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नई दिल्ली, 11 अगस्त।

मोदी सरकार ने देश की कानून व्यवस्था को बेहतर करने के अंग्रेजों के बने तीन कानून की जगह तीन नए कानून संसद में पेश किए हैं।केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इन्हें पेश किया। इससे देश मे लोकतंत्र का राज स्थापित होगा। यह मोदी सरकार के पंच प्रण में से एक है।

देश की काूनन व्यवस्था और पुलिसिंग के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए तीन नये विधेयक पेश किये।
शाह ने सदन में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को पेश करते हुए कहा कि देश में गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पांच पण्रके अनुरूप इन विधेयकों को लाया गया है जो जनता के लिए न्याय पण्राली को सुगम और सरल बनाएंगे।
1. कानूनों का उद्देश्य दंडित करना नहीं, बल्कि न्याय देना है। अपराध को रोकने की भावना से सजा दी जाएगी।
2. किसी अपराध के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से लेकर न्याय पाने तक पूरी प्रक्रिया डिजिटल होगी।
3. फोरेंसिक विज्ञान पर ध्यान दिया जाएगा। सात साल या उससे अधिक कारावास की सजा वाले अपराध में फोरेंसिक दल का अपराध स्थल का दौरा करना अनिवार्य होगा।
4. देश के हर जिले में भविष्य में तीन चलित फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाएं (एफएसएल) तैनात रहेंगी।
5. कानूनों का उद्देश्य अदालतों में दोषसिद्धि की दर 90 प्रतिशत से अधिक करना है।
6. देश की सभी अदालतें 2027 तक कम्प्यूटराइज्ड हो जाएंगी।
7. पहली बार, ई-प्राथमिकी दर्ज करना संभव होगा।
8. देश में अपराध कहीं भी हो, उसकी शून्य प्राथमिकी (जीरो एफआईआर) कहीं से भी दर्ज की जा सकेगी। संबंधित थाने को 15 दिन के अंदर शिकायत भेजी जाएगी।
9. प्रत्येक जिले में एक पुलिस अधिकारी होगा जो हिरासत में लिये गये आरोपियों के परिजनों को उन्हें गिरफ्त में लेने का प्रमाणपत्र देगा। यह सूचना व्यक्तिगत रूप से और ऑनलाइन देनी होगी।
10. यौन ¨हसा के मामलों में पीड़ित का बयान और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी।
12. सात साल या अधिक कारावास की सजा वाले अपराध के मामले में पीड़ित का पक्ष सुने बिना कोई सरकार मामले को वापस नहीं ले सकेगी। इससे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी।
13. अदालतों में मुकदमों में देरी रोकने के लिए बदलाव किये गये हैं। तीन साल से कम कारावास के मामलों में समरी ट्रायल ही पर्याप्त होगी। इससे सत्र अदालतों में 40 प्रतिशत मामले कम हो जाएंगे।
14. पुलिस को 90 दिन में आरोप पत्र दायर करना होगा। अदालत इस अवधि को 90 दिन और बढा सकती है। जांच अधिकतम 180 दिन में समाप्त करनी होगी।
15. सुनवाई के बाद अदालत को 30 दिन के अंदर फैसला सुनाना होगा। इसे एक सप्ताह के अंदर ऑनलाइन डालना होगा।

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