नोएडा: एमएसएमई असोसिएशन ने पानी के बिल पर सीएम को क्यों लिखी चिट्ठी ?
1 min readनोएडा, 24 मई।
नोएडा प्राधिकरण उपभोक्ताओं को पानी के अनाप शनाप बिल भेज रहा है। एक उद्यमी को मिले 10 लाख रुपये के बिल को लेकर एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेन्द्र नाहटा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इसकी शिकायत की हैं।
अपने पत्र में सुरेन्द्र नाहटा ने लिखा है कि प्रदेश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों की हम सराहना करते हैं। प्रदेश की तरक्की के लिए सरकार की सकारात्मक मंशा है, लेकिन प्राधिकरणों में बैठे अधिकारियों की मनमानी उद्योगों के विकास में बाधा का काम कर रही है। कभी कचरा शुल्क तो कभी लीज रेंट के नाम पर उद्योगों पर भारी-भरकम आर्थिक बोझ डाला जा रहा है। अब नोएडा प्राधिकरण के जल विभाग से उद्यमी त्रस्त हैं। ऐसा ही एक मामला हम आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं :-
प्लॉट नंबर 018 जी ब्लॉक, सेक्टर-6 स्थित रेकब्रो रबर नाम से 372 वर्ग मीटर की यूनिट को नोएडा प्राधिकरण के जल खंड-1 की तरफ से 7 फरवरी 2023 को 1,047,642 (दस लाख सैंतालीस हजार छह सौ बयालिस रुपये) का बिल जारी कर दिया गया, जिसका भुगतान 28 फरवरी 2023 तक किया जाना था। बड़े अफसोस की बात है कि औद्योगिक सेक्टरों में जल-सीवर की उचित व्यवस्था न होते हुए भी लाखों रुपये के बिल जारी किए जा रहे हैं। इस मामले में संबंधित उद्यमी पर 1,303,200 रुपये बकाया बताते हुए ब्याज में 3,90,960 रुपये की छूट देकर दस लाख रुपये से अधिक का बिल थमा दिया गया। इस मामले की शिकायत लगातार उच्चाधिकारियों से की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं की जा रही है।
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के बाद बुरे दौर से गुजर रहे उद्योगों पर नोएडा प्राधिकरण की दोहरी मार पड़ रही है। नोएडा प्राधिकरण के जल विभाग को हर माह जल-सीवर के बिल औद्योगिक इकाइयों में भेजने चाहिए, लेकिन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी लापरवाही बरतते हैं। दस-दस साल बाद एक साथ बिल भेजकर उद्यमियों की परेशानी को बढ़ाया जा रहा है। बिल भेजने में देरी प्राधिकरण करता है और जुर्माना उद्यमियों पर लगाया जाता है। बिल लेने के लिए उद्यमी प्राधिकरण दफ्तर के धक्के खाते हैं लेकिन बिल मुहैया नहीं कराए जाते। ऐसे में प्राधिकरण की लापरवाह कार्यशैली का खामियाजा उद्यमियों को भुगतना पड़ रहा है।
नोएडा के औद्योगिक सेक्टरों में दूषित जल की आपूर्ति हो रही है। गुणवत्ता इतनी खराब है कि इस जल का उपयोग पीने तो क्या हाथ धोने के लिए भी नहीं किया जा सकता। नोएडा की स्थापना के चार दशक बाद भी प्राधिकरण स्वच्छ जलापूर्ति के इंतजाम नहीं कर सका है।
सरकार औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने की कोशिश में जुटी है लेकिन प्राधिकरण के अधिकारी मौजूदा उद्योगों के सामने परेशानी खड़ी करने में लगे हैं। ऐसे हालात में नोएडा में उद्योग चला पाना मुश्किल होगा। मुख्यमंत्री जी संस्था आपसे अनुरोध करती है कि प्राधिकरण की मनमानी पर अंकुश लगाया जाए।
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