर्नल (रिटायर्ड) एस.के. वैद्य, श्री डी. के. खरबंदा,
श्री वीएस नगरकोटी और श्री लोकेश सिन्हा के चयन को ध्वनि मत से पास किया गया।
महासचिव के के जैन ने कुछ सदस्यों द्वारा लगाए गए आरोपों के संबंध में बताया कि उनके द्वारा लगाए गए सभी आरोप मनगढ़ंत है और सभी कार्य कार्यकारिणी द्वारा फोनरवा के बाइलॉज में दिए गए नियमो के आधार पर ही किए गए हैं ।उन्होंने इस बात का भी खंडन किया की कुछ लोग अफवाहें फैला रहे हैं कि फोनरवा की कार्यकारिणी को कालातीत कर दिया गया है जो की पूर्णरूप से असत्य है।सभी उपस्थिति सदस्यों ने एक ही सुर में कुछ सदस्यों द्वारा गलत सूचनाएं देकर फोनरवा की छवि खराब करने तथा वार्षिक आम सभा को असंवैधानिक मानते हुए इसका बहिष्कार करने की अपील की कड़े शब्दों में आलोचना की गई।
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