हिंदी के ओज कवि कृष्ण मित्र जी नही रहे, अटल जी के करीबी थे
1 min readगाजियाबाद, 24 नवम्बर
हिंदी जगत के सशक्त हस्ताक्षर कविवर कृष्ण मित्र जी का 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। श्री कृष्ण मित्र जी के निधन से साहित्य व सामाजिक जगत को अपूर्णणीय क्षति पहुंची है। मित्र जी गाजियाबाद के ही नहीं देश के गौरव थे। आप जब मंचों पर काव्यपाठ करते थे तो राष्ट्र भक्ति की बयार बह उठती थी और श्रोताओं के रोंगटे खड़े हो जाते थे। आप पूरे जीवन राष्ट्र भक्त रहे। आपका साहित्य इसका उदाहरण है। बहुत कम लोगों को मालूम है कि आप भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी जी के सहयोगी रहे। अटल जी राजनीति से पहले पत्रकार थे। वीर अर्जुन समाचार पत्र के जब वे संपादक रहे तो कृष्ण मित्र जी ने उनके सहयोगी के रूप में कार्य किया था। मित्र उपनाम भी उन्हें वाजपेयी जी से ही मिला था। अटल जी के पीएम बनने से पूर्व जब भी गाजियाबाद में उनकी सभा होती थी तो उनके भाषण से पूर्व कृष्ण मित्र जी का काव्य पाठ होता था। मित्र जी ने देश विदेश में कई बड़े मंचों पर काव्य पाठ कर खूब प्रसिद्धि पाई। वे कई समाचार पत्रों से जुड़े रहे। पूर्व मेयर श्री तेलूराम काम्बोज के पत्र प्रलंयकर में तो उनकी रचना नियमित प्रकाशित होती थी। उनसे जुड़ी कई यादें और संस्मरण हैं। अभी सबका बयान करना संभव नहीं है। महान रचनाकार के इस संसार से विदा होने से हम सब यहां के निवासी शोक में हैं। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि मित्र जी को अपने धाम में स्थान दें और हमें इस दुख को सहन करने की शक्ति दें। महान राष्ट्रीय कवि मित्र जी हम सब के बीच अपनी रचनाओं और यादों के माध्यम से सदैव जीवित रहेंगे।
मित्र जी को विनम्र श्रद्धांजलि। नोएडा खबर डॉट कॉम की तरफ से उन्हें सादर श्रद्धांजलि
(वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा जी की फेसबुक वाल से)
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