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नोएडा : एमिटी विश्वविद्यालय में आमजन स्वास्थ्य में प्रति रक्षा विज्ञान पर चर्चा

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नोएडा, 9 मई।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान दिवस के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ वायरोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी द्वारा एफ थ्री ब्लाक सभागार में ‘‘ आमजन स्वास्थय में प्रतिरक्षा विज्ञान’’ पर चर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुबंई के राष्ट्रीय प्रजनन एवं बाल स्वास्थय अनुसंधान संस्थान की वैज्ञानिक ‘‘एफ’’ डा तरूणा मदान, हरियाणा के ट्रांसलेशनल स्वास्थय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रोफेसर निशिथ अग्रवाल और दिल्ली के एम्स के ट्रांसप्लांट इम्यूनोलॉजी एंड इम्यूनोजेनेटिक्स विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा उमा कांगा ने अपने विचार रखे। इस अवसर एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ वायरोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी के सलाहकार प्रो नारायण ऋषि ने अतिथियों का स्वागत किया। इस चर्चा कार्यक्रम में बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों, शोधार्थियों और छात्रों ने हिस्सा लिया।

मुबंई के राष्ट्रीय प्रजनन एवं बाल स्वास्थय अनुसंधान संस्थान की वैज्ञानिक ‘‘एफ’’ डा तरूणा मदान ने आमजन स्वास्थय में प्रतिरक्षा विज्ञान पर संबोधित करते हुए कहा कि स्वस्थ रहने के लिए प्रतिरोधक क्षमता का विकसित एव मजबूत होना आवश्यक है। उन्होनें छात्रो सें कहा कि इम्यूनोलॉजी सोसाइटी एक बहुत ही जीवंत सोसाइटी है इसलिए इसका हिस्सा बने और रोगों के निवारण हेतु प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के वैक्सीन निर्माण और दवाओ ंके शोध में सहभागीता दे। डा मदान ने कहा कि एमिटी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान दिवस के सम्मान में आयोजित इस कार्यक्रम से छात्रों को प्रेरणा प्राप्त होगी।

हरियाणा के ट्रांसलेशनल स्वास्थय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रोफेसर निशिथ अग्रवाल ने 21वी सदी में टीबी शोध – निदान, उपचार और टीका पर संबोधित करते हुए कहा कि उच्च बोझ वाले देशों में सक्रिय टीबी का निदान चुनौतीपूर्ण बना हुआ है और बीसीजी, वयस्क आबादी की रक्षा करने में असमर्थ है और कई नई वैक्सीनों पर ट्रायल चल रहा है। टीबी के प्रबंधन में दवा प्रतिरोधक क्षमता बड़ी समस्या है और नये दवाओ ंका विकास समय की मांग है। टीबी रोगजनक मे नए दवाओं लक्ष्य की पहचान के लिए सीआरआईएसपीआरआई आधारित जीन साइलेसिंग उपयोगी साबित हुई है। इस अवसर पर डा अग्रवाल ने छात्रों के सवालो ंके जवाब भी दिये।

दिल्ली के एम्स के ट्रांसप्लांट इम्यूनोलॉजी एंड इम्यूनोजेनेटिक्स विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा उमा कांगा ने प्रत्यारोपण में असमानता, आवश्यकता और अंगो की उपलब्धता पर पर जानकारी प्रदान की।

एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने वर्तमान परिदृश्य में प्रतिरक्षा विज्ञान पर शोध पर कहा कि इस कार्यक्रम का उददेश्य संक्रमण ऑटोइम्यूनिटी और कैंसर के खिलाफ लड़़ाई में प्रतिरक्षा विज्ञान के महत्व के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना है। भारतीयों की जीवन प्रत्याशा 40 वर्ष से बढ़कर 70 वर्ष हो गई है जो विभिन्न रोगों के लिए विकसित हुए टीके और स्वास्थय सेवा के क्षेत्र मेे हुई प्रगति को दर्शाता है। हमें इम्यूनोलॉजी के क्षेत्र में आगे बढ़ने के दृष्टिकोण पर विचार करते हुए छात्रों को प्रेरित करना होगा। एमिटी स्वस्थ समाज के निर्माण में सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ वायरोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी के सलाहकार प्रो नारायण ऋषि ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि छात्रो ंको इम्यूनोलाजी के क्षेत्र में हो रही नवनीतम प्रगति की जानकारी प्रदान करने और अतिथियों द्वारा इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर कार्यक्रम के समापन पर एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ वायरोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी के डा देविन्द्रर तूूर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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