नोएडा : श्रीराममित्र मंडल की रामलीला में राजा जनक ने चलाया हल
1 min readनोएडा, 18 अक्टूबर।
श्रीराम मित्र मण्डल नोएडा रामलीला समिति द्वारा आयोजित श्रीरामलीला मंचन के तीसरे दिन मुख्य अतिथि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के विशेष कार्याधिकारी इंदुप्रकाश सिंह,विशिष्ठ अतिथि जय भगवान गोयल कार्यकारी अध्यक्ष यूनाइटेड हिन्दू फ्रंट, हर्ष चतुर्वेदी प्रदेश सहसंयोजक यूपी भाजपा आईटी सेल. राहुल जी विभाग संगठन मंत्री वीएचपी,छाया सिंह जिलाअध्यक्ष विश्व हिंदू परिषद ,दिनेश महावर जिला मंत्री विश्व हिंदू परिषद ,सतवीर जी जिला उपाध्यक्ष विश्व हिंदू परिषद ,अनिल जी जिला कोषाध्यक्ष विश्व हिंदू परिषद ,सुमित जी बजरंग दल जिला सहसंयोजक अजीत भारद्वाज जिला उपाध्यक्ष विश्व हिंदू परिषद,मल्लिकेशवर झा भाजपा जिला आईटी सेल संयोजक,राहुल केसरवानी द्वारा दीप प्रज्जवलित कर रामलीला का शुभारंभ हुआ।
श्रीराम मित्र मंडल नोएडा रामलीला समिति के चेयरमैन उमाशंकर गर्ग, अध्यक्ष धर्मपाल गोयल एवं महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा द्वारा मुख्य अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर और अंगवस्त्र ओढ़ाकर स्वागत किया गया। प्रथम दृश्य में ऋषि विश्वामित्र के आश्रम में राजा जनक के दूत का आगमन होता है और वह ऋषि विश्वामित्र को सीता स्वयंम्बर की जानकारी देते हैं और स्वयंम्बर में आने का निमंत्रण देते हैं। इससे पहले के दृश्य में मिथिला में पड़े भयंकर सूखे से राजा जनक बेहद परेशान हो गए थे, तब इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें वसिष्ठ ऋषि ने यज्ञ करने और धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया. ऋषि के सुझाव पर राजा जनक ने यज्ञ करवाया और उसके बाद राजा जनक धरती जोतने लगे तभी उन्हें धरती में से सोने की डलिया में मिट्टी में लिपटी हुई एक सुंदर कन्या मिली राजा जनक की कोई संतान नहीं थी, इसलिए उस कन्या को हाथों में लेकर उन्हें पिता प्रेम की अनुभूति हुई राजा जनक ने उस कन्या को सीता नाम दिया और उसे अपनी पुत्री के रूप में अपना लिया ।
प्रभु राम मुनि विश्वामित्र के साथ रास्ते में जाते हैं इसी बीच एक आश्रम दिखाई दिया जिसमें पशु पक्षी व जीव जन्तू नहीं थे। भगवान राम ने पत्थर की शिला देखकर विश्वामित्र जी से पूछा, विश्वामित्र ने पूरी कथा राम जी को बताई कि यह शिला गौतम मुनि की पत्नी हैं जो श्राप वश पत्थर की देह धारण किये है। श्रीराम जी के पवित्र चरणों की रज का स्पर्श पाते ही अहिल्या प्रकट हो जाती हैं एवं भगवान के चरणों में लिपट जाती है और कहती हैं । ऐसी प्रार्थना कर अहिल्या पति लोक को चली जाती हैं। अगले दृश्य में मुनि विश्वामित्र के साथ चलते-चलते जनकपुर के निकट पहुंच जाते हैं। जनकपुर पहुंचकर श्रीराम एवं लक्ष्मण जनक बाजार में पहुंचते हैं जहाँ तरह तरह की दुकानें सुसज्जित थी विभिन्न प्रकार के पकवान एवं तरह तरह की मिठाईयां देख उनका मन प्रसन्न हो गया । अगले दृश्य मे माता सीता मनचाहे वर के लिए माता गौरी की पूजा करती हैं ताकि उन्हें राम वर के रुप मे प्राप्त हो और वह अपना मन चाहा वर प्राप्त कर सकें इसके साथ ही तीसरे दिन की लीला का समापन होता है। बुधवार 18 अक्टूबर को राजा जनक द्वारा राजाओं का स्वागत, धनुष भंग करने का प्रयास, जनक के ऊपर लक्ष्मण का क्रोध, रावण का विवाह मंडप में आगमन, राम द्वारा धनुष भंग, परशुराम क्रोध, वरमाला आदि लीलाओं का मंचन किया जायेगा।
इस अवसर पर समिति के कोषाध्यक्ष राजेन्द्र गर्ग, सलाहकार मनोज शर्मा, सह-कोषाध्यक्ष अनिल गोयल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सतनारायण गोयल, राजकुमार गर्ग, चौधरी रविन्द्र सिंह, तरुणराज, पवन गोयल, बजरंग लाल गुप्ता, एस एम गुप्ता, अजीत चाहर, गौरव मेहरोत्रा, आत्माराम अग्रवाल, मुकेश गोयल, मुकेश अग्रवाल, मनोज शर्मा, मीडिया प्रभारी मुकेश गुप्ता, गिरिराज बहेडिया, शांतनु मित्तल, सुधीर पोरवाल,अर्जुन अरोड़ा, आर के उप्रेती सहित श्रीराम मित्र मंडल नोएडा रामलीला समिति के सदस्यगण व शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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