राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पर एमिटी सेंटर फॉर लीवर रिसर्च का शुभारंभ
1 min readनोएडा, 7 नवम्बर।
राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पर छात्रों को लीवर कैंसर रोकथाम के प्रति शोध के लिए प्रोत्साहित करने और इस क्षेत्र में हो रहे नवीनतम शोध की जानकारी प्रदान करते हुए एमिटी विश्वविद्यालय में एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती, एमिटी विश्वविद्यालय के हैल्थ एंड एलाइड सांइस के डीन डा बी सी दास और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ मॉलेक्यूलर मेडिसिन एंड स्टेम सेल रिसर्च के डिप्टी डायरेक्टर डा शुभ्राजीत विश्वास द्वारा एमिटी सेंटर फॉर लीवर रिसर्च का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ मॉलेक्यूलर मेडिसिन एंड स्टेम सेल रिसर्च द्वारा संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमें विशेषज्ञों ने कैंसर शोध पर अपने विचार व्यक्त किये।
एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि कैंसर की जागरूकता उसके ठीक होने में बेहद सहायक साबित हो रही है। एमिटी सदैव छात्रों को रोगों से बचने और स्वास्थय जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है और छात्रों के माध्यम से लोगो को जागरूक करके अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन करता है। हमारे प्रधानमंत्री ने कहा है कि देश के विकास के लिए विज्ञान का समाज के साथ मजबूती से जुड़ना आवश्यक है इसलिए हम विज्ञान में शोध और नवाचार के माध्यम से छात्रों को शोध के लिए प्रोत्साहित करके समाज के समस्याओं का निवारण करते है। डा सेल्वामूर्ती ने कहा कि खराब जीवनशैली कैंसर का मुख्य कारण है इसके अतिरिक्त आप निरंतर योग, मेडिटेशन और व्यायाम और सही आहार से स्वंय को कैसर मुक्त रख सकते है। उन्होनें कहा कि छात्रो और शोधार्थियों को यकृत रोगों के निवारण के प्रति शोध हेतु प्रोत्साहित करने के लिए एमिटी सेंटर फॉर लीवर रिसर्च का शुभांरभ किया गया है।
एमिटी विश्वविद्यालय के हैल्थ एंड एलाइड सांइस के डीन डा बी सी दास ने कहा कि यकृत या लीवर शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो मुख्य रूप से दो कारणों से कमजोर होता है अधिक मात्रा में शराब के सेवन से या वायरस के कारण। उन्होनें कहा कि यूके और यूरोप में अधिकतर व्यक्ति जो लीवर से संबधित रोगों से ग्रसित पाये जाते है उसका कारण अधिक मात्रा में शराब का सेवन है किंतु भारत में दोनो कारणों से व्यक्ति रोग ग्रसित हो जाते है। यकृत रोग रोकथाम के क्षेत्र में शोध करने वाले युवाओ की आवश्यकता है और एमिटी सेंटर फॉर लीवर रिसर्च आपको नवीनतम शोध की जानकारी व सहायता प्रदान करेगा।
इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ मॉलेक्यूलर मेडिसिन एंड स्टेम सेल रिसर्च द्वारा हेपाटोसेल्युलर कार्सीनोमा और लीवर डिजिज विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में पिट्सबर्ग लीवर रिसर्च सेंटर के सेंटर डायरेक्टर के एमडी डा सतदर्शन पॉल मोंगा, ऑस्ट्रेलिया के हैरी परकीन्स इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल रिसर्च के कर्टिन हेल्थ इनोवेशन रिसर्च इंस्टीटयूट के डा अंकुर शमार्, आईएलबीएस के एसोसिएट प्रोफेसर डा अनुपम कुमार, ने अपने विचार रखे। संगोष्ठी का संचालन एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ मॉलेक्यूलर मेडिसिन एंड स्टेम सेल रिसर्च की एस्सीटेंट प्रोफेसर डा शिंनजिनी दासगुप्ता द्वारा किया। इसके अतिरिक्त एक अन्य परिचर्चा सत्र में सिंगापुर की क्रायवोविया के लैबोरेटरी सर्विस की निदेशक डा लिपी सिंह, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एस्सीटेंट प्रोफेसर डा हिफजुर आर स्दिदकी, यूर्निवर्सिटी ऑफ कैलीफार्निंया के स्कूल ऑफ मेडिसिन के श्री सचिन शर्मा आदि ने विचार व्यक्त किये।
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