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नोएडा 7 जुलाई।

वन संरक्षण के संर्दभ में जागरूकता फैलाने और पर्यावरण बचाने के लिए एमिटी विश्वविद्यालय के नैचुरल रिर्सोसेस एंड एनवांयरमेंटल सांइसेस डोमेन द्वारा आयोजित साप्ताहिक वन महोत्सव कें अंतिम दिन ‘‘वृक्ष हमारे सबसे अच्छे मित्र’’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में फांउडेशन फॉर इंटीग्रेटेड रिर्सोस मैनेजमेंट के चेयरमैन डा वी के बहुगुणा, सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के ग्रीन हाइवे डिविजन के सलाहकार डा ए के जैन, असम के पूर्व प्रिसिंपल चीफ कन्सर्वटर ऑफ फॉरेस्ट श्री एम एम शर्मा, महाराष्ट्र के पूर्व प्रिसिंपल चीफ कन्सर्वटर ऑफ फॉरेस्ट श्री डी के त्यागी, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला और एमिटी स्कूल ऑफ नैचुरल रिर्सोस एंड संस्टेनेबल डेवलपमेंट के निदेशक डा एस पी सिंह शामिल हुए। इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया जिसमें 50 से अधिक पौधे लगाये गये।

फांउडेशन फॉर इंटीग्रेटेड रिर्सोस मैनेजमेंट के चेयरमैन डा वी के बहुगुणा ने संबोधित करते हुए कहा कि वृक्ष केवल हमारे सबसे अच्छे मित्र ही नही है बल्कि जीवन की आवश्यकता भी है। प्राचीन समय में हमारे ऋषि मुनियों ने वृक्षों के महत्व को बताया है। वृक्ष सबसे बेहतरीन पर्यावरणविद है जो जलवायु पारिस्थितकी तंत्र का संतुलन स्थापित करते है। डा बहुगुणा ने कहा कि पेड़ और बाघ हमारी प्रकृति की रक्षा करते है इसलिए इनके संरक्षण के महत्व को समझना होगा। वन महोत्सव में सहयोग करने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि ना केवल वृक्ष लगाये बल्कि उसकी रक्षा व पोषण भी करें। डा बहुगुणा ने कहा कि एमिटी जैसे संस्थानों द्वारा छात्रों को वन महोत्सव में सहभागी बना कर मानवता के बड़े अभियान का हिस्सा बनाया जा रहा है।

सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के ग्रीन हाइवे डिविजन के सलाहकार डा ए के जैन ने कहा कि जीवन बिना वृक्षों के संभव नही है और वृक्षों के प्रभाव को प्राचीन समय से हमें बताया गया है। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों जैसे लक्ष्य संख्या 13 जलवायु कार्रवाई, संख्या 14 जल के नीचे जीवन और संख्या 15 पृथ्वी पर जीवन, तीनों वृक्षों के संरक्षण से जुड़ेे है। डा जैन ने सड़क एवं परिवहन मंत्रालय द्वारा राजमार्गो के विकास और पर्यावरण सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की योजनाओं आदि की जानकारी प्रदान की।

असम के पूर्व प्रिसिंपल चीफ कन्सर्वटर ऑफ फॉरेस्ट श्री एम एम शर्मा ने कहा कि इस वन महोत्सव को युवा पीढ़ी से जोड़ना बेहद आवश्यक है जिससे युवाओं को वनों के महत्व के संर्दभ में जानकारी हो और एमिटी द्वारा इस कार्य को बेहतरीन ढंग से किया जा रहा है। डा शर्मा ने कहा कि हमारी संस्कृति सदैव पर्यावरण आधारित रही हैं। हमें हर व्यक्ति को वृक्षो ंके रोपण और उसके पोषण के लिए प्रोत्साहित करना होगा।
महाराष्ट्र के पूर्व प्रिसिंपल चीफ कन्सर्वटर ऑफ फॉरेस्ट डा डी के त्यागी ने कहा कि वन महोत्सव वृक्षों को समारोह है जिसमें हमें वृक्षो का रोपण, पोषण व संरक्षण करते है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में वृक्षों की महिमा का वर्णन है जिसमे एक वृक्ष को 10 ंसतानों के बराबर बताया गया है। वृक्षों का रोपण और संरक्षण दोनो महत्वपूर्ण है। डा त्यागी ने कहा कि एक वृक्ष प्रति वर्ष में 100 किलों ऑक्सीजन उत्पन्न करता है और लगभग 19.2 किलो कार्बनडायआक्साइड अवशोषित करता है और जबकी एक व्यक्ति प्रति वर्ष में 780 किलों ऑक्सीजन अवशोषित करता है और 2 से 4 टन कार्बनडायआक्साइड प्रति वर्ष छोड़ता है । ऐसे में हमें बृहद स्तर पर वन महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन करना चाहिए और सभी की सहभागिता से इस अभियान को संभव बनाया जा सकता है।

एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने संबोधित करते हुए कहा कि आज जलवायु परिवर्तन के प्रभाव हमे देश के विभिन्न हिस्सों में दिख रहे है जिसका एक कारण मृदा का क्षरण, वृक्षों की अंधाधुध कटाई भी है। वृक्ष केवल पर्यावरण के संतुलन के लिए ही नही बल्कि व्यक्तियों के जीवन के लिए भी आवश्यक है। हमें आने वाली पीढ़ीयों के लिए वृक्षारोपण करना होगा। उन्होने कहा कि एमिटी मे हम इस प्रकार के कार्यक्रमों से छात्रों व शिक्षकों को पौधे के रोपण, संरक्षण व पोषण के लिए प्रोत्साहित करते है।

इस अवसर पर एमिटी स्कूल ऑफ नैचुरल रिर्सोस एंड संस्टेनेबल डेवलपमेंट के निदेशक डा एस पी सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यशाला में एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फॉरेस्ट्री एंड वाइल्डलाइफ के सलाहकार डा जे सी काला ने अपने विचार रखे।

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