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एमिटी विश्वविद्यालय में शिक्षक विकास कार्यक्रम का शुभारंभ

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-एमिटी एकेडमिक स्टाफ कॉलेज द्वारा फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम

नोएडा, 21 फरवरी।

गुरू दक्षता के अंर्तगत ‘‘शोध में आधुनिकता, व्यवसायिक विकास और अकादमिक नेतृत्वता” विषय पर पांच दिवसीय ऑनलाइन शिक्षक विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस शिक्षक विकास कार्यक्रम का शुभारंभ मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव डा आलोक मिश्रा, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला और एमिटी विश्वविद्यालय की फैकल्टी ऑफ सांइस एंड टेक्नोलॉजी की डीन डा सुनिता रतन द्वारा किया गया। इस पांच दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न देशों जैसे यूएसए, ओमान, भूटान, श्रीलंका, सुडान, इजिप्त आदि से लगभग 200 से अधिक प्रतिभागीयों ने हिस्सा लिया है।

शिक्षक विकास कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव डा आलोक मिश्रा ने कहा कि महामारी केे दो सालों के उपरांत आयोजित यह शिक्षक विकास कार्यक्रम, शिक्षकों के कौशल को विकसित करने में सहायक होगा। नई शिक्षा नीति के अंर्तगत शिक्षा और शोध के आपसी समन्वय को बढ़ावा दिया जा रहा है। एक शिक्षक सदैव छात्रों को शोध नवाचार के लिए प्रोेत्साहित करता है। कोविड के दौरान संस्थानों ने तकनीकी को आत्मसात किया और ऑनलाइन शिक्षण प्रशिक्षण को बढ़ावा मिला है। हमारे प्राचीन शिक्षा पद्धती उपनिषद की थी जहां शिष्य गुरू के पास बैठकर ज्ञान अर्जित करता है। डा मिश्रा ने कहा कि केवल शिक्षा नही देनी है बल्कि छात्रों में परिवर्तन लाना है। शिक्षक और छात्र के मध्य केवल ज्ञान का संबंध नही होता बल्कि छात्रों का उर्ध्वाधर विकास आवश्यक है। छात्रों को इस प्रकार प्रेरित करें कि शिक्षा केवल उनके कौशल को विकसित ना करे बल्कि उन्हे अच्छा नागरिक बनाये। आज भारत एक नई शिक्षा पद्धती को लेकर आगे बढ़ रहा है। शिक्षको को अपने व्यवहार से छात्रों के सामने आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए। मस्तिष्क, हदय और हाथ का आपसी सहयोग परिवर्तन के लिए आवश्यक है। उन्होनें शिक्षकों को अनुशासन, अंतःविषयक शोध, विषय के प्रति जूनून आदि जानकारी प्रदान की।

एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने संबोधित करते हुए कहा कि शोध, शिक्षा के लिए अतिमहत्वपूर्ण है जो समाज की समस्याओं के निराकरण के भी जरूरी है। शिक्षको को समय समय पर स्वंय को अपडेट रखना चाहिए और अकादमिक विकास के साथ शोध विकास आवश्यक है। शिक्षक विकास कार्यक्रम के ंअर्तगत उपकरणों के एप्लीकेशन सहित गुणात्मक और मात्रात्मक विश्लेषण को भी समझना होगा और सिद्धांतो के साथ प्रयोगिक जानकारी भी होनी चाहिए। एमिटी द्वारा आयोजित यह शिक्षक विकास कार्यक्रम तकनीकी युक्त कौशन निर्माण कार्यक्रम है जिसमें विभिन्न देशों से 200 से अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे है।

एमिटी विश्वविद्यालय की फैकल्टी ऑफ सांइस एंड टेक्नोलॉजी की डीन डा सुनिता रतन ने स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षक विकास कार्यक्रम अपने कौशलों के निखारने के लिए आवश्यक है इसलिए एमिटी एकेडमिक स्टाफ कॉलेज के साथ एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एप्लाइड सांइसेस, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ नैनोटेक्नोलॉजी और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसका मुख्य उददेश्य शिक्षकों को क्षेत्र में हो रहे आधुनिक शोध, शिक्षक एवं शोध का एकीकरण, अंतःविषयक शोध, आदि की जानकारी प्रदान करना है।

तकनीकी सत्र के अंर्तगत दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो पी के भटनागर, ने ‘‘ प्रभावी शिक्षण अनुसंधान लिंक का निर्माण’’ विषय, स्वीडेन के केटीएच रॉयल इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डा अरविंद कुमार ने ‘‘ अनुसंधान नैतिकता अकादमिक अंखडता’’ विषय पर और एमिटी विश्वविद्यालस मध्य प्रदेश के रयासन विभाग के प्रमुख प्रो कुलदीप सिंह ने ‘‘ शोध के लिए साफ्टवेयर टूल: पांडुलिपी लेखन के लिए मेंडली का उपयोग कैसे करें’’ पर अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ नैनोटेक्नोलॉजी के निदेशक डा ओ पी सिन्हा और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ बायो टेक्नोलॉजी की प्रो शोमा पॉल नंदी भी उपस्थित थें।

 

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