निठारी कांड में कैसे कैसे पुलिस की जांच सुरेन्द्र कोली तक पहुंची थी
1 min readकैसे निठारी कांड में सुरेन्द्र कोली और मनिंदर पंढेर तक पहुंची थी बच्चियों की हत्या व दुष्कर्म की कड़ियाँ
विनोद शर्मा की विशेष रिपोर्ट
8 फरवरी 2005 को हलदर की बेटी जो 14 साल की थी अचानक गायब हो गई इसकी शिकायत पुलिस को की गई लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। फिर मार्च 2005 में D5 कोठी के पीछे लोगों ने एक हाथ मिलने की शिकायत की थी जिसे पुलिस ने जानवर का बताकर गंभीरता से नहीं लिया। 7 में 2006 को नंदलाल की बेटी पायल गायब हो गई नंदलाल भी पुलिस के पास गया लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की यानी मई 2005 से लेकर जून 2006 तक शिकायत के बावजूद पुलिस ने गंभीरता से कोई कार्रवाई नहीं की। आखिरकार नंदलाल ने तत्कालीन एसएसपी से मुलाकात की और उन्हें बताया कि उनकी बेटी का मोबाइल चल रहा है पता चला कि वह मोबाइल सुरेंद्र कोली के पास है। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया जून 2006 में उसको मनिंदर सिंह पंढेर ने छुड़ा लिया। आखिरकार नंदलाल ने 7 अक्टूबर 2006 को कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अदालत के आदेश पर पुलिस ने जांच की तब प्लास्टिक बैग में मानव कंकाल मिले और 29 दिसंबर 2006 को सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को गिरफ्तार कर लिया गया। जनता के विरोध की वजह से राज्य सरकार को यह मामला 11 जनवरी 2007 को सीबीआई की हवाले करना पड़ा। इसमे सेक्टर 31 आर डब्ल्यूए के अध्यक्ष एस सी मिश्रा ने नालियों से कंकाल निकलवाये।
60 दिन की पुलिस हिरासत के बाद भी सीबीआई कोई सबूत एकत्र नही कर पाई। 27 फरवरी 2007 को कोली की तरफ से कबूलनामा मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज हुआ। जिसमें कोली ने हत्या व रेप का जुर्म कबूल किया। खास बात यह थी कि इस घर मे सुरेन्द्र कोली के अलावा माया सरकार नाम की एक घरेलू नौकरानी, एक माली और दो ड्राइवर भी काम करते थे।
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