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ग्रेटर नोएडा : कुलेसरा समेत 16 नए गांव और बनेंगे स्मार्ट विलेज, सूची जारी, पिछले साल 14 गांव हुए थे शामिल

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–ग्रेनो प्राधिकरण ने इस साल के लिए 16 गांव किए चिंहित
–ड्रोन से सर्वे कर इन गांवों की डीपीआर होगी तैयार
–प्राधिकरण ने पिछले साल 14 गांव किए थे चिंहित

ग्रेटर नोएडा, 23 जुलाई।

पिछले साल ग्रेटर नोएडा के 14 गांवों को स्मार्ट विलेज बनाने की प्रक्रिया शुरू कराने के बाद अब प्राधिकरण ने इस साल के 16 गांवों को स्मार्ट विलेज के रूप में विकसित करने के लिए चिंहित कर लिए हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कंसल्टेंट का चयन कर ड्रोन सर्वे के जरिए इन गांवों की डीपीआर तैयार कराएगा। उसके बाद एस्टीमेट बनवाकर टेंडर निकालेगा और कंपनी का चयन कर निर्माम शुरू कराएगा। इन 16 गांवों पर करीब 160 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अंतर्गत 124 गांव आते हैं। इन गांवों को स्मार्ट विलेज में तब्दील करने की योजना है। प्राधिकरण का परियोजना विभाग पिछले साल चयनित 14 गांवों को स्मार्ट बनाने पर काम कर रहा है। प्राधिकरण के सीईओ व मेरठ मंडलायुक्त सुरेन्द्र सिंह के निर्देश पर इस साल 16 और गांवों को स्मार्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। महाप्रबंधक परियोजना एके अरोड़ा ने बताया कि जिन 16 गांवों को चिंहित किया गया है, उनमें घोड़ी -बछेड़ा, कुलेसरा, खैरपुर गुर्जर, इटेहरा, हैबतपुर, धूम मानिकपुर, मिलक लच्छी, देवला, कैलाशपुर, कासना, डाढ़ा, ऐच्छर, खानपुर, मुरशदपुऱ लुक्सर व साकीपुर शामिल हैं। अब इन गांवों की डीपीआर बनवाने के लिए कंसल्टेंट का चयन किया जाएगा। ड्रोन सर्वे कर डीपीआर बनेगी। उसके बाद एस्टीमेट तैयार कर निर्माण कार्य कराने के लिए टेंडर जारी किया जाएगा और कंपनी का चयन कर निर्माण शुरू कराया जाएगा। इन गांवों को स्मार्ट बनाने में खर्च की सटीक लागत एस्टीमेट से पता चलेगी, लेकिन 160 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

स्मार्ट विलेज में होंंगे ये कार्य

–सड़कें, ड्रेनेज, सीवरेज, जलापूर्ति और बिजली के कार्य
–सामुदायिक केंद्र, पंचायत घर व प्राथमिक विद्यालय का विकास
–हॉर्टिकल्चर व लैंड स्कैपिंग के कार्य-वाई-फाई की सुुविधा
–खेल के मैदान का विकास
–तालाबों का संरक्षण
–सौर ऊर्जा का संरक्षण
–कूड़े का प्रबंधन
–स्ट्रीट फर्नीचर लगाना
–युवाओं को हुनरमंद बनाना और रोजगार के लिए प्रेरित करना

दो चरणों में होगा काम

इन गांवों को स्मार्ट विलेज बनाने की योजना दो चरणों में परवान चढ़ेगी। पहले चरण में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाएगा। मसलन, हर घर को पानी व सीवर कनेक्शन से जोड़ा जाएगा। सीवर लाइनों को एसटीपी से जोड़ा जाएगा। पूर्व में सीवर लाइनें आधी-अधूरी डाल दी गईं। उनको एसटीपी से नहीं जोड़ा गया। इन गांवों की सड़कें बेहतर की जाएंगी। नाली बनाई जाएंगी। हर गली में स्ट्रीट लाइट होगी। कम्युनिटी हॉल बनेंगे। इन गांवों में विद्युतीकरण के कार्य भी होंगे। वहीं, दूसरे चरण में लाइब्रेरी, वाई-फाई की सुविधा, युवाओं के लिए ट्रेनिंग सेंटर, स्मार्ट क्लास बोर्ड आदि की सुविधा दी जाएगी। ट्रेनिंग सेंटर में युवाओं को रोजगार परक कोर्स की जानकारी दी जाएगी, जिससे उनको कैरियर बनाने में मदद मिल सके।

ये हैं पूर्व में चिन्हित 14 स्मार्ट विलेज

प्राधिकरण पहले चरण में 14 गावों को स्मार्ट बनाने पर काम कर रहा है, जिनमें ग्राम मायचा, छपरौला, सादुल्लापुर, तिलपता-करनवास, घरबरा, चीरसी, लड़पुरा, अमीनाबाद (नियाना), सिरसा, घंघोला, अस्तौली, जलपुरा, चिपियाना खुर्द-तिगड़ी, युसुफपुर चक शाहबेरी शामिल हैं। इन 14 गांवों को स्मार्ट बनाने में करीब 150 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

सीईओ का बयान

ग्रेटर नोएडा का समग्र विकास करना है तो गांवों में भी सेक्टरों की तरह ही इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना होगा। प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले सभी गांवों को चरणबद्ध तरीके से विकसित किया जाएगा। स्मार्ट विलेज के लिए 14 गांवों को चिंहित कर काम शुरू कराने की प्रक्रिया चल रही है। वहीं अब वित्तीय वर्ष इस साल के लिए 16 और गांव चिंहित कर लिए गए हैं। इन गांवों में भी शीघ्र काम शुरू कराने और समय से पूरा कराने की कोशिश रहेगी। इससे ग्रामीणों का जीवन स्तर और बेहतर होगा।
सुरेन्द्र सिंह, सीईओ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण व मंडलायुक्त मेरठ

 

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