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प्रोफेसर अनिल कुमार निगम की मीडिया आधारित दो पुस्तकों का लोकार्पण

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-संपादन कला और कोरोना काल पर आधारित है पुस्तकें

-मीडिया के छात्रों के लिए उपयोगी है ये पुस्तकें: डॉ. महेश शर्मा

-कोरोना काल में पुस्तकें लिखना और संपादन एक चुनौती से कम नहीं: प्रो. संजीव शर्मा

-काफी संख्या में राष्ट्रवादी पत्रकार सामने आये हैं. अगंज त्यागी

– समाचार पत्र का पहला पेज आकर्षक नहीं हो तो पाठक नहीं जुड़ते: नरेंद्र ठाकुर

नोएडा, 4 दिसम्बर।

वरिष्ठ पत्रकार और मीडिया प्राध्यापक प्रो. अनिल कुमार निगम की मीडिया पर आधारित दो पुस्तकों का लोकार्पण प्रेरणा शोध संस्थान न्यास, नोएडा के तत्वावधान में शुक्रवार को किया गया।

नोएडा इंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा, महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय सह -प्रचार प्रमुख नरेंद्र ठाकुर, उत्तरप्रदेश एवं उत्तराखंड संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपाशंकर, केशव संवाद पत्रिका के प्रबंध संपादक अणंज त्यागी मौजूद थे। इस मौके पर सभी गणमान्य अतिथियों ने प्रो. अनिल कुमार निगम की दोनों पुस्तकों ‘संपादन एवं पृष्ठ सज्जा’ और ‘कोरोनाकाल: पारखी नजर’ का लोकार्पण किया।

कार्यक्रम में पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि अनिल निगम से पिछले तीस वर्ष से संबंध हैं और उन्होंने मीडिया में उच्चतर स्थान प्राप्त किया है। समाज को वापस करने का मौका है और वे बखूबी कर रहे हैं. अपने जीवन में कोरोना जैसा मंजर हमने कभी नहीं देखा हम पर्व-त्यौहार में भी चीन पर निर्भर हो गए थे, लेकिन पिछली दिवाली पर हम लोगों ने देखा कि कैसे देश आत्मनिर्भर बन रहा है. ऐसे में मीडिया का दायित्व अधिक हो जाता है. कोरोना काल में इन पुस्तकों में अनिल निगम ने जो लिख दिया, उसकी कल समीक्षा होगी. ये पुस्तकें मीडिया के छात्रों के लिए बहुत उपयोगी होगी, ऐसा मेरा विश्वास है. जिस तरह घर के ड्राइंग रूम को हम सजाते हैं, उसी तरह हम समाचार पत्र के पन्नो को सजाते हैं और वह बताने के लिए उनकी दूसरी पुस्तक महत्त्वपूर्ण है. केशव संवाद पत्रिका के प्रबंध संपादक अणंज त्यागी ने कहा कि वर्तमान समय ने राष्ट्रवादी विषय पर पत्रकार और लेखक लगातार लिख रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रेरणा शोध संस्थान न्यास नोएडा की पत्रिका में 250 से अधिक लेखक लगातर विभिन्न विषयों आर लिख रहे हैं और यह काम प्रो. अनिल निगम के निर्देशन में संभव हो पाया. पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने काफी सराहनीय कार्य किया है।

विशिष्ट अतिथि प्रो. संजीव शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय आन्दोलन में गांधी से लेकर आंबेडकर तक पत्रकार थे। प्रो. अनिल निगम पत्रकार, शिक्षक के साथ-साथ वे कार्यक्रम आयोजक भी अच्छे हैं. अपने पारिवारिक संकटों के साथ, अपने कार्यकालीन व्यस्तता के बीच उन्होंने लेखन के साथ संपादन का कार्य किया। कोरोना काल में भारत ने जिस तरह वसुधैव कुटुम्बकम का कार्य किया और उन्हें रेखांकित कर आलेखों का संकलन करना एक बेहतरीन कार्य है. मीडिया में समाचार का संपादन दायित्वपूर्ण कार्य है. नया मात्र ही नहीं अनोखा भी कहना है, लिखना है, सच भी कहना है और लिखना भी है, और यह कार्य अनिल निगम बेहतर ढंग से कह रहे हैं।

अखिल भारतीय सह-प्रचार प्रमुख नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि किसी वक्त में पढ़ने के लिए पत्रकारिता की पुस्तकें काफी कम थीं, लेकिन अब बदलाव आया है. पत्रकारिता के छात्रों को संपादन एवं पृष्ठसज्जा के काफी लाभ होगा. यदि किसी पत्र-पत्रिका का पहला पृष्ठ आकर्षक नहीं होगा, तो पाठक उससे नहीं जुड़ेगा. इसलिए हम सभी को अनिल निगम जी की पुस्तकें अवश्य पढनी चाहिए क्योंकि उन्हें पत्रकारिता और अध्यापन का व्यापक अनुभव है. पत्रकार के तौर पर आपके शब्द किसी के जीवन को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. शब्दों के आधार पर पूरे विश्व में तमाम सकारात्मक और नकारात्मक विमर्श करते हैं. उनकी दूसरी पुस्तक कोरोना काल पर है और भारत के समाज ने जिस तरह से कोरोना काल पर प्रतिक्रिया दी, दुनिया को सहयोग किया औ यह विचार पूरी दुनिया को प्रभावित किया. समाज और सरकार के कार्य दुनिया के सामने एक बेहतर उदाहरण दिया. हमारा समाज सेवा को अहसान नहीं मानता, वह कर्तव्य समझता है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक के कार्य को भी इस पुस्तक में जगह दी गई है. यह संगठन व्यक्ति का निर्माण करता है, जो समाज और देश हित के लिए कार्यकर्त्ता है, उन्होंने कहा कि प्रो. अनिल निगम की दोनों पुस्तकें पठनीय हैं।
इससे पहले कार्यक्रम में अपने बात रखते हुए प्रो. अनिल निगम ने कहा कि कोरोना काल में हमने देखा कि विभिन्न संस्थानों ने अपने स्तर पर लोगों की सहायता की और उनको रेखांकित किया जाना आवश्यक है. कोरोना कालखंड के विभिन्न आयामों को पुस्तक में समीक्षा की गई है. वहीं, दूसरी पुस्तक संपादन एवं पृष्ठसज्जा पर आधारित है, जो मीडिया छात्रों और अध्यापकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

इस मौके पर ‘कोरोना काल: पारखी नजर में लिखे लेखकों को सम्मानित भी किया गया. इन लेखकों में डॉ. वेद व्यथित, डॉ. ओमशंकर गुप्ता, डॉ. विनीत उत्पल, अमित शर्मा, शशि श्रीवास्तव, वीनू बजाज आदि मौजूद थे. कार्यक्रम में सभी गणमान्य अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ पत्रकार उमानाथ सिंह ने किया और संचालन आईआईएमटी कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट, ग्रेटर नोएडा के सहायक प्रोफ़ेसर अमित शर्मा ने किया.

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