नोएडा : स्कूली बच्चों को ले जा रही गाड़ी के ड्राइवर को पड़ा मिर्गी का दौरा और फिर ……
1 min readनोएडा, 7 दिसम्बर।
यह घटना बुधवार 7 दिसम्बर 2022 को सुबह 7:30 बजे की है और यह एक स्कूल वैन है जिसमें चार- पांच छोटे बच्चे भी थे जो एपीजे स्कूल में पढ़ते हैं। अचानक ड्राइवर को मिर्गी का दौरा पड़ने लगा तो ड्राइवर दर्द से कराहने लगा और उसने गाड़ी यूटर्न पर ही साइड पर खड़ी कर दी।
स्कूल के बच्चे गाड़ी के अंदर ही रोने लगे। राहगीरों द्वारा 112 नंबर पर कॉल करने की काफी कोशिश करी गई परंतु नंबर ना मिलने पर बच्चों के परिवार को फोन किया गया।
क्योंकि मेरे भाई की बिटिया भी इसी गाड़ी से स्कूल जाती है गाड़ी ना आने की सूरत में ड्राइवर को फोन किया गया, तब किसी राहगीर द्वारा बताया गया कि ड्राइवर की तबीयत काफी खराब है और इनको मेडिकल सहायता की आवश्यकता है।क्योंकि मैं ऑफिस पहुंच चुका था इसीलिए पुलिस सहायता की अपेक्षा हेतु 112 नंबर डायल किया गया लगातार 15 मिनट तक नंबर लगाने के उपरांत भी नंबर ना मिलने की सूरत में मेरे द्वारा एसीपी 2 महोदय को फोन किया गया और मदद मांगी गई।
परंतु काफी समय तक पुलिस सहायता ना मिलने की सूरत में मैंने भाई को फोन कर अनुरोध किया कि पहले ड्राइवर को अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था करें उसके उपरांत ही बच्चों को स्कूल ले कर जाए।
भाई तुरंत मौके पर पहुंचा और कुछ बच्चों को और ड्राइवर को गाड़ी में बैठा कर अस्पताल ले गया। थोड़ी ही देर में दूसरे ड्राइवर को बुला लिया गया। अभी दूसरा ड्राइवर अस्पताल में बीमार के साथ है और मेरा भाई बच्चों को स्कूल छोड़ने गया है।
इस प्रक्रिया में 7:30AM से 8:45 AM बज गए और मरीज को मेडिकल सुविधा नहीं मिल पाई। यदि 112 की सुविधा सही होती तो 15 से 20 मिनट में ही मेडिकल सुविधा मिल पाती क्योंकि राहगीरों द्वारा तुरंत 112 नंबर मिलाना शुरू किया गया था और मैंने भी 8:00 बजे से 8:15 बजे तक लगातार 112 नंबर डायल पैड से मिलाया परंतु वह नहीं लगा। उसके उपरांत ही मैंने एसीपी साहब को फोन किया।
एसीपी 2 साहब को अनेकों धन्यवाद जिन्होंने तुरंत संज्ञान लेते हुए मदद भेजने का प्रयास किया।
बहुत बड़ी दुविधा है नोएडा महानगर में अगर किसी निवासी का एक्सीडेंट होता है या कोई मेडिकल समस्या आती है तो उसे प्राइवेट अस्पताल में भागना पड़ता है। उस परिवार पर तुरंत लाखों रुपए का खर्चा पड़ता है।
नोएडा महानगर में भी दिल्ली की तर्ज पर मेडिकल सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। यहां के अस्पतालों में भी इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर तुरंत बनने चाहिए जिससे मेडिकल इमरजेंसी में शहर वासियों का तुरंत इलाज शुरू हो सके।
दिल्ली में पहले ही अनेकों बड़े अस्पताल थे और अब दिल्ली मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल द्वारा चार बड़े अस्पताल दिल्ली में बनवाए जा रहे हैं जहां गरीबों का मुफ्त इलाज हो सकेगा ऐसी सोच उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं है।
उत्तर प्रदेश राज्य को सबसे ज्यादा रेवेन्यू देने के उपरांत भी नोएडा के निवासियों को एक्सीडेंट इमरजेंसी, अन्य मेडिकल इमरजेंसी में और बड़ी बीमारियों से ग्रस्त होने के उपरांत लाखों रुपए प्राइवेट अस्पतालों को देने पड़ते हैं।
नोएडा में सबसे ज्यादा स्कूल फीस होने के साथ-साथ यहां प्राइवेट अस्पतालों का चक्रव्यू इतना बड़ा बन चुका है कि यहां के निवासी अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा इलाज और पढ़ाई में देने को मजबूर है जबकि देश की राजधानी दिल्ली में यह सब व्यवस्था है बिल्कुल सही है। इन सभी समस्याओं पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है।
(यह दर्द संजीव कुमार महासचिव
आरडब्लूए सेक्टर 51 नोएडा ने व्यक्त किया है।)
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