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आईसीएफआरई और एमिटी विश्वविद्यालय के बीच एम ओ यू पर हुए हस्ताक्षर

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-संयुक्त शोध कार्य और क्षमता निर्माण करेगें भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद और एमिटी विश्वविद्यालय

नोएडा, 9 दिसम्बर।

अनुसंधान कार्यक्रमों, क्षमता निर्माण, वनों पर ज्ञान साझा करने, जैव विविधिता संरक्षण, जलवायु परिवर्तन भेद्यता, जलवायु परिवर्तन शमन और वन आश्रित समुदायों के अनुकूलन और आजीविका में सहयोग करने आदि क्षेत्र में संयुक्त कार्य के लिए आज भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) और एमिटी विश्वविद्यालय एवं संस्थान के मध्य समझौता पत्र हस्ताक्षर किया गया। इस ऑनलाइन समझौता पत्र समारोह में भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के महानिदेशक श्री अरूण सिंह रावत, एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला और एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के एडीजी (एक्सटरनल प्रोजेक्ट) डा राजेश शर्मा ने आईसीएफआरई पर और एमिटी स्कूल ऑफ नैचुरल रिर्सोसेस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट के निदेशक डा एस पी सिंह ने एमिटी विश्वविद्यालय पर प्रस्तुति दी।

इस समझौता पत्र के अंर्तगत क्षमता निर्माण, शोध कार्यक्रम, अकादमिक कार्यक्रम, संयुक्त कार्यशाला और सम्मेलन, रिर्सोस व्यक्तियों का एक दूसरे संस्थान में आवागमन, कंसलटंसी सर्विस, पीएच डी प्रोग्राम और पब्लिकेशन डाक्यूमेंटशन पर संयुक्त रूप से कार्य किया जायेगा।

समझौता पत्र समारोह में भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के महानिदेशक श्री अरूण सिंह रावत ने संबोधित करते हुए कहा कि हमनें भारत के प्रमुख संस्थान एमिटी विश्वविद्यालय के साथ इस समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया है और हम कई क्षेत्रों में मिलकर कार्य करेगें। श्री रावत ने कहा कि कई ऐसे क्षेत्र है जिसमें हमें एमिटी के विशेषज्ञों की सहायता की आवश्यकता होगी वही कई ऐसे क्षेत्र है जहां हम आपकी सहायता कर सकते है। उन्होनें कहा कि नैनोटेक्नोलॉजी, जियोइर्न्फोमेटिक्स, बायोतकनीकी आदि क्षेत्रों में कार्य करेगें। श्री रावत ने कहा कि दोनो संस्थानों से व्यक्तियों का चयन किया जायेगा जो उन क्षेत्रों की पहचान करेग जिसमें संयुक्त रूप से कार्य होगा। उन्होनें कहा कि आशा ही नही पूर्ण विश्वास है कि यह समझौता पत्र दोनों संस्थानों के मिशन को पूर्ण करने में सहायक होगा।

एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान ने कहा कि आज हम सभी इस ऐतिहासिक समझौता पत्र कार्यक्रम का हिस्सा बन रहे है। एमिटी मे ंहम छात्रों और शोधार्थियों को वन, जलवायु और पर्यावरण से जुड़े क्षेत्रों में शोध करने के लिए प्रेरित करते है। डा चौहान ने कहा कि संयुक्त ज्ञान और संयुक्त शोध से हम समाज, देश और विश्व के हित के लिए कार्य करेगे। आज सारा विश्व जलवायु परिवर्तन की समस्याओं से प्रभावित है और उस समस्या का निराकरण संयुक्त रूप से संभव है। इस समझौता पत्र के अंर्तगत एक आंदोलन को प्रारंभ किया गया है।

एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण समझौता पत्र है जिसके अंर्तगत केवल अनुसंधान को ही नही बल्कि कौशल विकास और क्षमता निर्माण को भी प्राथमिकता मिलेगी। छात्रों, शोधार्थियों और शिक्षकों के लिए विकास के अवसरों के नये द्वार खुलेगें। छात्रों का शिक्षण एवं संपूर्ण विकास केवल शोध द्वारा ही संभव है। नये नवाचार निवारक भारत की समस्या को दूर करके देश को आत्मनिर्भर बनने में सहायक होगें।

एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने कहा कि हम एक नये सहभागीता को विकसित कर रहे है और मिशन सिनर्जी के अंर्तगत सबको जोड़कर कार्य करेगें। उन्होनें कहा कि एमिटी में जियोइर्न्फोमेटिक्स, रिमोट सेसिंग, हाइड्रोलॉजी, प्लांट बायोटेक्नोलॉजी, जिनोम ंइजिनियरिंग आदि क्षेत्रों में विशेषज्ञ और वैज्ञानिक है जो आपके साथ विभिन्न विषयों पर मिलकर कार्य करेगें।

इस अवसर पर कार्यक्रम में आईसीएफआरई के निदेशक (अंर्तराष्ट्रीय सहयोग) श्री अनुराग भारद्वाज, डिप्टी डायरेक्टर जनरल (प्रशासन) श्री आर के डोगरा, डिप्टी डायरेक्टर जनरल (एजुकेशन) श्रीमती कंचन देवी, डिप्टी डायरेक्टर जनरल (एक्सटेंशन) डा सुधीर कुमार आदि सहित एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फांउडेशन की महानिदेशिका डा नूतन कौशिक आदि लोग उपस्थित थे।

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