अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कविता-नारी शक्ति
1 min readअंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर
नारी शक्ति है
घर,परिवार,समाज,संस्कृति
सभी के सृजन के मूल में
नारी ही तो है.
कौन भूल सकता है
शंकर से पहले उमा का नाम
राम से पहले सिया का नाम
आज भी जो चलन में है
स्वीकार है यह परिपाटी
समस्त ब्रह्मांड में
यह नारी की शक्ति है,सम्मान है
एक नारी जो सीता बनकर सिखाया संकटों से जूझकर
परिवार से जुड़े रहने का सलीका,
कान्हा के मातृत्व प्रेम से मां यशोदा की करुणा और प्रेम से निकला दिव्य रस
वो भी एक नारी ही थीं
एक नारी पन्ना धाय ने दिया त्याग और तपस्या का सन्देश और जीजाबाई के हाथों ने सँवारा कभी ना झुकने वाला वीर शिवाजी जैसा सपूत।
लक्ष्मीबाई ने दिखाई साहस और वीरता की अनूठी मिसाल
आज की दुनिया मे कल्पना चावला की अंतरिक्ष मे छलांग और मेरीकॉम की मुक्केबाजी ने दी भारत को दुनिया मे अलग पहचान,
ऐसी नारी शक्ति को सौ सौ बार प्रणाम
विनोद शर्मा की कलम से
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